देश के जाने माने भू-वैज्ञानिक डॉ. परमेश बनर्जी का मानना है कि देहरादून से लेकर काठमांडू के बीच 8 की तीव्रता के भूकंप का खतरा है। उन्होंने कहा कि 500 साल की एनर्जी अंदर जमा हो चुकी है।
उत्तरकाशी में आधी रात को भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिस समय झटके आए तब लोग गहरी नींद में सोए हुए थे। अचानक धरती के हिलने से कुछ लोग डर गए और घर से बाहर निकल गए। रिक्चर स्केल पर तीव्रता 3.1 रही।
उत्तराखंड में एक बार फिर धरती डोली है। उत्तराखंड में 24 घंटे के अंदर दूसरी बार भूकंप के झटके आए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी वेबसाइट के अनुसार, उत्तरकाशी में भूकंप सुबह 3.49 बजे करीब आया।
भूकंप कब, कहां और कितनी तीव्रता का आएगा, इसके पूर्वानुमान की तकनीक अभी तक उपलब्ध नहीं है। भू-वैज्ञानिकों ने भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों की शिनाख्त अवश्य की है।
उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, नैनीताल, रुद्रपुर, काशीपुर, ऋषिकेश, पौड़ी , बीरोंखाल, धुमाकोट आदि शहरों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।
उत्तराखंड में एक बार फिर धरती डोली है। सोमवार सुबह भूकंप के झटकों के बाद लोग दहशत में आए गए थे। भूकंप के झटकों के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर चले गए।
उत्तराखंड में एकबार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। विभाग मिली जानकारी के अनुसार, आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई है।
उत्तराखंड में आज 04 मई को भूकंप के झटके महसूस किए गए है। गुरुवार को बदरीनाथ,और केदारनाथ वाले जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए।
यूरोपियन जियोसाइंसेज यूनियन नैचुरल हैजार्ड्स एंड अर्थ सिस्टम साइंसेज में पिछले महीने प्रकाशित एक शोध पत्र में यह दावा किया गया है कि जोशीमठ की पहाड़ी ढलानों में विस्थापन 20-25 मीटर तक पहुंच सकता है।
भूकंप के लिहास से उत्तराखंड के गढ़वाल, और कुमाऊं मंडल के विभिन्न जिले संवेदनशील श्रेणी में आते हैं। पिछले तीन महीने में उत्तराखंड में छाटे-बड़े भूकंप हा चुके हैं। भूकंप को लेकर फिर टेंशन रहती है।
उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। गुरुवार सुबह इस जिले में भूकंप आने से लोग दहशत में आ गए थे। आपको बता दें कि पिछले एक-दो महीने में उत्तराखंड में कई बार भूकंप आ चुका है।
हिन्दुकुश के बजाय हिमालय के दूसरे हिस्से में 6.6 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र रहता तो व्यापक नुकसान हो सकता था। भूकंप अगर दोबारा आएगा तो क्या उत्तराखंड को भारी नुकसान होगा? एक्सपर्ट को चिंता है।
भूकंप के तेज झटकों से एक बार फिर उत्तराखंड की धरती डाेल गई। 21 मार्च मंगलवार रात 10:20 बजे पर तेज भूकंप के झटके महसूस किए गए। मालूम हो कि पिछले दो महीने में 16 बार उत्तराखंड में भूकंप आया है।
होली के दिन उत्तराखंड की धरती एक बार फिर डोली है। उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके बाद एक बार फिर लोग दहशत में आ गए थे। उत्तरकाशी जिले में 10 बजकर 08 मिनट पर भूकंप का झटका महसूस किया गया।
उत्तराखंड में पिछले 58 दिनों (दो महीने) में भूकंप के 13 ऐसे भूकंप आए हैं। जिन्हें लोगों ने महसूस किया है। 13 जनवरी को उत्तरकाशी में 2.9 तीव्रता का भूकंप आया। 20 जनवरी को देहरादून में 2.8 तीव्रता थी।
राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रो. वीपी डिमरी ने कहा है कि उत्तराखंड समेत पूरा हिमालयी बेल्ट बड़े भूकंप के मुहाने पर है। भूकंप की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं।
उत्तराखंड में आने वाले दिनों में कोई आपदा की आहट तो नहीं है। पिछले 46 दिनों में उत्तराखंड में आठ बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपाल में आए भूकंप के झटकों को बुधवार को उत्तराखंड में भी महसूस किया।
बागेश्वर जिले में सोमवार को भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। जिस वक्त भूकंप आया, उस वक्त अधिकतर लोग गहरी नींद में थे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि कोई नुकसान नहींं हुआ है।
उत्तराखंड में एक बार फिर धरती डोली है। पिथौरागढ़ जिले में आज रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप सुबह 8 बजकर 58 मिनट पर आया है। भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए। कोई नुकसान नहीं हुआ।
उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.9 बताई गई। गुरुवार रात 2:12 बजे उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस हुए। हालांकि, कोई नुकसान नहीं हुआ।
उत्तरकाशी जिले में बुधवार तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है। हालांकि, सबसे बड़ी राहत की बात रही कि भूकंप से कोई नुकसान नहीं हुआ है।
देर रात जब आप चैन की नींद सो रहे थे, तब नेपाल से लेकर उत्तराखंड तक में भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेपल में तो धरती 4.7 और 5.3 की तीव्रता से दो बार हिली। वहीं, उत्तराखंड में इसकी तीव्रता कम मापी गई।
जलवायु परिवर्तन के साथ भूकंप भी जलस्रोतों के भविष्य को तय करते हैं। हिमालयी जलस्रोतों पर भूकंप अप्रत्यशित परिवर्तन ला सकता है। इससे जलस्रोतों का पानी सूख भी सकता है या उनमें पानी का बहाव बढ़ सकता है।
आईआईटी (IIT) रुड़की के शोध छात्र और दो प्रोफेसरों का लेख अमेरिका के जर्नल जियोटेक्सटाइल एंड जियोमेम्ब्रेन में प्रकाशित हुआ। दावा है कि पुरानी प्लास्टिक बोतलों से भूकंप के नुकसान को कम किया जा सकता है।
Earthquake in Delhi NCR: दिल्ली एनसीआर में मंगलवार देर रात को भूकंप के तगड़े झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.3 महसूस की गई। भूकंप के चलते लोग दहशत में आ गए। जानें ताजा अपडेट...
उत्तराखंड में एक बार फिर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप आने के बाद लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए। भूकंप की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ है। देहरादून, उत्तरकाशी समेत कई जिलों में भूकंप आया।
केदारनाथ में शनिवार को हिमस्खलन के बाद उत्तरकाशी में आज रविवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत का माहौल देखने काे मिला। भूकंप के बाद लोगों में दहशत देखने को मिली।
उत्तराखंड में शुक्रवार को भूंकप के झटकों से धरती डोल गई। झटके लगते ही लोग घरों से बाहर निकल आए। मोबाइल फोन के माध्यम से एक दूसरे की कुशलक्षेम पूछने लगे। भूकंप की तीव्रता 3.8 आंकी गई है।
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से नार्थ ईस्ट तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। भूकंप से निपटने को तैयारियां होनी चाहिए।
उत्तराखंड में एक बार फिर जोर से धरती डोली है। शनिवार शाम पांच बजे के करीब उत्तराखंड में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भंकूप की वजह से धरती के कांपने पर लोग डर के मारे अपने-अपने घरों से बाहर निकल गए।