Hindi Newsदेश न्यूज़atique ahmed terror for ramkali for land in jhalwa prayagraj

बेटा-पति खोया, 35 साल झेला आतंक; अतीक अहमद से त्रस्त रही रामकली की आपबीती

अतीक की मौत के साथ उनकी 35 साल पुरानी लड़ाई का अंत हो गया और वह उसके चंगुल से अपनी पैतृक संपत्ति बचाने में सफल रहीं। हालांकि इस लड़ाई में रामकली को अपने पति और बेटे को गंवाना पड़ा।

Deepak Mishra लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीSun, 23 April 2023 11:39 AM
share Share

अतीक और अशरफ के खात्मे की खबर 15 अप्रैल को जंगल की आग की तरह फैली। अलग-अलग लोगों ने इस पर अलग ढंग से प्रतिक्रिया दी। लेकिन सबसे ज्यादा राहत की सांस उन लोगों ने ली, जो बरसों से अतीक और अशरफ के आतंक से त्रस्त रहे। इनमें से ही एक प्रयागराज के झलवा की रहने वाली रामकली भी हैं। अतीक की मौत के साथ उनकी 35 साल पुरानी लड़ाई का अंत हो गया और वह उसके चंगुल से अपनी पैतृक संपत्ति बचाने में सफल रहीं। हालांकि इस लड़ाई में रामकली को अपने पति और बेटे को गंवाना पड़ा।

1980 की शुरुआत से अतीक का आतंक
रामकली के लिए अतीक के आतंक की शुरुआत 1980 के आखिर में हुई। करीब 50 साल की रामकली कहती हैं कि उस वक्त तक हमारा परिवार बहुत खुशहाल था। लेकिन तभी एक प्राइम लोकेशन वाली उनकी जमीन पर माफिया की निगाह पड़ चुकी थी। उसके आदमी रामकली के पास पहुंचे और झलवा में इंडियन ऑयल डिपो के दूसरी तरफ की 12 बीघा जमीन को बेचने के लिए दबाव बनाने लगे। रामकली बताती हैं कि पहले अतीके आदमी मुझसे अच्छे से बातें करते थे और जमीन बेचने के लिए कहते थे। लेकिन बाद में वह मुझे धमकी देने लगे और कहने लगे कि अगर मैंने अतीक को जमीन नहीं बेची तो अंजाम बुरा होगा। 

पति को करवा दिया गायब
रामकली बताती हैं अतीक और अशरफ की यह धमकियां आम बात हो चुकी थीं। उसके आदमी मेरे घर के आसपास मंडराते रहते थे और परिवार पर जमीन बेचने के लिए दबाव बनाने लगते थे। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, क्योंकि रामकली ने ठान लिया था कि वह अतीक के आगे झुकेंगी नहीं और अपनी पैतृक संपत्ति का सौदा तो कतई नहीं करेंगी। रामकली बताती हैं कि उनके पति बृजमोहन कुशवाहा एक नजदीक की फैक्ट्री में काम करते थे। 1989 में वह काम के लिए निकले और उसके बाद कभी घर नहीं लौटे। रामकली को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह पारिवारिक जमीन को बेचने के लिए दबाव बनाने के लिए अतीक का एक और तरीका था। मामले को लेकर रामकली धूमनगंज थाने पहुंचीं और अतीक के खिलाफ केस दर्ज कराना चाहा। लेकिन वहां उनकी सुनवाई नहीं हुई और पुलिसवालों ने वहां से भगा दिया।

नहीं हारी हिम्मत
रामकली ने बताया कि उसी साल अतीक पहली बार विधायक बना। इसके बाद उसने रामकली को बुलाया और कहा कि उसका पति अब जिंदा नहीं है। उसने कहा कि अगर मैं अपनी 12 बीघा जमीन उसके नाम लिख देती हूं तो वह उसके परिवार की देखभाल करेगा। अतीक ने कहा कि वह उस जमीन पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाएगा, लेकिन मैंने फिर मना कर दिया। इसके बाद काफी भागदौड़ करके रामकली उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में सफल रहीं। हालांकि वह बताती हैं कि 1989 से 2016 के बीच तमाम मौकों पर अतीक के लोगों ने उनके परिवार पर हमले किए। इन लोगों ने लगातार दबाव बनाया कि जमीन अतीक के नाम कर दी जाए। लेकिन रामकली ने ठान ली थी कि वह माफिया को एक इंच जमीन नहीं देंगी और लड़ाई जारी रखेंगी। साल 2016 में अतीक के लोगों ने रामकली के घर पर जानलेवा हमला किया और उनके बेटे को गोलियां लगीं। इसके बाद बेटे को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां भी धमकियां मिलती रहीं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें