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चतरा जिले की महत्वपूर्ण फसल है सरसों: वैज्ञानिक

चतरा में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित सरसों प्रक्षेत्र दिवस में 150 किसान शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्घाटन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील चंद दूबे ने किया। उन्होंने किसानों को नई...

Newswrap हिन्दुस्तान, चतराSun, 19 Jan 2025 12:34 AM
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चतरा, संवाददाता। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा द्वारा ग्राम-मैराग, प्रखंड-प्रतापपुर में शनिवार को सरसों प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन में करीब 150 किसान शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्घाटन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के कुलपति डॉ सुनील चंद दूबे द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अनुमंडल कृषि पदाधिकारी निकहत प्रवीन, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ पीके सिंह, निदेशक अनुशंधान, डॉ अरुण कुमार, वैज्ञानिक बिकृवि, रांची, डॉ सुर्यप्रकाश, वैज्ञानिक पौधा प्रजनन विभाग बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची उपस्थित थें। कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ रंजय कुमार सिंह ने बताया कि तेलहनी फसलों में सरसों की खेती चतरा जिले की एक महत्वपूर्ण फसल है। वर्तमान में इस जिले में करीब 10000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जा रही है, जिले में इसकी औसत उपज 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं, जो अन्य जिले की अपेक्षा काफी कम है। जबकि जिले की मिट्टी एवं अन्य संसाधनों का समुचित उपयोग करके उपज क्षमता बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि उन्नत किस्म, अनुसंसीय सस्य प्रक्रियाएं संतुलित उर्वरक का व्यवहार, किट व्याधी का नियंत्रण और कटाई प्रबंधन का उपयोग कर प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सकती हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा द्वारा समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन प्रोजेक्ट के अंतर्गत बीबीएम-1 प्रभेद के सरसों का प्रत्यक्षण इस ग्राम में किया और काफी अच्छी उपज देखी जा रही हैं। अच्छी फसल के उपलक्ष्य में आज प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया है।

मुख्य अतिथि के रूप में शामिल कुलपति डॉ सुनील चंद दूबे ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई पहल की है। सरसों की खेती को बढ़ाने से राज्य के किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने झारखंड को चुना है। सरसों की खेती को बढ़ाने के लिए नई किस्मों और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए, तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी और अधिक लाभ कमा सकेंगे। सरसों की खेती से किसानों को बेहतर कीमत मिल पाएगी। सरसों की खेती कम बारिश में भी की जा सकती है। इसकी खेती करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इसमें अधिक पानी की भी आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि चतरा जिले के किसान काफी मेहनती हैं, जो अपनी मेहनत से इस तरह शानदार सरसों की खेती की हैं। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, चतरा के वैज्ञानिक विनोद कुमार पांडेय, धर्मा उरांव, उपेंद्र कुमार सिंह, मो जुनैद आलम, अभिजित घोष, अभिषेक घोष, किशोरी कांत मिश्र, रूपलाल कुमार भोक्ता आदि शामिल थे।

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