Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Sandalwood is also being cultivated along with wheat and sugarcane in Shamli

Hindustan Special: गेहूं-गन्ने के साथ चंदन की भी खेती, इस जिले के किसानों को मिल रहा जबरदस्त मुनाफा

  • यूपी के एक छोटे से जिले में किसान गेहूं-गन्ने के साथ चंदन की भी खेती कर रहे हैं। चंदन के पौधों को रोपित कर जबरदस्त मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही दूसरे किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। खास बात ये है कि कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो रहा है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, तनुज कुमार, शामलीFri, 14 Feb 2025 08:57 PM
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Hindustan Special: गेहूं-गन्ने के साथ चंदन की भी खेती, इस जिले के किसानों को मिल रहा जबरदस्त मुनाफा

अपनी खुशबू और औषधीय गुणों के लिए चंदन की पूरी दुनिया में भारी मांग है। भारत में ही ऐसे बहुत से किसान हैं, जो चंदन की खेती से करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। आज हम आपको यूपी के एक छोटे जिले शामली के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां किसान चंदन के पौधों को रोपित कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही दूसरे किसानों को प्रेरित भी कर रहे हैं। शामली के कांधला में ग्रामीण क्षेत्र के किसान गेहूं व गन्ने की बुवाई के साथ चंदन का पालन कर कृषि क्षेत्र में अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगे हैं। क्षेत्र के दो स्थानों पर किसान चंदन की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर चंदन के वृक्षों को बो रहे हैं।

दो साल पूर्व अपने खेत में चंदन के 150 वृक्ष लगाए

गांव भभीसा के किसान सतीश ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद दो वर्ष पूर्व अपने खेत में चंदन के डेढ़ सौ वर्ष लगाए थे। उन्होंने बताया कि तीन बीघा जमीन के 150 पौधों को रोपित किया है। आधुनिक संसाधनों के साथ चंदन के वृक्षों देखभाल भी की जा रही है। सफेद चंदन की पौध तैयार कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते है। इसके साथ ही अब वह दूसरे किसानों को भी चंदन की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। किसान का कहना है कि यह खेती लंबे समय में तैयार होती है, लेकिन यह जितना इंतजार करवाती है, उससे ज्यादा मुनाफा भी देती है। किसान प्रदीप कुमार सिंघल ने बताया कि वर्ष 2020 में चंदन की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने 5 बीघा खेत में चंदन के 250 वृक्षों को आरोपित किया गया था। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे खेत की तारबंदी की गई थी। अब खेत में 100 से भी अधिक वृक्ष हवा में लहरा रहे हैं।

गेहूं-धान, गन्ने की फसल साथ चंदन भी देगा मुनाफा

किसान प्रदीप कुमार बताते हैं कि मौजूदा समय में गन्ना, धान, गेहूं की खेती में लागत ज्यादा और आय कम होती है। इसलिए उन्होंने अपनी आय बढ़ाने के लिए चंदन कि खेती करने का मन बनाया। जहां अब वह चंदन की खेती की पूरी जानकारी एकत्र करने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए बेंगलुरु चले गए। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से चंदन की खेती के संबंध में विस्तार से जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त किया। गन्ना, धान, गेंहू के साथ चंदन की खेती में भी हाथ आजमा रहे हैं।

150 से 250 रुपए में मिलता है चंदन का पौधा

किसान प्रदीप कुमार सिंघल ने बताया कि चंदन की खेती के लिए कुरुक्षेत्र नर्सरी से खेत में लगाने के लिए चंदन की बहु कीमती पौध को लाया गया था। डेढ़ सौ से ढाई सौ रुपए की कीमत में चंदन के पौधे मिलते हैं। उन्होंने अपने खेत में ढाई सौ रुपए की कीमत के चंदन का पौधा लगाकर तैयार किया है।

12 साल में होंगे तैयार होंगे चंदन के वृक्ष

किसान ने बताया कि 5 बीघा में चंदन के 250 पौधे लगाए जाते हैं, जिसमें लगभग 100,000 रुपये की लागत आती है लेकिन, मुनाफा इससे कहीं ज्यादा होता है। एक एकड़ जमीन से जब पेड़ तैयार होता है तो चार से पांच करोड़ का मुनाफा किसान कमा सकता है। चंदन का पेड़ 10-12 साल में तैयार होता है। एक पेड़ से लगभग चालीस से पचास किलो हार्ड बूड प्राप्त होती है। अपने खेत में 6 फुट की दूरी पर प्रत्येक पौधे को अर्पित किया है, जो तैयार होकर 12 फीट क्षेत्र को घेर कर लहराता है।

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पौधों को लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता

लाल चंदन की खेती दक्षिण भारत के राज्यों में होती है, जबकि सफेद चंदन उत्तर प्रदेश में हो सकती है। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान साढ़े सात पर्याप्त है। इसके लिए डालवों जमीन, जल सोखने वाली उपजाऊ चिकनी मिट्टी तथा 500 से लेकर 625 मिमी तक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। चंदन के पौधे के साथ होस्ट का पौधा लगाना जरूरी होता है, क्योंकि चंदन का पौधा होस्ट के बिना फल-फूल नहीं सकता है. होस्ट के पौधों से चंदन की जड़ों को मजबूती मिलती है. तभी चंदन का विकास तेजी से होता है।

अत्यधिक पानी के प्रयोग से चंदन का पेड़ होता है खराब

किसान सतीश जावला ने बताया कि खेत में चंदन के पौधे रोपित करने के बाद तीन-चार वर्षो तक कड़ी मेहनत के साथ देखभाल करनी पड़ती है। खेत में अत्यधिक पानी होने से बचाया जाता है। अत्यधिक पानी होने के बाद चंदन के वृक्ष कमजोर होकर नष्ट हो जाते हैं।

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