विदेश में भारतीय छात्र कितने सुरक्षित? 5 साल में हिंसक हमलों के 91 मामले, 30 की मौत
- रूस में 15 हमले दर्ज किए गए, लेकिन कोई मौत नहीं हुई। ब्रिटेन और जर्मनी में क्रमशः 12 और 11 मामले सामने आए। अमेरिका में 9 हमले हुए, जिनमें सभी छात्रों की जान चली गई। चीन और किर्गिस्तान से एक-एक मामला दर्ज हुआ।

विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर बीते 5 साल में हिंसक हमलों के 91 मामले सामने आए, जिनमें 30 की मौत हो गई। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कनाडा में सबसे ज्यादा 27 हमले हुए, जिनमें 16 मामलों में छात्रों ने दम तोड़ दिया। रूस में 15 हमले दर्ज किए गए, लेकिन कोई मौत नहीं हुई। ब्रिटेन और जर्मनी में क्रमशः 12 और 11 मामले सामने आए। अमेरिका में 9 हमले हुए, जिनमें सभी छात्रों की जान चली गई। चीन और किर्गिस्तान से एक-एक मामला दर्ज हुआ।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय छात्रों की सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास और मिशन ऐसी घटनाओं पर लगातार नजर रखते हैं। साथ ही, मेजबान देश की सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की जाती है ताकि अपराधियों को सजा मिल सके। सरकार ने यह भी बताया कि 2024 तक 20,77,158 NRI भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और इजरायल के बीच समझौते के तहत मार्च 2025 तक 6,694 भारतीय कामगार वहां गए चुके हैं। इनमें से 2,348 मजदूर बिल्डिंग निर्माण, 1,955 आयरन बेंडिंग, 1,600 प्लास्टरिंग और 791 सिरेमिक टाइलिंग के काम में लगे हैं।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित 2,400 घटनाएं
सरकार ने बताया कि 5 अगस्त, 2024 से 23 मार्च तक बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों से संबंधित 2,400 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं। साथ ही, उम्मीद है कि पड़ोसी देश इन मामलों की गहन जांच करेगा और इनमें से किसी भी घटना को राजनीति से प्रेरित कहे बिना सभी अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाएगा। विदेश राज्य मंत्री ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं के मानवाधिकार उल्लंघन का संज्ञान लिया है? उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं पर ध्यान दिया है। विभिन्न अवसरों पर बांग्लादेश सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाया है।’
(एजेंसी इनपुट के साथ)