कोरोना महामारी का खतरा टलने के बाद अधिकांश जगहों पर कोविड गाइडलाइन की पाबंदियां भी हट गई हैं। कोविड की निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता अब नहीं रही। बीते दो साल से जिले में एक भी कोरोना पाजिटिव मरीज भी नहीं है।
जंगल बुक का नाम तो सभी ने सुना होगा। मोगली की इस कहानी को किसी ने टीवी पर तो किसी ने फिल्मी पर्दे पर देखा होगा। तमाम लोगों ने इसको किताब में भी पढ़ा होगा। अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व भी अपनी जंगल बुक तैयार करने जा रहा है।
फलों सब्जियों पर लगातार बढ़ते जा रहे पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से जहां लोग बीमार हो रहे हैं वहीं बिजनौर के मुकेश कुमार का अनोखा प्रयास सभी के लिए मिसाल बन गया है। अपनी छोटी सी 400 गज जगह में बगिया तैयार कर करीब 100 तरह के जैविक फल और सब्जी उगा रहे हैं।
सर्दी और हांड कंपाती ठिठुरन में सड़कों पर खुद को छुपाने की जद्दोजहद में जुटे निराश्रित डॉग्स के लिए मेरठ शहर के कुछ लोगों ने अपने दिल में बड़ी जगह दे दी। सर्दी से बचाने के लिए इन मददगारों ने अपने घर के बाहर निराश्रित डॉग्स के लिए घर बनवा दिए।
छोटी सी माचिस पर ओलंपिक में मेडल विजेता खिलाड़ियों के पोर्ट्रेट। फिर इस माचिस की बरेली के किसी प्रमुख स्थल के सामने ली गई तस्वीर और उसके बाद तैयार हुआ एक डिजाइनर कैलेंडर। एक ऐसा कैलेंडर जिसको बरेली के लोगों ने हाथों-हाथ लिया।
गोण्डा जिले के एक कारोबारी आदित्य पाल और उनकी शिक्षक पत्नी ने बेटे की चाह छोडकर समाज को नया संदेश दिया। अपनी बेटी के सपने को एक बेटे की तरह पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी दो बेटियां वैष्णवी और भव्या है।
सर्दी के मौसम की शुरुआत होने के बाद घरों की बगिया भी रंगबिरंगे फूलों के पौधों से सजने लगी है। इन दिनों नर्सरी पर फूलों वाले पौधों की मांग अचानक से बढ़ गई है। लोग देशी से ज्यादा विदेशी पौधों को तरजीह दे रहे हैं।
भारत की आजादी के इतिहास में पश्चिमी यूपी का सहारनपुर शामिल रहा है। यहां स्थित फुलवारी आश्रम में आजी की लड़ाई के दौरान कई आंदोलनकारियों ने शरण ली। यहां तक की भगत सिंह भी आश्रम में स्थित मंदिर की गुफा में रहे थे।
सहारनपुर की विलुप्त हो चुकी सिंधली नदी बहुत जल्द पुनर्जीवित होगी। इसके लिए शासन से पांच करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। खास बात यह है कि रिकॉर्ड में 1952 के आसपास एक संकरे नाले के रूप में नदी का अस्तित्व मिला है।
राप्ती नदी के तट पर यह स्थान सहेठ-महेठ के अवशेषों से चिह्नित कोसला साम्राज्य की राजधानी रही श्रावस्ती की भूमि कई रहस्यों को संजोए हुए है। कई सवालों के जवाब अनुत्तरित हैं। उन्हीं में से एक है सूरदास बाबा का आश्रम जिसका सम्मान राप्ती भी करती है।
सरकारी स्कूलों में युवा शिक्षकों की भर्ती हुई तो पढ़ाई के तरीके भी बदल गए। आज हम ऐसी ही एक शिक्षिका के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी कल्पना ने ऐसा कमाल कर दिया कि देश ही नहीं विदेशों तक उनके नाम की धूम मची है।
बरेली की जनकपुरी कालोनी के मूक बधिर प्रदीप अग्रवाल ने चुनौतियों से मुकाबला कर आजीविका के क्षेत्र में नया मुकाम बनाया है। प्रदीप अग्रवाल ने सॉफ्ट टॉयज और घरेलू उपयोग के बैग बनाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे मांग बढ़ती गई।
एक मासूम जिंदगी ने न केवल मौत को मात दी, बल्कि मानवता की सबसे सुंदर तस्वीर भी दुनिया के सामने पेश की। दरअसल 2 महीने पहले इस नवजात बच्ची को किसी ने जंगल में मिट्टी में जिंदा दफना दिया था। सूचना मिलने पर पुलिस ने इसे अस्पताल में भर्ती कराया। अब इस नर्सें बच्ची का ख्याल रख रही हैं।
वायु प्रदूषण का जिक्र हो तो सबसे पहले पराली जलाए जाने की बात दिमाग में आती है। लखनऊ के एक छात्र ने उसी पराली से हवा को साफ करने वाला एयर फिल्टर ही बना दिया। क्लास 6 में पढ़ने वाले कृष्णा के हुनर को आईआईटी मुम्बई ने सराहा है।