एक बार दरवाजे के अंदर आ जाने पर तुम सब कुछ गुरु की दृष्टि से देखोगे। इसका अर्थ क्या है? हर परिस्थिति का सामना करते हुए तुम यह सोचते हो कि इस स्थिति में गुरु क्या करते? यदि कोई गुरु जी को दोष देता, तो वह क्या करते…
सामान्य रूप से मनुष्य के दो तरह के चरित्र हो सकते हैं। एक, नकारात्मक चरित्र; अपराधी, समाज विरोधी और विद्रोही व्यक्ति का चरित्र और दूसरा, सुनिश्चित सिद्धांतवादी, परंपरागत, धार्मिक व सम्मानित चरित्र…
जीवन का अंतिम लक्ष्य क्या है? इन तमाम अस्त-व्यस्तताओं, युद्धों, राष्ट्रों के बीच संघर्ष एवं कलह का अर्थ क्या है? इस सबको जानने से पहले अपने आपको जानना जरूरी है। यह बड़ा सरल प्रतीत होता है, लेकिन है अत्यंत दुष्कर…
एक बात हमेशा ध्यान में रखना, इस जगत में स्वयं के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं पाया जा सकता। जो उसे खोजते हैं, वे उसको पा लेते हैं और जो उससे अन्यथा कुछ भी खोजते हैं, वे अंतत: असफलता और विषाद को ही उपलब्ध होते हैं…
महाकुम्भ भारत की विराट संस्कृति और पुरातन धरोहर का भव्य समागम है। जैसे एक विशाल समुद्र अपने गर्भ में अनमोल रत्नों के भंडार और गूढ़ रहस्यों को एकत्रित कर वर्षों तक उनका संरक्षण करता है, वैसे ही यदि हम महाकुम्भ को भारत की सनातन परंपरा…
महाकुम्भ केवल धार्मिक पर्व नहीं है, इसका गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व भी है। इसकी भव्यता, इसका दिव्य प्रभाव आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पौराणिक काल में था…
कर्म की प्रकृति आपके द्वारा किए गए काम में नहीं होती। जिन संकल्पों, मनोवृत्तियों और जिस तरह के मन को आप साथ लेकर चलते हैं, वही आपका कर्म है…
ईसा गुजर रहे थे एक गांव से। उन्होंने राह के किनारे दीवार के सहारे बैठे कुछ अत्यंत दुखी लोगों को देखा। ऐसे थे वे सब संताप-ग्रस्त, जैसे मौत उनके सामने हो। भय से कंपित, भय से पीले हुए- मरणासन्न। ईसा ने पूछा…
राष्ट्रीय शिक्षा को एक या दो वाक्यों में संक्षिप्त रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता, किंतु काम चलाने के लिए हम कह सकते हैं कि वह ऐसी शिक्षा है, जो अतीत से प्रारंभ होती है और वर्तमान का पूरा उपयोग करते हुए एक महान राष्ट्र का निर्माण करती है…
लोग कितनी घृणा और मूर्खता को सजा-संवारकर पैक करने और उस पर ‘धर्म’ का लेबल लगाने में सफल हो जाते हैं! धार्मिक संप्रदायों के झगडे़ ऐसे ही हैं, जैसे इस बात पर झगड़ा करना कि किन्हीं खास बर्तनों में ही अमरता प्रदान करने वाले अमृत को रखने दिया…
क्रोध को अग्नि के समान क्यों कहा गया है, क्योंकि इसमें इंसान खुद तो धधकता ही है, उसका क्रोध आस-पास के लोगों में भी क्रोध की चिनगारी सुलगा देता है। यह सबसे पहले मनुष्य के विवेक को भस्म करता...
अगर आप सहज हैं और हर चीज को ठीक वैसे देखते हैं, जैसी वह है, तो आप अलग तरह के प्राणी हो जाते हैं। आप पूर्णत: अलग सत्ता के आगे नत-मस्तक हो जाएंगे। जब आप अपने मन में होते हैं, तब आप कहीं यात्रा नहीं...
हममें से कई सारे लोग कुछ भी कर ले रहे हैं, क्योंकि हम नहीं जानते कि आखिर हम चाहते क्या हैं? मैं आपसे कुछ नहीं चाहता, बल्कि यह जानना चाहता हूं कि आप क्या चाहते हैं? आप अपनी शादी में क्या चाहते हैं...
हम किसी भी चीज को नाम क्यों देते हैं? किसी फूल, व्यक्ति, भावना आदि पर हम कोई लेबल क्यों लगा देते हैं? हम ऐसा अपनी भावनाओं को संप्रेषित करने, उस फूल का बखान करने आदि के लिए करते हैं या फिर उस भावना...
एयरपोर्ट पर सुरक्षा-जांच चल रही थी। स्कैनर की पैनी निगाहें सभी वस्तुओं को भेद रही थीं। एक ट्रे में जूते रखे हुए थे, जो थोडे़ संदेहास्पद लगे, तो अधिकारी उन्हें भी स्कैन करने ले गए। जिनके जूते...
स्थायी सुख पाने की लालसा प्रत्येक जीव का स्वभाव है। यह हरेक व्यक्ति का धर्म है। धर्म शब्द का अर्थ है ‘विशेषता’। इसे आप स्वभाव भी कह सकते हैं। अग्नि का स्वभाव है जलाना या गरमी पैदा करना...
जल की भांति ज्ञान, बुद्धि, कौशल, आशीर्वाद आदि में प्रवाह ऊपर से नीचे, संपन्न से विपन्न की ओर रहता है। देवी-देवताओं और सिद्ध जनों से कुछ ग्रहण करके हम अपना जीवन संवार सकते हैं, शर्त है कि लाभार्थी...
मनुष्य, जितना कुछ लोग उसे समझते हैं, उससे कहीं कम पार्थिव सांचे का ढला हुआ है। उसमें एक दैवी तत्व होता है, जिसकी व्यावहारिक राजनीतिज्ञ उपेक्षा कर जाता है। व्यवहारी राजनीतिज्ञ वर्तमान स्थिति...
कभी आपने सोचा है कि हम आलोचना करते क्यों हैं? हम किसी को समझने के लिए ऐसा करते हैं या यह केवल छिद्रान्वेषण, मीन-मेख निकालने की प्रक्रिया है? आपकी आलोचना करने से क्या मैं आपको समझ पाऊंगा...
अमेजन का वितरण करने वाला लड़का सामान देने आया था। ये लोग हवा के झोंकों की तरह आते हैं और सामान देकर गायब हो जाते हैं। इनका एक खास व्यक्तित्व होता है। उनसे हम एक खास तरह के आचरण की अपेक्षा रखते हैं...