भूकंप का खतरा भांपने को ‘अग्रदूतों’ के संकेत समझने होंगे, एक्सपर्ट ने इस बात की जताई चिंता
राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रो. वीपी डिमरी ने कहा है कि उत्तराखंड समेत पूरा हिमालयी बेल्ट बड़े भूकंप के मुहाने पर है। भूकंप की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं।
राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) के पूर्व निदेशक पद्मश्री प्रो. वीपी डिमरी ने कहा है कि उत्तराखंड समेत पूरा हिमालयी बेल्ट बड़े भूकंप के मुहाने पर है। भूकंप कब आएगा, इस की सटीक भविष्यवाणी संभव नहीं पर भूकंप का खतरा भांपने के लिए, ‘अग्रदूतों’ के संकेत समझने होंगे।
साथ ही एडवांस क्विक ऑपरेशन प्लान बनाना होगा। पूर्व निदेशक और फेडरेशन ऑफ इंडियन जियो साइंसेज (एफआईजीए) के अध्यक्ष प्रो. डिमरी ने हिमालय क्षेत्र बड़े भूकंप की आशंका जताते हुए सरकारी एजेंसियों को समय रहते बचाव के उपाय करने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि समस्याओं से निपटने का उपाय करना सबसे बेहतर विकल्प है।
आपदाएं कई तरह से संकेत भेजती हैं और हर संकेत का वैज्ञानिक अध्ययन होना चाहिए। भूकंप से पहले भी हमें कई तरह से संकेत मिलते हैं, हम उसे डिकोड नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते भूकंप की भविष्यवाणी करना अब भी वैज्ञानिकों के लिए चुनौती है। डिमरी ने कहा कि आपदा का इंतजार किए बिना खतरों से निपटने के लिए एडवांस क्विक ऑपरेशन प्लान बेहद जरूरी है।
भूकंप के संकेतों पर शोध जरूरी
प्रो. डिमरी का कहना है कि भूकंपों का खतरा भांपने के लिए इसके संकेतों पर वैज्ञानिक शोध जरूरी हैं। हिमालय क्षेत्र में कई तरह के भूकंपीय और जीपीएस उपकरण काम कर रहे हैं। हमें सीस्मोलॉजिकल, बायोफिजिकल, थर्मल आदि भू-भौतिकीय, भू-रासायनिक, भूगर्भ जैसे भूकंप के खतरों का संकेत देने वाले अग्रदूतों की जांच करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि, भूकंप की तरंगों, भूजल स्तर में उतार-चढ़ाव, गुरुत्वाकर्षण और चुंबकीय मूल्यों में परिवर्तन, तापमान में वृद्धि, वायुमंडलीय तूफान से संबंधित हवा का खिंचाव, जानवरों का व्यवहार ऐसे अग्रदूत हैं, जिनका विस्तृत अध्ययन कर ठोस भूकंप का खतरा भांपने के करीब पहुंचा जा सकता है।
बड़े भूकंप की प्रबल आशंका
प्रो.डिमरी के अनुसार, संपूर्ण हिमालय भूकंपीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। हिमालय ने कई बड़े भूकंप देखे हैं। इनमें शिलांग में 1897, कांगड़ा में 1905, बिहार-नेपाल में 1934 , असम में 1950, कश्मीर में 2005, नेपाल में 2015 में बड़े भूकंप आए हैं। उत्तराखंड में उत्तरकाशी 1993, चमोली 1999, और इससे पहले कुमाऊं 1720 और गढ़वाल में 1803 में भीषण भूकंप आ चुके हैं।
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