बोले रामगढ़:बोलीं नर्सें-हमारी सेवा को मिले उचित सम्मान
रामगढ़ के सदर अस्पताल में नर्सों की सेवा भावना और कठिनाइयों पर चर्चा की गई। अस्पताल में नर्स मरीजों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इंटरनेशनल नर्स डे पर नर्सों के योगदान को सराहा गया,...

रामगढ़। अस्पताल में मरीजों के सबसे नजदीक कोई होता है तो वह नर्स होते हैं। मरीज अस्पताल में जितनी देर रहता है उसकी सबसे ज्यादा तिमारदारी नर्स ही करते हैं। मरीज को कोई भी दिक्कत हो तो मरीज और उसके परिजन पहले नर्स को ही खोजते हैं। पहले नर्स में महिलाएं ही होती थी, वर्तमान में नर्स में पुरुष भी शामिल हुए हैं। किसी भी अस्पताल में 24 घंटे मिलने वाली नर्स के कंधे पर अस्पताल की आधा से ज्यादा जिम्मेवारी होती है। इंटरनेशनल नर्स डे पर हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ कार्यक्रम में टीम ने रामगढ़ सदर अस्पताल में काम करनेवाली नर्सों की परेशानी और सुझावों पर उनसे बात की।
अस्पताल में काम करने वाली नर्सों की सेवा भावना को देखते हुए ही पूरे विश्व में 12 मईको इंटरनेशल नर्स डे मनाने की परांपरा शुरू हुई। इस दिन को मनाने की शुरुआत जनवरी 1974 से हुई थी। मरीजों के प्रति उनकी सेवा, साहस और उनके सराहनीय कार्यों के लिए यह दिन हर साल मनाया जाता है। मार्डन नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन को पूरी दुनिया इंटरनेशनल नर्स डे के रूप में मनाती है। नर्स की ड्यूटी इतनी आसान नहीं होती है। दिन और रात पूरी तन्मयता के साथ नर्सेस मरीजों की सेवा करती हैं। कारोना जैसी महामारी में नर्सों ने अपनी सेवा का उदाहरण देकर यह साबित कर दिया है कि वे किसी भी स्थिति में सेवा जैसे काम से पीछे नहीं रहेंगे। हम दुनिया भर की सभी नर्स और उनके ओर से किए गए अविश्वसनीय काम को सम्मान देते हैं और इस दिवस के रूप में उनके योगदान को याद करने और उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। नर्स हर समय निश्चित रूप से कठिन वातावरण में काम करती हैं। जहां अत्यधिक तनाव नौकरी का एक हिस्सा है। नर्स दुनिया में नया जीवन लाने में मदद करती हैं, बीमारों और घायलों की अथक देखभाल करती हैं। झारखंड के अस्पतालों में नर्सों की हमेशा ही भारी कमी रही है। लेकिन इस बीच भी मरीजों को नर्सिंग में कोई कमी नहीं आई। मरीजों को उनके बेड तक सेवा मिलती आ रही है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सहायक के तौर पर नर्स के योगदान की बात करें तो जितना कहा जाए उतना कम है। नर्स अपने पेशे को बखूबी निभाती हैं। वह स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र की रीढ़ बन चुकी हैं। कोरोना महामारी के समय उनके किए गए सेवा से हम सब वाकिफ हैं। उस समय बहुत से डॉक्टर भी ऑनलाइन सलाह दे रहे रहे थे, ऐसे भयावह माहौल में नर्स अस्पतालों में मरीजों का इलाज व सेवा में जुटी हुई थीं। कोविड-19 महामारी से लड़ने में नर्स ने अपनी जान की बाजी लगा दी। इस मुश्किल समय में कई नर्स की जान तक चली गई। अस्पताल की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होती है। नर्सिंग पेशा केवल एक नौकरी नहीं है, बल्कि सेवा, समर्पण और करुणा का अद्वितीय उदाहरण है। जब कोई मरीज अस्पताल के बिस्तर पर होता है, तो डॉक्टर की विशेषज्ञता जितनी जरूरी होती है, उतनी ही अहमियत नर्सों की देखभाल, उनके स्पर्श और धैर्य की भी होती है। नर्स न केवल मरीजों का शारीरिक उपचार करती हैं, बल्कि मानसिक संबल भी प्रदान करती हैं। इनकी इसी सेवा को सम्मान देने के लिए इंटरनेशल नर्स डे मनाया जाता है। अस्पताल में भी नर्सों को कई दुश्वारियों के बीच काम करना होता है। इसके बाद भी अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटती है। कई बार इन्हें डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की काम के दौरान डांट खानी पड़ती है तो कई बार मरीजों के परिजनों की कोप का यह भाजन बनती हैं। करने को तो नर्स भी डयूटी करती हैं इनकी डयूटी में सेवा सर्मपण साफ दिखाई पड़ता है। नर्सों के बात व्यवहार का मरीजों के ठीक होने पर असर पड़ता है। अस्पातल में राउंड से चिकित्सकों के जाने के बाद नर्सों के सहारे ही मरीजों की पूरी जिंदगी होती है। वे भी पूरी तन्यमता से अपनी डयूटी निभाती रहती हैं। काम के दौरान कई बार मरीजों के परिजनों से जब इनकी कोई कहा सुनी हो जाती है तो इन्हें पीड़ा भी पहुंचती है इसके बावजूद मरीज के प्रति अपने मन में बिना कोई कोख्त रखे ये उनकी सेवा से पीछे नहीं हटती हैं। मरीज-डॉक्टर के बीच में पुल का काम करती है नर्स नर्स स्टाफ के बिना किसी भी अस्प्ताल की कल्पना बेमानी सी लगती है। अस्पताल में डॉक्टर के बाद सबसे उपयोगी कर्मी के रूप में नर्सों का योगदान होता है। नर्स डॉक्टर और मरीज के बीच पुल का काम करती हैं। अस्प्ताल में भर्ती होने के बाद मरीज अपनी सारी पीड़ा नर्स को ही बताता है, नर्स उसे डॉक्टर तक पहुंचाती है। बाद में डॉक्टर की सलाह पर मरीज का इलाज अस्प्ताल में किया जाता है। काम के दौरान नर्सो को कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। अस्प्ताल में नर्स की कमी के कारण एक नर्स को औसत से अधिक मरीज का ध्यान रखना पड़ता है। नर्सों का मनोबल बढ़ाने की है जरूरत सदर अस्पताल के स्टाफ नर्सों ने कहा कि सेवा के इस पवित्र कार्य में उनका मनोबल बनाए रखने के लिए उन्हें सुरक्षा, सुविधाएं और स्थायी भविष्य का भरोसा मिलना अत्यंत आवश्यक है। तभी वे पूरी तन्मयता से समाज की सेवा कर सकेंगी और मरीजों के जीवन में उम्मीद की किरण बन सकेंगी। सदर अस्पताल में नर्सों ने बताया कि किसी प्रकार की कोई परेशानी उन्हें यहां नहीं है। कई बार काम करते हुए उन्हें प्रबंधन, डॉक्टर और मरीज के परिजनों का कोप भाजन बनना पड़ता है जिसमें उनका कोई दोष नहीं होता है। हर मरीज की वे एक जैसा ही इमानदारी से सेवा करती है। बेहद कठिन होता है रोते को हंसाना आमतौर पर अस्पताल में मरीज बुरा हाल में ही पहुंचते हैं। मरीज रोते हुए यहां आते हैं और उन्हें स्वस्थ करके हंसाते और खिलखिलाते हुए वापस घर भेजना बेहद कठिन काम होता है। इसके लिए सदर अस्पताल में काम करने वाली नर्सों की टीम को कठिन दौर से गुजरना होता है। दिन रात मरीजों की सेवा करनी होती है। तब जाकर मरीज और उनके स्वजनों के चेहरे पर मुस्कान आती है। इस मुस्कान के एवज में नर्स भी स्वजनों से अपने लिए अच्छा व्यवहार की उम्मीद करती हैं। ताकि उनके बाद दूसरे मरीजों के साथ भी वे उसी तत्परता और उल्लास भी सेवा में जुटी रहें। बहुत चैलेंजिंग होती है यह नौकरी रामगढ़ सदर अस्पताल में काम करने वाली नर्स कहती हैं कि प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में मरीज पहुंचते हैं। उनकी सेवा करना और उन्हें स्वस्थ करके वापस घर भेजना किसी चैलैंज से कम नहीं होता है। दिन रात सदर अस्पताल में नर्स की ड्यूटी होती हैं। हर हाल में उन्हें मरीजों की देखभाल करनी होती है। हालांकि इसके एवज में हमें किसी प्रकार की कोई अपेक्षा भी नहीं होती है। इतने तनाव के बाद भी मरीज के साथ उनका व्यवहार बेहतर रहे इसके लिए वे हमेशा प्रयासरत रहती हैं ताकि किसी को कोई शिकायत का मौका नहीं मिल सके। इसके बाद भी काम के दौरान कभी कोई गलती हो जाना कोई बहुत अचरज