Hindi Newsओपिनियन मनसा वाचा कर्मणाhindustan mansa vacha karmana column 25 January 2025

गुरु क्यों जरूरी

  • एक बार दरवाजे के अंदर आ जाने पर तुम सब कुछ गुरु की दृष्टि से देखोगे। इसका अर्थ क्या है? हर परिस्थिति का सामना करते हुए तुम यह सोचते हो कि इस स्थिति में गुरु क्या करते? यदि कोई गुरु जी को दोष देता, तो वह क्या करते…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानFri, 24 Jan 2025 10:49 PM
share Share
Follow Us on
गुरु क्यों जरूरी

एक बार दरवाजे के अंदर आ जाने पर तुम सब कुछ गुरु की दृष्टि से देखोगे। इसका अर्थ क्या है? हर परिस्थिति का सामना करते हुए तुम यह सोचते हो कि इस स्थिति में गुरु क्या करते? यदि कोई गुरु जी को दोष देता, तो वह क्या करते? इस संसार को गुरु की दृष्टि से देखो, तो यह संसार अधिक सुंदर लगेगा। यह मलिन नहीं, बल्कि प्रेम, आनंद, सहयोगिता, दया आदि गुणों से परिपूर्ण, अधिक उत्सवपूर्ण दिखेगा। गुरु के द्वार के बाहर देखने पर भय नहीं होगा।

घर के अंदर से तुम बाहर के वज्रपात, आंधी, वर्षा और कड़ी धूप को देखोगे। भीतर तुम्हारे लिए वातानुकूलित व्यवस्था है, शीतल और शांत। बाहर गर्मी और अशांति है, पर तुम परेशान नहीं होते, क्योंकि कुछ भी तुम्हें बेचैन और विचलित नहीं कर सकता। कोई तुम्हारी पूर्णता को नहीं छीन सकता। ऐसी सुरक्षा की अनुभूति होती है, ऐसी पूर्णता का आभास, ऐसा आनंद तुम्हें गुरु के घर में मिलता है। यही है गुरु का उद्देश्य।

संसार के सभी संबंध उलट-पुलट हो जाते हैं। संबंध बनते हैं और टूटते हैं। सभी संबंध टूट सकते हैं, फिर जुड़ सकते हैं और फिर टूट सकते हैं। यहां राग भी है, द्वेष भी। यही संसार है। पर गुरु कोई संबंध नहीं, गुरु की मौजूदगी होती है। इसलिए गुरु के सान्निध्य का अनुभव करो। उसे अपने संसार का अंश मत बनाओ। संसार का हिस्सा बनाते ही वही अप्रिय भावनाएं उठती हैं, ‘उन्होंने ऐसा कहा, उन्होंने ऐसा नहीं कहा; वह उनका अधिक प्रिय है, मैं नहीं।’ गुरु एक शाश्वत अस्तित्व है। शाश्वत अस्तित्व असीम है: विराट, अनंत, सर्वव्यापी और संपूर्ण। और जीवन में गुरु का सान्निध्य सभी संबंधों में पूर्णता लाता है।

श्री श्री रविशंकर

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें