बांस-बेंत का फर्नीचर और शोपीस तैयार करने वाले बरेली के एकता महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों की देश-विदेश में जबरदस्त डिमांड है। 10 महिलाओं का समूह अपने हुनर से लोगों को लुभा रहा है।
यूं तो मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र में पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता वाले कई स्थल हैं। ऐतिहासिक महत्ता का तेलिया बुर्ज हो या कादूनाला, दादरा का हींगलाज धाम हो या श्वेत बाराह क्षेत्र या फिर पिंडारा का महादेवन मंदिर।
मौसम का असर दुधारू पशुओं पर भी पड़ता है। खास करके गर्मी और उसके बाद बारिश के मौसम में जब चारे की समस्या होती है तो पशुपालक परेशान हो जाते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र बरेली के वैज्ञानिकों ने किसानों को अभी से तैयारी करने की सलाह दी है।
यूपी के एक छोटे से जिले में किसान गेहूं-गन्ने के साथ चंदन की भी खेती कर रहे हैं। चंदन के पौधों को रोपित कर जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। खास बात ये है कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
रेल कारखाना के अप्रेटिंस प्रशिक्षुओं ने कबाड़ का कुछ ऐसा इस्तेमाल किया है कि हर कोई उनकी तारीफ में पुल बांध रहा है। दरअसल, इन लोगों ने कबाड़ से हाथी और एक बाघ का मॉडल तैयार किया है।
यूपी के हापुड़ जिले के सिंभावली में दरगाही बाबा की 300 साल से भी पुरानी समाधि है। यह श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र है। इसे लेकर दावा किया जाता है कि यहां सच्चे मन से आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों से अधिक बाघिनों की चर्चा है। दर्जनों बाघों के बीच एकाएक जंगल में बाघिनों ने अपना दायरा तैयार कर लिया है। इन बाघिनों में फुर्ती ऐसी कि जरा सी आहट पाकर आंखों से ओझल हो जाती हैं।
कोरोना महामारी का खतरा टलने के बाद अधिकांश जगहों पर कोविड गाइडलाइन की पाबंदियां भी हट गई हैं। कोविड की निगेटिव रिपोर्ट की बाध्यता अब नहीं रही। बीते दो साल से जिले में एक भी कोरोना पाजिटिव मरीज भी नहीं है।
जंगल बुक का नाम तो सभी ने सुना होगा। मोगली की इस कहानी को किसी ने टीवी पर तो किसी ने फिल्मी पर्दे पर देखा होगा। तमाम लोगों ने इसको किताब में भी पढ़ा होगा। अब पीलीभीत टाइगर रिजर्व भी अपनी जंगल बुक तैयार करने जा रहा है।
फलों सब्जियों पर लगातार बढ़ते जा रहे पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से जहां लोग बीमार हो रहे हैं वहीं बिजनौर के मुकेश कुमार का अनोखा प्रयास सभी के लिए मिसाल बन गया है। अपनी छोटी सी 400 गज जगह में बगिया तैयार कर करीब 100 तरह के जैविक फल और सब्जी उगा रहे हैं।