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लोकतंत्र के लिए खतरा... अतीक की हत्या पर SC में याचिका; 28 को होगी सुनवाई

अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा। अदालत में इस हत्याकांड की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग के गठन की मांग की गई है।

Surya Prakash पीटीआई, नई दिल्लीMon, 24 April 2023 09:26 AM
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अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा। अदालत में इस हत्याकांड की जांच के लिए एक स्वतंत्र आयोग के गठन की मांग की गई है, जिस पर अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करने की बात कही। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को बेहद करीब से मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने गोलियां मार दी थीं। इस हत्याकांड से पूरे यूपी में सनसनी फैल गई थी। यह हत्याकांड उस वक्त हुआ था, जब पुलिस 15 अप्रैल की रात को अतीक और अशरफ को मेडिकल के लिए प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल लेकर गई थी। 

इस मामले में वकील विशाल तिवारी ने याचिका दाखिल की है। उन्होंने अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के अलावा यूपी में 2017 के बाद से अब तक हुए 183 एनकाउंटरों की जांच की भी मांग की है। सोमवार को विशाल तिवारी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने तत्काल सुनवाई के लिए अर्जी पेश की। उन्होंने कहा कि इस मामले के लिए वह पिछले सोमवार को ही अदालत आए थे, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, 'कोरोना संक्रमण और अन्य समस्याओं के चलते 5 जज उपलब्ध नहीं है। इसलिए कुछ मामलों की लिस्टिंग नहीं हो पाई है। हम इसे शुक्रवार को सुनवाई के लिए लेने का प्रयास करेंगे।'

चीफ जस्टिस ने बताया कि शीर्ष अदालत के कुछ जज कोरोना से संक्रमित हैं, जबकि कई जज अन्य कारणों से उपलब्ध नहीं हैं। यूपी पुलिस ने हाल ही में बताया था कि उसने 2017 से अब तक 6 सालों में 183 अपराधियों को एनकाउंटरों में मार गिराया है। यूपी पुलिस ने इसे अपील सफलता के तौर पर पेश किया है, लेकिन इसी पर विशाल तिवारी ने अपनी अर्जी में सवाल उठाए हैं। बता दें कि अतीक अहमद की हत्या की जांच के लिए यूपी सरकार ने दो एसआईटी का गठन किया है। एक एसआईटी राज्य सरकार ने बनाई है, जबकि दूसरी का प्रयागराज प्रशासन ने गठन किया है।

विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या का जिक्र करते हुए कहा, 'पुलिस के ऐसे ऐक्शन लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। इससे प्रदेश में पुलिस की सत्ता कायम हो जाएगी।' उन्होंने अपनी अर्जी में कहा कि लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को ही आखिरी फैसला करने की परमिशन नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि किसी अपराधी को सजा देने की ताकत तो न्यायपालिका के पास ही होनी चाहिए।

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