रिश्ता शादी में तब्दील नहीं हुआ तो कोई गुनाह नहीं है… हाईकोर्ट ने खारिज किया रेप का मामला
- उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि आपसी रिश्ता अगर शादी में तब्दील नहीं हो पाया तो यह किसी की गलती नहीं है। इस दौरान उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार का मामला खारिज कर दिया है।
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उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान महिला द्वारा दायर बलात्कार के आरोपों को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि रिश्ते का शादी में तब्दील न होना व्यक्तिगत शिकायत का स्रोत हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। कोर्ट ने कहा, “टूटे हुए वादे के लिए कोई कानून नहीं है और न ही यह हर असफल रिश्ते को अपराध ठहराया जा सकता है।”
बता दें कि कोर्ट में एक मामले को लेकर सुनवाई चल रही थी जहां एक महिला ने पुलिस सब इंस्पेक्टर पर बलात्कार के आरोप लगाए थे। दोनों करीब 9 साल तक रिश्ते में रहे थे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “ दोनों ने 2012 में रिश्ता बनाया। दोनों अपनी सहमति से रिश्ते में आए थे लेकिन यह रिश्ता शादी में नहीं बदला। यह व्यक्तिगत शिकायत का स्रोत हो सकता है, लेकिन प्रेम का विफल होना कोई अपराध नहीं है, न ही कानून इसे धोखा करार देता है।”
शादी मंजिल नहीं है- कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि हमारी कानूनी व्यवस्था और इसे आकार देने वाली सामाजिक चेतना दोनों में सेक्स और विवाह की संरचनाओं को अलग करने की तत्काल जरूरत है। पीठ ने कहा, “यौन स्वायत्तता की अवधारणा, एक महिला का अपने शरीर, कामुकता और रिश्तों के बारे में स्वतंत्र फैसले लेने का अधिकार, नारीवादी दर्शन के भीतर निरंतर विवाद का विषय रहा है। पितृसत्तात्मक समाज में विवाह को महज एक औपचारिक कार्य बना दिया गया है, जिससे यह धारणा मजबूत हुई है कि महिला की कामुकता को पुरुष की प्रतिबद्धता से बांधा जाना चाहिए। शादी मंजिल नहीं है, न ही अंतरंगता का पूर्व निर्धारित परिणाम है। दोनों को मिलाना मानवीय रिश्तों को पुरातन अपेक्षाओं में कैद करना है।”
द सेकेंड सेक्स का जिक्र
कोर्ट ने कहा, "नारीवादी दर्शन ने अपेक्षाओं के अत्याचार के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई लड़ी है। यह गलत धारणा है कि एक महिला की भावनाएं केवल तभी वैध है जब वह विवाह से बंधी हो।” कोर्ट ने इस दौरान एक किताब का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा, "सिमोन डी ब्यूवोइर ने अपनी किताब द सेकेंड सेक्स में इस अपेक्षा में निहित अधीनता का जिक्र किया है। यह अनुमान कि एक महिला केवल विवाह की प्रस्तावना के रूप में अंतरंगता में संलग्न होती है, कि एक कार्य के लिए उसकी सहमति दूसरे के लिए एक मौन प्रतिज्ञा है, पितृसत्तात्मक विचार का अवशेष है, न्याय का सिद्धांत नहीं।”
महिला ने लगाए थे आरोप
इससे पहले महिला ने 2021 में पुलिस अधिकारी पर शादी का झूठा वादा करके बलात्कार करने का आरोप लगाया था। उसने यह आरोप भी लगाए हैं कि अधिकारी ने प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए उसे आपातकालीन गर्भनिरोधक भी दिया था। वहीं महिला ने 2023 में संबलपुर में एक फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसने अपील की कि उसे सब-इंस्पेक्टर की पत्नी का दर्जा दिया जाए और शख्स को किसी और से शादी करने की इजाजत ना दी जाए। महिला ने दावा किया कि उन्होंने संबलपुर के समलेश्वरी मंदिर में शादी की रस्में पूरी की हैं। हालांकि कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी।