Hindi Newsओपिनियन मनसा वाचा कर्मणाHindustan mansa vacha karmana column 15 January 2025

समुद्र मंथन का सार

  • महाकुम्भ केवल धार्मिक पर्व नहीं है, इसका गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व भी है। इसकी भव्यता, इसका दिव्य प्रभाव आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पौराणिक काल में था…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानTue, 14 Jan 2025 11:18 PM
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समुद्र मंथन का सार

महाकुम्भ केवल धार्मिक पर्व नहीं है, इसका गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व भी है। इसकी भव्यता, इसका दिव्य प्रभाव आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पौराणिक काल में था। समुद्र मंथन की घटना के दौरान अमृत और विष का निकलना एक प्रतीकात्मक संकेत है, जो हमें सिखाता है कि जीवन में शुद्धता और संतुलन प्राप्त करने के लिए मंथन, साधना और आत्म-निरीक्षण आवश्यक हैं।

समुद्र मंथन की कथा हमारे समाज और जीवन को एक गहरी सीख देती है। जैसे समुद्र मंथन से विष निकला और उसने संपूर्ण सृष्टि के लिए खतरे का संकेत दिया, वैसे ही आज के समय में प्रदूषण ने पृथ्वी को एक गंभीर संकट में डाल दिया है। पूरी पृथ्वी पर यह अपना नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। अगर प्रदूषण का स्तर और बढ़ता है, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह विनाशकारी हो सकता है।

यही समय है कि हम प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए एकजुट हों। महाकुम्भ सामूहिक रूप से कार्य करने की शक्ति को दर्शाता है। इसमें भाग लेने वाले लाखों श्रद्धालु नदियों में स्नान करते हुए आंतरिक शांति की खोज करते हैं। यह सामूहिक प्रयास समाज में शांति, प्रेम और सहयोग को बढ़ावा देता है और धर्म, संस्कृति व आध्यात्मिकता के उच्च आदर्शों को पुन: स्थापित करता है। महाकुम्भ का आयोजन एक सामाजिक चेतना का जागरण है, जो सृष्टि के कल्याण के लिए कार्य करता है। इसलिए जैसे समुद्र मंथन से विष को अलग किया गया और अमृत को प्राप्त किया गया, वैसे ही अगर हम प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं और पर्यावरण संरक्षण के प्रयास करते हैं, तो हम पृथ्वी पर जीवन को शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं।

प्रदूषण को कम करने के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे। पुनर्नवीनीकरण, जल संरक्षण, वृक्षारोपण और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग हमारे पर्यावरण की रक्षा में सहायक हो सकता है। यदि हम प्रदूषण को कम करते हैं और पर्यावरण का संरक्षण करते हैं, तो हम अमृत की तरह शांति, समृद्धि और संतुलन को भी प्राप्त कर सकते हैं। समुद्र मंथन से हमें यह भी सीखने को मिलता है कि जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए हम सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। प्रदूषण से मुक्ति और पर्यावरण का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के लिए अमृत प्राप्ति से कम नहीं है। इसलिए महाकुम्भ हमें यह भी याद दिलाता है कि जैसे समुद्र मंथन से निकले अमृत ने इस सृष्टि को जीवन दिया, वैसे ही हमें प्रदूषण से मुक्ति पाकर इस पृथ्वी को शुद्ध और जीवनदायिनी बनाना है।

स्वामी चिदानंद सरस्वती

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