पाकिस्तान का जो कोई समर्थन करेगा, उसका बहिष्कार होगा; तुर्की बायकॉट पर बोले एकनाथ शिंदे
तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और ड्रोन दिए, जो भारत के खिलाफ इस्तेमाल हो सकते हैं। इसके अलावा, तुर्की ने कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन किया, जिसे भारत अपनी संप्रभुता पर हस्तक्षेप मानता है।

तुर्की ने हाल के भारत-पाकिस्तान तनाव में पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया, जिसे लेकर भारत में नाराजगी फैल गई। भारतीयों की ओर से तुर्की का बड़े पैमाने पर बहिष्कार हो रहा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जो भी देश पाकिस्तान का समर्थन करेगा, उसका बहिष्कार किया जाएगा। शुक्रवार को ठाणे में उन्होंने कहा, 'तुर्की ने पाकिस्तान का सपोर्ट किया है जिसे लेकर देशवासी काफी नाराज हैं। इसलिए उनका बहिष्कार किया जा रहा है। तुर्की का सेब या कोई दूसरा सामान हो, उसकी खरीदारी नहीं होगी। हमारे यहां उसका विरोध किया जाएगा। हमारे विधायक ने इसे लेकर एक पत्र सौंपा है जिसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। इस तरह जो कोई भी पाकिस्तान को सपोर्ट करेगा, हम उसका बहिष्कार करेंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि माफी मांगने से कुछ नहीं होगा, उसे बराबर सबक सिखाया जाएगा।
दरअसल, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष का समर्थन किया और भारत के सैन्य अभियानों (जैसे- ऑपरेशन सिंदूर) को पाकिस्तान की संप्रभुता के खिलाफ बताया। इसके अलावा, तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन, युद्धपोत और सैन्य सामग्री मुहैया कराई, जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की के कार्गो विमानों ने पाकिस्तान को सैन्य सामान पहुंचाया, जिसने भारत के गुस्से को और भड़काया। भारत इसका विरोध इसलिए कर रहा है, क्योंकि तुर्की का यह रुख भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ माना जा रहा है।
भारत में 'बायकॉट तुर्की' अभियान तेज
भारत और तुर्की के बीच 10 बिलियन डॉलर से अधिक का व्यापारिक संबंध रहा है। इसके बावजूद, तुर्की ने कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बार-बार पाकिस्तान का साथ दिया। भारत का मानना है कि तुर्की की सैन्य सहायता आतंकवाद को बढ़ावा दे सकती है, जिसके खिलाफ लंबे समय से लड़ रहा है। भारत में 'बायकॉट तुर्की' अभियान तेज हुआ है, जिसमें तुर्की के उत्पादों और पर्यटन को निशाना बनाया गया है। भारतीय विमानन सुरक्षा ब्यूरो ने तुर्की की कंपनी सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी, जिससे तुर्की की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। यह तनाव भारत-तुर्की संबंधों को और जटिल बना रहा है। भारत का रुख स्पष्ट है कि वह किसी भी देश के ऐसे कदमों को बर्दाश्त नहीं करेगा, जो उसकी सुरक्षा और हितों को चुनौती दें।