पुलिस का दावा है कि मसीह प्रयागराज में संपन्न हुए 45 दिवसीय महाकुंभ के दौरान आतंकी हमले की योजना बना रहा था, जो 26 फरवरी को समाप्त हुआ था।
आग की ऊंची-ऊंची लपटें 3 किलोमीटर की दूरी से देख गईं। आसमान में धुएं के गुबार भी दिखाई दिए। मौके पर पहुंचे फायर ब्रिगेड के कर्मचारी आग पर काबू पाने की कोशिशों में जुट गए। लेकिन टेंट हाउस में लकडी और ज्वलनशील चीजें रखी होने की वजह से आग बढ़ती जा रही थी।
महाकुंभ में सबसे खूबसूरत साध्वी के नाम से चर्चित हुईं हर्षा रिछारिया की वृंदावन से संभल की 175 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू हो गई है। पदयात्रा शुरू करते ही उनकी चप्पल गायब हो गई। ऐसे में नंगे पैर ही उन्होंने यात्रा शुूरू कर दी है।
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ में मारे गए 37 में से 35 लोगों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए का मुआवजा दे दिया गया है। मारे गए लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर देने का दावा किया जा रहा है। हालांकि मृतकों की सूची अब भी नहीं आई है।
महाकुंभ मेला 45 दिनों का एक धार्मिक आयोजन था। यह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संपन्न हुआ। यह आयोजन 12 वर्षों के बाद हुआ और 26 फरवरी को समाप्त हुआ।
महाकुंभ में वायरल गर्ल के नाम से मशहूर हुईं माला बेचने वाली मोनालिसा अब वाराणसी में आयोजित धुरंधर हास्य कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगी। हालांकि मोनालिसा यहां नहीं आ रही हैं। उनकी जगह उनकी तस्वीर को मुख्य अतिथि बनाया जाएगा।
स्पेसएक्स क्रू-9 ने मिशन को पूरा किया और बुधवार तड़के 03.27 बजे अमेरिका की खाड़ी में फ्लोरिडा के तल्हासी के तट पर स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सुरक्षित रूप से उतरा। इसमें सवार होकर ही सुनीता विलियम्स 9 महीनों के लंबे समय के बाद धरती पर लौटी हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन, भीड़ प्रबंधन, भक्तों के लिए सुविधाओं की व्यवस्था, कार्यक्रमों के दौरान किसी भी प्रकार की आपदा की रोकथाम आदि लोक व्यवस्था से जुड़े हुए हैं, जो राज्य का विषय है।
इससे पहले PM मोदी ने ‘महाकुंभ’ को लेकर कहा कि दुनिया ने देश के विराट स्वरूप को देखा और यह ‘सबका प्रयास’ का साक्षात स्वरूप भी था, जिसमें ‘एकता का अमृत’ समेत कई अमृत निकले।
पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के आयोजन की संसद में सराहना की और कहा कि इससे देश की एकता का संदेश मिला है। यही नहीं उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारत के इतिहास में ऐसा ही क्षण था, जैसा 1857 की क्रांति, भगत सिंह का बलिदान और गांधी का डांडी मार्च था।