रोडरेज के ज्यादातर मामले तो पुलिस के रोजनामचों तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। केवल गंभीर मामलों में ही रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। एक और बात। इस कॉलम के लिए रिसर्च करते वक्त मैंने पाया कि न केवल आंकडे़ आधे-अधूरे हैं, बल्कि बेहतरीन शोधार्थियों की भी दृष्टि इस मुद्दे पर नहीं पड़ी है…
कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा की तरह ही अपने क्षत्रपों के सामने आत्म-समर्पण कर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ गंवा दिए थे। उसे अपने संगठन का शिराजा बचाने के लिए कुछ राज्यों में परचम फहराने की सख्त ..
चीन ने एक हजार साल उन पर हुकूमत की थी। शताब्दियां बीत गईं, पर वियतनाम के खुद्दार लोग चीनियों की दमन-गाथा को बिसरा नहीं पाते। पराधीनता के विरुद्ध भावनाओं का ऐसा सामूहिक ज्वार मैंने कभी कहीं और...
ब्रांड गांधी आज भी भारत की सबसे मजबूत नुमाइंदगी करता है।... अगर गांधी नई पीढ़ी को नहीं लुभा रहे होते, तो भला एक जापानी मेयर को क्या पड़ी थी कि वह बापू के गुजरने के दशकों बाद उनकी प्रतिमा की स्थापना...
इतनी बड़ी तादाद में मतदान से क्या अर्थ निकाला जाए? क्या आतंकवाद से लहूलुहान इस धरती से दहशत की विदाई हो रही है?... पिछले 75 बरस के घटनाक्रम गवाह हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांति की हर पहल अगली अशांति...
हर बात पर धर्म की दुहाई देने वाले यह भी जान लें कि दुनिया में एक अरब डॉलर की मिल्कियत वाली 20 कंपनियों के सीईओ हिंदू हैं। इन कंपनियों के मुख्यालय जिन मुल्कों में हैं, वहां ईसाइयों का बाहुल्य है...
भारतीय प्रधानमंत्री अगर आने वाले दिनों में रूस और यूक्रेन के युद्ध पर अंकुश लगाने में अहम भूमिका निभाते हैं, तो यकीनन भारत की बलवान होती अवधारणा को नया बल मिलेगा। हालांकि, इस रास्ते पर बाहरी...
आत्ममुग्ध पश्चिम के मुल्कों को छोड़ दें, तो आधी से अधिक धरती की आबादी वीटो पावर में बडे़ बदलाव के पक्ष में है। अगर हमें पिछले दशक तक जारी आर्थिक सुधारों को जारी रखना है, तो इन सुधारों के प्रति गंभीर...
हमारा देश एक संकट से दूसरा संकट जनने का अभ्यस्त हो चुका है। यकीन न हो, तो 21 अगस्त की घटनाओं पर नजर डाल देखें, एक तरफ अस्पतालों में मरीज बिना इलाज तड़प रहे थे, तो दूसरी तरफ आरक्षण के समर्थक ट्रेनें...
तय है, इस पनपते हुए शीत युद्ध के बीच हमें अपनी जगह तलाशनी होगी। ‘हमें’ से मेरा मतलब उन मुल्कों से है, जो विकसित देशों का शिकार बनते हुए भी अपने बलबूते प्रगति के राजमार्ग पर दौड़ने को आतुर हैं। यहां...
हमें आशंकाओं के सौदागरों से भी सचेष्ट रहना होगा। बंगाल को भुखमरी की मृत्यु-शय्या पर धकेलने वाले चर्चिल और पश्चिम के तमाम स्वनामधन्य बोधिसत्वों को लगता था कि भारत लोकतंत्र के लिए नहीं बना। हम असफल...
कल जम्मू-कश्मीर के विभाजन और अनुच्छेद-370 की रुखसती के पांच साल पूरे हो रहे हैं... पिछले पांच सालों में इस सूबे की हवा में बदलाव आया है। लोकसभा को छोड़ दें, तब भी स्थानीय निकाय और ग्राम समितियों के...
मैंने अनूपशहर के उस मोहल्ले के लोगों की आंखों में उनके लिए सम्मान पढ़ा था। ...सैम चले गए, पर वह उन हजारों बच्चियों, महिलाओं और उनके परिजनों के दिलों में अंतिम सांस तक धड़केंगे, जिनकी जिंदगी में उनकी...
आशा और जन-अवधारणा के विपरीत आए नतीजों ने गफलतों को उतार फेंकने का अवसर भाजपा को प्रदान किया है। उसके पास सबक लेने का समय, साधन और सक्षम नेतृत्व है। पहले दल की दलदल बाहर से नहीं दिखती थी। अब जब...
अगले कुछ महीने भाजपा और सरकार, दोनों को फूंक-फूंककर कदम रखने होंगे। गुजरे जमाने में वही सार्थवाह अपनी मंजिल तक पहुंचते थे, जो राजपथ पर पहला कदम रखने से पहले आखिरी पग तक की विघ्न-बाधाओं का माकूल...
शायद आप भी मेरी तरह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस से दहल गए होंगे। सांसदों और सदन के नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे जिम्मेदारी भरे व्यवहार का प्रदर्शन करेंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा...
गरीबी-उन्मूलन के लिए सरकार ने कुछ योजनाएं जरूर चलाई हैं, पर कुवैत में जल मरे भारतीय और नोएडा की एक आलीशान इमारत के बाहर जानलेवा गर्मी से तड़पकर मरे कौशलेंद्र यादव के साथ जो हुआ, वह कई सवाल भी खड़े...
प्रकृति पता नहीं कब से अलार्म बजा रही है कि कृपया जाग जाइए। गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियों के बिना उत्तर भारत की शस्य श्यामला और उर्वरा भूमि की कल्पना भी नहीं की जा सकती, पर हुकूमतें बदल गईं, साथ...
राजनीति में मतदाता का निर्णय ही सर्वोपरि होता है। यदि कांग्रेस अपने गठबंधन के माध्यम से किसी तरह सत्ता हासिल करने में कामयाब हो जाती है, तो ये सारे कयास हवा हो जाएंगे। इतिहास विजेताओं पर लगे दाग...
बिहार के लोग यकीनन सियासी तौर पर संवेदनशील हैं, मगर जातियों को लेकर उनके आग्रह, दुराग्रह की हद छूते नजर आते हैं। ऐसे में, 2014 और 2019 की भांति एनडीए अपना जादू बरकरार रख पाएगा या फिर से मुखर हो चले...