जी-20 वर्चुअल समिट में भी गाजा का मसला नहीं उठने देगा भारत, चीन को रोकने का प्लान
भारत का प्रयास है कि इस वर्चुअल समिट में आर्थिक मुद्दों पर ही बात हो। इसके लिए भारतीय राजनयिक तर्क दे रहे हैं कि इस संगठन का मकसद ही आर्थिक है। इसीलिए दुनिया की टॉप-20 इकॉनमीज को शामिल किया गया है।
जी-20 देशों की वर्चुअल समिट 22 नवंबर को होने वाली है और उसमें इजरायल-हमास युद्ध की छाया न पड़े, भारत इसके लिए कोशिश कर रहा है। भारत का प्रयास है कि इस वर्चुअल समिट में आर्थिक मुद्दों पर ही बात हो। इसके लिए भारतीय राजनयिक तर्क दे रहे हैं कि इस संगठन का मकसद ही आर्थिक है और इसमें दुनिया की टॉप-20 इकॉनमीज को शामिल किया गया है। ऐसे में इस मंच पर राजनीतिक मसलों पर बात करना ठीक नहीं है, जिससे दुनिया के दोफाड़ होने का खतरा हो। इससे पहले 9-10 सितंबर में को दिल्ली में हुई जी-20 समिट में भी भारत ने ऐसी ही कोशिश की थी।
इसी के तहत यूक्रेन पर जो प्रस्ताव पारित हुआ था, उसकी भाषा बेहद नरम थी। इस साझा बयान में रूस के खिलाफ आक्रामकता नहीं दिखाई गई थी। फिलहाल जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है, लेकिन अभी राजनीतिक मसलों पर बात शुरू हुई तो आगे के लिए भी चिंता का सबब हो सकता है। दरअसल भारतीय राजनयिकों का कहना है कि यदि इस बार यूक्रेन रूस जंग और इजरायल हमास युद्ध पर बात होने दी गई तो फिर आगे स्थिति बिगड़ सकती है। चीन के पास जब अध्यक्षता जाएगी तो वह दक्षिण एशिया के मसलों को उठा सकता है।
आगे कश्मीर जैसे मसले उठने का भी रहेगा खतरा?
इनमें कश्मीर जैसे मसले भी हो सकते हैं। चीन के अलावा कुछ और शक्तियां भी अध्यक्षता मिलने पर ऐसा कर सकती है। इस तरह जी-20 समिट के राजनीतिक मंच बनने की संभावना होगी। हाल ही में भारत की सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे द्विपक्षियों देशों से वार्ता हुई थी और इसमें इजरायल हमास युद्ध का मसला उठा था। ब्राजील से भी इस पर बात हुई थी, जो भारत के बाद जी-20 की अध्यक्षता करने वाला है।
पीएम मोदी करेंगे वर्चुअल समिट को संबोधित
22 नवंबर को होने वाली जी-20 वर्चुअल समिट को पीएम नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। इस दौरान वह दिल्ली में हुई समिट की सफलताओं को गिना सकते हैं। इसके अलावा भारत की अध्यक्षता के एक साल में किन मुद्दों पर दुनिया के अहम देशों में सहमति बनी है। इन पर भी चर्चा हो सकती है।