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रोस्टर में गड़बड़ी कर बहाल 314 शिक्षकों के ममाले में अधिकारियों की संलिप्तता

सीतामढ़ी में 314 शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों का मामला सामने आया है। जांच में पता चला है कि 2019-20 में रोस्टर में गड़बड़ी के कारण ये नियुक्तियां की गईं। संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है,...

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतामढ़ीSun, 19 Jan 2025 12:33 AM
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सीतामढ़ी। जिले में रोस्टर में गड़बड़ी कर बहाल 314 शिक्षकों के मामले में अब नया मोर आ गया है। इसमें कई पूर्व के कई अधिकारियों व कर्मियों के संलिप्ता भी सामने दिख रही है। ये नियुक्तियां 2019-20 में हुईं थी। बताया गया है कि इन शिक्षकों को हर महीने करोड़ों रुपये का वेतन दिया जा रहा है। स्थानीय अधिकारियों को इस बारे में पता है, लेकिन वे कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस मामले में जिला शिक्षक अपीलीय प्राधिकार ने भी डीईओ व डीपीओ की संलिप्तता की ओर इशारा किया है। मोहम्मद एजाज अहमद (गोरहारी गांव, परिहार प्रखंड, सीतामढ़ी) ने शिक्षक अपीलीय प्राधिकार में वाद संख्या 65/23 दायर की। उन्होंने शिकायत की कि निर्धारित सीटों से 314 अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। इस मामले में डीईओ व डीपीओ समेत चार अधिकारी आरोपी हैं। अहमद ने दायर वाद में ाताया कि तत्कालीन डीईओ ने तीन सदस्यीय टीम से जांच कराई थी। इस टीम ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की कि 2019 में शिक्षक नियोजन के लिए जो रोस्टर जारी हुआ था, उसमें तय कोटे से अधिक पदों का बंटवारा किया गया है। इस वाद की सुनवाई कर शिक्षक अपीलीय प्राधिकार के पीठासीन पदाधिकारी प्रेमचंद ने कहा है कि वे 30 अगस्त 2024 को डीपीओ और डीईओ से कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी। 6 सितंबर 2024 को सुनवाई की तारीख तय की गई। डीपीओ ने समय मांगा। फिर 28 सितंबर और 10 अक्टूबर 2024 को सुनवाई हुई, लेकिन डीपीओ ने कोई जवाब नहीं दिया। 27 दिसंबर 2024 को प्राधिकार ने अपने आदेश में कहा कि विभिन्न विषयों के निर्धारित कोटे से 314 पद अधिक वितरित कर नियोजन की कार्रवाई की गई। प्राधिकार ने यह भी कहा कि हर महीने वेतन के रूप में करोड़ों रुपये देकर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस मामले को लेकर प्राधिकार के पीठासीन अधिकारी ने जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए विभाग से अनुशंसा किया है।

अधिक पदों का कैसे हुआ बंटवारा:

सामान्य वर्ग में 116, बीसी में 35, स्नातक ग्रेड हिंदी सामान्य कोटि में 14, स्नातक ग्रेड अंग्रेजी सामान्य कोटि में 5, स्नातक ग्रेड गणित विज्ञान सामान्य कोटि में 1, बीसी कोटि में 1, स्नातक ग्रेड उर्दू सामान्य कोटि में 2 और ईबीसी कोटि में 3 पदों पर अवैध नियुक्ति हुई। कुल मिलाकर 314 पदों पर अधिक नियुक्तियां हुईं।

राज्य पिछड़ा आयोग ने भी की थी मामले की सुनवाई:

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी इस मामले की सुनवाई की। आयोग ने भी अवैध रिक्ति वितरण की पुष्टि की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। लेकिन, आयोग का आदेश अब तक धूल फांक रहा है। कोई कार्रवाई नहीं हुई।

आयोग से नहीं प्राप्त हुआ निर्देश : डीईओ

रोस्टर में हुई गड़बड़ी मामले में डीईओ प्रमोद कुमार साहू ने बताया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के निर्देश के अनुसार विभाग को लिखा गया है, निर्देश प्राप्त होते ही मामले में कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने बताया कि रोस्टर से अधिक बहाल किए गये शिक्षकों को हटाने के ममाले में फिलहाल आयोग व विभाग से कोई निर्देश प्राप्त नहीं है। जबकि समायोजन का निर्देश है। अवैध भुगतान के मामले में उन्होंने बताया कि रोस्टर में गड़बड़ी कर बहाली का मामला उनके कार्यकाल के पूर्व का है तथा बहाली नियोजन इकाई द्वारा किया गया था। ऐसे में बहाल शिक्षकों का भुगतान विभागीय आदेश के आलोक में ही रोका जा सकता है।

क्या है पूरा मामला : अभिमन्यु कुमार सिंह वार्ड संख्या 15, ग्राम दोघरा, रीगा द्वारा पिछड़े वर्गो के लिए राज्य आयोग बिहार पटना में वर्ष 2019- 20 में शिक्षक नियोजन के लिए सामान्य शिक्षकों के पदों पर की गई नियुक्तियों में रोस्टर निर्माण में की गई अनियमितता का आरोप लगाया था। जिसमें 2019-20 में रोस्टर निर्माण में बैक लॉग पदों का समायोजन नहीं करने की शिकायत की। पिछड़ा वर्ग आयोग में दायर परिवाद की जांच के लिए आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग को लिखा। सामान्य प्रशासन विभाग ने शिक्षा विभाग को शिक्षा विभाग ने डीईओ को लिखा। डीईओ द्वारा विभागीय आदेश के आलोक में त्रि स्तरीय जांच कमेटी गठितकी गई। कमेटी जांच में बताया कि वर्ष 2019-20 में रोस्टर संधारण में आरक्षित कोटि में कम एवं अनारक्षित कोठी में अधिक पदों का वितरण हुआ है। पिछड़ा वर्ग के लिए राज्य आयोग बिहार पटना द्वारा जांच के क्रम में वर्ष 2012, 2015 एवं 2019-20 के रोस्टर में अनियमितता की उच्च स्तरीय जांच कर कर उसके तत्काल सुधार करते हुए शेष रिक्त पदों के विरुद्ध नियमानुसार सामंजन किए जाने की अनुशंसा की गई है। वही पिछड़ा आयोग द्वारा आदेश में बताया गया कि अधिकारियों द्वारा मामले में बार बार संज्ञान नहीं लेने के कारण वर्ष 2012 से 2019 तक में कार्यरत डीईओ, डीपीओ स्थापना एवं रोस्टर निर्माण में संलिप्त अन्य संबंधित को चिह्नित कर उनके विरुद्ध प्रशासनिक कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया। सूत्रों की माने तो इसके जद में कई तत्कालीन कार्यरत व सेवानिवृत अधिकारी व कर्मी भी आ सकते है। बताया गया है कि नियोजन वर्ष 2012 से 2019-20 तक कार्यरत कई अधिकारी व कर्मी सेवानिवृत हो चुके है तथा कई दूसरे जिले में पदस्थापित है। सूत्रों की माने तो आयोग के निर्देश के आलोक में उक्त ममाले में कार्यवाही के लिए विभागीय प्रक्रिया चल रही है।

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