वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर HC ने उठाया सवाल, घेरे में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार
- अब इस मामले में उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा और वक्त दे दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। बेंच ने कहा, ‘वक्फ अथॉरिटी मैरिज और तलाक के सर्टिफिकेट भी जारी कर रही है? हम आपको इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए और समय नहीं देंगे।’
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संसद में वक्फ बिल फिर से लाने की तैयारी है और इस बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर सवाल उठाया है। अदालत ने सोमवार को एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि आखिर कैसे स्टेट वक्फ बोर्ड मुस्लिम दंपतियों को मैरिज और तलाक के सर्टिफिकेट जारी कर सकता है। अदालत ने इस मामले में बीते साल उस सरकारी आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें वक्फ बोर्ड को प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया था। यह आदेश 30 अगस्त, 2023 को जारी किया गया था। उस आदेश में कहा गया था कि वक्फ बोर्ड और उससे संबंधित जिले के अधिकारी मुस्लिम कपल्स को प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।
अब इस मामले में उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए थोड़ा और वक्त दे दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और न्यायमूर्ति एमआई अरुण की खंडपीठ ने कहा, 'वक्फ अथॉरिटी मैरिज और तलाक के सर्टिफिकेट भी जारी कर रही है? हम आपको इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए और समय नहीं देंगे। आपके पास वक्फ ऐक्ट के तहत प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार नहीं है।' इस मामले में आलम पाशा नाम के शख्स ने अदालत में पीआईएल दाखिल की थी। उन्होंने राज्य सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि आखिर वक्फ बोर्ड के अधिकारी कैसे सरकारी मान्यता वाले प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।
याची ने कहा अदालत में कहा कि जो काजी मुस्लिमों की शादियां कराते हैं। सरकार ने अपने आदेश के तहत उन्हें ही प्रमाण प्रत्र जारी करने का अधिकार दे दिया है। वह वक्फ बोर्ड की तरफ से प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगे। सरकार का कहना है कि यह आदेश काजी ऐक्ट, 1988 के तहत जारी किया गया है। इस ऐक्ट को 2013 में ही वापस ले लिया गया था, लेकिन राज्य सरकार ने उसका ही जिक्र करते हुए आदेश जारी कर दिया। याचिका में कहा गया है कि वक्फ ऐक्ट सिर्फ चल और अचल संपत्ति के बारे में ही फैसला ले सकता है। उसके द्वारा शादी के प्रमाण पत्र आदि जारी नहीं किए जा सकते।
इस मामले में राज्य सरकार ने अदालत में कहा था कि हमने ऐसा आदेश मुस्लिम कपल्स की सुविधा के लिए दिया, जो शादी के बाद विदेश आदि चले जाते हैं। सरकार ने कहा कि हमने इसलिए ऐसा आदेश जारी किया क्योंकि शादी के बाद अपने क्षेत्र से बाहर जाने वालों को कई बार प्रमाण पत्र के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं। आज राज्य सरकार ने कहा कि हमारा वकील उपलब्ध नहीं है। इसलिए इस मामले की सुनवाई को आज के लिए टाल दिया जाए।