Hindi Newsदेश न्यूज़old pension scheme raises bjp tension in tripura assembly election narendra modi amit shah - India Hindi News

हिमाचल के बाद अब इस राज्य में पुरानी पेंशन पर बढ़ेगी भाजपा की टेंशन, विपक्ष ने किया वादा

प्रकाश करात ने कहा कि यदि हमारी सरकार बनती है तो कैबिनेट की पहली ही मीटिंग में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का फैसला लिया जाएगा। त्रिपुरा में यह मुुद्दा भाजपा के गले की फांस बन सकता है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, अगरतलाTue, 14 Feb 2023 09:50 AM
share Share

बीते साल के आखिर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव हुए थे। इनमें से गुजरात में भाजपा को बंपर जीत मिली थी, लेकिन पहाड़ी राज्य में वह करीबी अंतर से हार गई थी। करीब एक फीसदी कम वोट मिलने से भाजपा को 15 सीटें कम मिलीं और पार्टी को हार का सामना करना पड़ गया था। उस एक फीसदी कम वोट की वजह पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा बनना माना गया था। पहाड़ी राज्य में सरकारी कर्मचारियों की एक बड़ी संख्या है और पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के कांग्रेस के ऐलान के चलते उनका एक वर्ग उसकी तरफ रुख कर गया। वहीं भाजपा इस मुद्दे पर खुलकर कोई वादा नहीं कर पा रही थी। 

भाजपा के सामने यही संकट अब त्रिपुरा में भी खड़ा होता दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि मुख्य विपक्षी दल सीपीएम ने अपनी सरकार बनने पर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर दिया है। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता प्रकाश करात ने सोमवार को कैंपेन के दौरान कहा कि यदि हमारी सरकार बनती है तो कैबिनेट की पहली ही मीटिंग में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का फैसला लिया जाएगा। इसके अलावा हाई कोर्ट के फैसले के चलते नौकरी से बाहर हुए 10 हजार शिक्षकों को भी दोबारा बहाल करने का भी वादा किया गया है। कांग्रेस और टीएमसी ने भी इन टीचरों की बहाली का वादा कर दिया है।

1 लाख कर्मचारी और 80 हजार पेंशनर कर सकते हैं खेल

छोटे राज्य त्रिपुरा में भी हिमाचल की तरह ही सरकारी कर्मचारियों का बड़ा वर्ग है। ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम के वादे भाजपा की टेंशन को बढ़ा सकते हैं। भाजपा ने अब तक किसी भी राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम पर खुलकर कोई ऐलान नहीं किया है। ऐसे में विपक्ष का इस पर आक्रामक होकर वादे करना उसे बैकफुट पर धकेल सकता है। त्रिपुरा में 1 लाख नियमित सरकारी कर्मचारी हैं और 80,800 पेंशनर हैं। यदि इन परिवारों ने पेंशन के मुद्दे पर वोट देने का फैसला लिया तो फिर यह चुनाव में निर्णायक हो सकता है। 

क्यों शिक्षकों की बहाली का मुद्दा भी बन गया है सिरदर्द

हाई कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी खोने वाले शिक्षकों ने भी चुनाव में मुद्दा बनाने के संकेत दिए हैं। एक आंदोलनकारी शिक्षक ने कहा कि हम प्रदर्शन कर रहे हैं और नौकरी पर बहाली की मांग कर रहे हैं। पूर्व सीएम बिप्लब देब ने हमें दोबारा नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं किया जा सका। बता दें कि त्रिपुरा हाई कोर्ट ने 2011 और 2014 के अपने फैसलों के जरिए 10,323 शिक्षकों को यह कहते हुए नौकरी से हटा दिया था कि इनकी नियुक्ति में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी मार्च. 2017 में बरकरार रखा था।

अगला लेखऐप पर पढ़ें