महाकुंभ ने तोड़ा प्रयागराज एयरपोर्ट का 93 साल का सूखा, 1932 के बाद इंटरनेशनल उड़ान
महाकुंभ से प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश कई मील के पत्थर स्थापित होते देख रहा है। इन्हीं में से एक प्रयागराज एयरपोर्ट से 93 साल बाद किसी विदेशी विमान की लैंडिंग और टेक ऑफ भी है। 1932 के बाद प्रयागराज में किसी विदेशी विमान ने लैंड किया और उड़ान भरी है।
महाकुंभ से प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश कई मील के पत्थर स्थापित होते देख रहा है। इन्हीं में से एक प्रयागराज एयरपोर्ट से 93 साल बाद किसी विदेशी विमान की लैंडिंग और टेक ऑफ भी है। प्रयागराज एयरपोर्ट से अंतिम इंटरनेशनल विमान ने 1932 में उड़ान भरी थी। यह विमान लंदन गया था। इस बार भूटान का विमान यहां उतरा और यहां से टेक ऑफ किया है। भले ही इस विमान से एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब्स और उनके कुछ सहयोगियों ने ही उड़ान भरी है लेकिन नौ दशक का इंटरनेशनल विमानों के यहां आने और उड़ने का सूखा जरूर खत्म किया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1911 में 18 फरवरी को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में ही घरेलू वाणिज्यिक विमानन की शुरुआत हुई थी और यहां से हेनरी पिकेट ने एक हंबर बाइप्लेन छह मील दूर नैनी के पोलो मैदान तक उड़ाई थी। इसके बाद प्रयागराज में एयरपोर्ट का निर्माण 1924 में शुरू हुआ था।
करीब सात साल बाद 1931 में निर्माण पूरा हुआ और ब्रिटिश सरकार ने एटीसी का संचालन शुरू करते हुए विशेष रूप से प्रशिक्षित अधिकारी की भी यहां नियुक्ति की थी। उस समय लंदन से देश में चार एयरपोर्ट पर ही सीधी विमान सेवा संचालित हो रही थी। इन चार में से एक प्रयागराज का एयरपोर्ट भी था। हालांकि 1932 में लंदन के लिए अंतिम इंटरनेशनल विमान ने उड़ान भरी।
अब 93 साल बाद किसी इंटरनेशनल विमान ने यहां टेक ऑफ और लैंड किया है। भूटान का चार्टर्ड विमान यहां उतरा और 15 जनवरी को लॉरेन जॉब्स को लेकर उड़ान भरी है। लॉरेन जॉब्स निरंजनी अखाड़े के साधु संतों के साथ काशी से प्रयागराज पहुंची थीं। कई दिनों तक यहां रहने और निरंजनी के महामंडलेश्वर कैलाशानंदगिरि से मंत्र दीक्षा के साथ ही कमला का नया नाम लेकर यहां से रवाना हुई थीं। लॉरेन के पहले 29 जनवरी मौनी अमावस्या तक यहां रहने की चर्चा थी लेकिन भूटान के राजा के यहां निमंत्रण और अमेरिका में ट्रंप के शपथ ग्रहण के कारण उनको 15 जनवरी को ही जाना पड़ गया।