यूपी शिक्षक भर्ती : जानें क्यों है BEd व DElEd वालों के बीच विवाद, क्यों लगी UPTET प्रमाण पत्र पर रोक
डीएलएड वाले प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बीएड वालों को बाहर करने पर अड़े हुए हैं। एनसीटीई ने 2018 में बीएड डिग्री वालों को शिक्षक भर्ती में मान्य किया था। बीएड के आने से भर्ती में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।
प्राथमिक स्तर की यूपीटीईटी 2021 के प्रमाणपत्र जारी करने पर हाईकोर्ट की रोक एक अदद सरकारी नौकरी पाने की लड़ाई का परिणाम है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 28 जून 2018 को बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक स्तर (कक्षा एक से पांच तक) की शिक्षक भर्ती के लिए मान्य कर दिया था। जिसके बाद 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में हजारों बीएड डिग्रीधारी शिक्षक पद पर चयनित हो गए। उसी के बाद से डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) करने वाले बेरोजगारों में असंतोष था।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों की संख्या तकरीबन 12 लाख और डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या छह से सात लाख के आसपास बताई जा रही है। डीएलएड प्रशिक्षुओं का तर्क है कि बीएड का कोर्स माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए तैयार किया गया है।
चूंकि पहले उत्तर प्रदेश में डीएलएड (बीटीसी) प्रशिक्षुओं की पर्याप्त संख्या उपलब्ध नहीं थी इसलिए बीएड डिग्रीधारियों को एक जनवरी 2012 तक प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर भर्ती के लिए छूट दी गई थी। 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में विवाद के कारण समयसीमा बीतने पर बीएड वालों को 31 मार्च 2014 तक नियुक्ति में छूट बढ़ानी पड़ी थी। उसके बाद बीएड वाले प्राथमिक स्कूलों की भर्ती से बाहर हो गए थे।
हालांकि एनसीटीई ने 28 जून 2018 को फिर से बीएड करने वालों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में मान्य कर लिया। जिसके चलते डीएलएड करने वालों की शिक्षक भर्ती में चयन की संभावना कम हो गई। डीएलएड करने वाले बेरोजगारों की संख्या लाखों में होने के कारण अब वे बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी शिक्षक भर्ती में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं।
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