की बात नहीं होती है। ऐसे में नर्सों की बात भी समझने की जरूरत हैं। दिन भर अस्पताल में रहकर हम सभी मरीजों की सेवा करते हैं। उनका स्वास्थ्य सुधारने को लेकर मेहनत करते हैं। लेकिन कई बार नर्सों के साथ मरीज के परिजन दुर्व्यवहार करते हैं। -ललिता देवी अस्पताल में नर्सों की कमी है। जिससे मरीजों के बढ़ने पर हमपर बोझ बढ़ जाता है। वायरल बीमारियों के समय हर रोज हज़ारों मरीजों को संभालने की जरूरत पड़ती है। -सरिता कुमारी दिन भर अस्पताल में सेवा करते हैं। लेकिन अक्सर घर के लोगों की सेवा नहीं कर पाते। परिवार के लिए समय निकालना कठिन होता है। ज्यादातर समय अस्पताल में गुजरता है। -पूनम कुमारी कई बार मरीज दुर्घटना के बाद काफी गंभीर व चोटिल अवस्था मे आते हैं। उनका इलाज में डॉक्टरों के साथ हम भी रहते हैं। यह सब देखने से दिमाग मे यही घूमता रहता है। -निशि डुंगडुंग स्टाफ की कमी है। जिस कारण नर्सों पर काफी बोझ बढ़ जाता है। मरीजों के इलाज के अलावा भी अन्य काम करना पड़ता है। इसको देखते हुए हमारा मानदेय भी बढ़ना चाहिए। -अंशु कुजूर नर्सों की कमी को देखते हुए अतिरिक्त नर्सों को भर्ती करना चाहिए। एकाएक जब मरीजों की संख्या बढ़ती है तो हमलोगों का बोझ बढ़ जाता है। जिस कारण नर्स काफी थक जाती है। -सविता कुमारी सदर अस्पताल में सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं। उनकी सेवा करना और उन्हें स्वस्थ करके वापस घर भेजना किसी चैलैंज से कम नहीं होता है। दिन रात सदर आपताल में नर्स की ड्यूटी होती हैं।-प्रियंका कुमारी मरीजों के अंदर की बात को समझना बेहद जरुरी होता है। इलाज के दौरान जब मरीज कुछ कहने सुनने की स्थिति में नहीं होते हैं वैसी स्थिति में नर्सों की जिम्मेवारी बढ़ जाती है। -उषा रानी डॉक्टरी जांच के बाद से ही नर्स का कार्य शुरु हो जाता है। जिसके बाद जबतक मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता उसकी सारी जवाबदेही नर्सों के ऊपर होती है। -सुमित कुमार नर्स कठिन वातावरण में काम करती हैं। अत्यधिक तनाव नौकरी का एक हिस्सा है। नर्स दुनिया में नया जीवन लाने में मदद करती हैं। इसलिए उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाना चाहिए। -रुक्मणि कुमारी आमतौर पर अस्पताल में मरीज बुरे हाल में ही पहुंचते हैं। मसलन रोते हुए यहां आते हैं और उन्हें स्वस्थ करके हंसाते और खिलखिलाते हुए वापस घर भेजना बेहद कठिन काम होता है। -प्रियंका पोद्दार आमतौर पर अस्पताल में एक नर्स को एक साथ कई गंभीर मरीजों की सेहत को देखना होता है। ऐसे में यह काम किसी चुनौती से कम नहीं है। हम इसे गंभीरता से लेते हुए काम करते हैं। -दिलीप महतो अस्पताल चाहें सरकारी हो या निजी दोनों ही जगह में जितना डॉक्टर जरूरी मरीज के लिए होते हैं उतना ही जरूरी नर्स भी मरीज के लिए होते हैं। इसलिए नर्स की जायज मांगों के लिए संगठन हमेशा प्रखर होकर इनकी मांगों को ऊपर तक लेकर जाती है और उनकी समस्याओं का निदान कराती है। लेकिन मौजूदा समय मे नर्स की कोई मांग लंबित नहीं है। -अजय चित्रा, उपाध्यक्ष अनुबंधित कर्मचारी संघ, झारखंड जिले के अस्पतालों में सैकड़ों नर्स कार्यरत हैं। सभी नर्स अपने सेवा भाव से कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। नर्स आवश्यकता अनुसार मरीजों के पेशाब, पैखाना, खखार और सेनेटरी नेपकिन तक को बदलती है। लेकिन आए दिन उसके दिए गए सेवा को उपहास के रुप में सुनना पड़ता है। आज भी नर्स के दिए गए सेवा को समझने की जरूरत है। -डॉ.ठाकुर मृत्युंजय सिंह, उपाधीक्षक सदर अस्पताल, रामगढ़
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।