अंबेडकर को उपद्रवी कहते थे नेहरू, संविधान सभा में नहीं चाहते थे: हिमंत सरमा
- Himanta biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू कभी आंबेडकर को संविधान समिति में चाहते ही नहीं थे। मसौदा समिति के लिए भी वह एक विदेशी संविधान विशेषज्ञ को शामिल करना चाहते थे।
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्व पीएम नेहरू पर हमला बोला है। सरमा ने कहा कि पीएम नेहरू चाहते ही नहीं थे कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली संविधान सभा का हिस्सा हों। वह उनकी जगह एक विदेशी संविधान विशेषज्ञ को लाना चाहते थे। अगर गांधी जी ने विरोध नहीं किया होता तो आंबेडकर इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन पाते।
गणतंत्र दिवस के मौके पर अपने संबोधन में सरमा ने कहा कि नेहरू ने अंबेडकर को उपद्रवी कहा था और उन्हें संविधान सभा से बाहर रखने की कोशिश की थी। वह पूर्व पीएम नेहरू ही थे जो मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में अंबेडकर की जगह पर एक अंतरराष्ट्रीय संविधान विशेषज्ञ सर आइवर जेनिंग्स को लाना चाहते थे।
असम सीएम ने कहा कि वह तो महात्मा गांधी थे, जिन्हें अंबेडकर की योग्यता और क्षमता पर विश्वास था, उन्होंने नेहरू का पुरजोर विरोध किया और अंत में अंबेडकर संविधान सभा में शामिल हुए और मसौदा समिति के अध्यक्ष बने। अंबेडकर ने भी गांधी जी को निराश नहीं किया और भारत की जनता को एक ऐसा संविधान दिया जिसमें न्याय, समानता और भाईचारे के सिद्धांत थे।
डिब्रुगढ़ में सभा को संबोधित करते हुए सीएम सरमा ने कहा कि अंबेडकर का संविधान सभा में शामिल होना हमेशा से ही चुनौतियों से भरा हुआ था। वह तो संविधान सभा में चुने गए शुरुआती 299 व्यक्तियों की सूची में भी शामिल नहीं थे। उन्हें शामिल करने का विचार लाया ही नहीं गया। वो तो पूर्वी बंगाल के दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल ने अपनी जगह उन्हें शामिल करने का प्रस्ताव रखा, तब जाकर अंबेडकर इस ऐतिहासिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने।