निदा फाजली अगर जिंदा होते, तो बीते शनिवार को 86 साल के हो जाते। कल एक दिलेर महिला की निजी दास्तान पढ़ते-सुनते हुए निदा साहब की वह मशहूर पंक्ति अनायास याद हो आई- कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता..
आधुनिक लोकतंत्रों में अपनी एक उपलब्धि के लिए श्रीलंका दुनिया का सिरमौर देश हमेशा रहेगा। इस दक्षिण एशियाई द्वीप देश ने संसार में सबसे पहले एक महिला ‘सिरीमाओ भंडारनायके’ को अपना प्रधानमंत्री चुना था...
हरियाणा इन दिनों सियासी शोर में डूबा है। राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों और लांछनों से परे हटकर देखें, तो यह प्रदेश कई विडंबनाओं को एक साथ जीता है। यह देश में हरित क्रांति का अग्रणी राज्य है...
संपन्न परिवारों में पले-बढे़ किशोरों-नौजवानों के बारे में हम अक्सर यही पढ़ते-सुनते हैं कि किसी ने मदहोशी के आलम में फुटपाथ पर सोए गरीबों के ऊपर अपनी गाड़ी दौड़ा डाली, तो दौलत के मद में डूबे किसी युवा ...
महिलाओं पर यौन हमले की घटनाएं यूं तो सदियों से देश-दुनिया में घटती रही हैं, उनको लेकर स्थानीय स्तर पर छोटे-मोटे एहतिजाज भी होते रहे हैं, मगर व्यापक समाज पर खास असर नहीं पड़ता था। निर्भया कांड ने...
सहस्राब्दियों पहले धर्मराज युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा था, संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? युधिष्ठिर ने जो जवाब दिया, हममें से बहुत सारे लोगों को वह पता है। धर्मराज ने कहा था- यह जानते हुए कि सबको...
अमेरिका जैसा विकसित देश हो या पाकिस्तान सरीखा पिछड़ा मुल्क, औरतें हर जगह अब मुखर होकर राजनीतिक-सामाजिक सत्ता में अपनी हिस्सेदारी मांग रही हैं, बल्कि मजबूत दावेदारी पेश कर रही हैं। ऐसे में...
तारीख के पन्नों को दुनिया जब-जब पलटेगी, उसके कुछ जख्म छिपाए न छिपेंगे, दबाए न दबेंगे। फलस्तीन के घाव ऐसे ही हैं। उसके ये जख्म किसी जंग-ए-आजादी का सिला नहीं, बल्कि कुछ अपनों और ज्यादातर बाहरी ताकतों...
यह दुनिया विचित्र है और जीवन अद्भुत! इसमें एक तरफ बेहिसाब नफरत है, तो दूसरी ओर बेपनाह मोहब्बत। जिस क्षण अखबार और खबरिया चैनल आपको गाजा, ढाका, बगदाद और तेहरान की जुल्म व ज्यादती की कहानियां पढ़ा-दिखा...
नीलेश ने लोक-भागीदारी से झाबुआ में पेयजल मिशन का काम शुरू करने का फैसला किया। समस्या यह थी कि आदिवासी समाज से संवाद कैसे कायम किया जाए, क्योंकि बाहरी दुनिया से उनका रिश्ता या तो शोषण का था या...
इस दुनिया में रंग, जाति, नस्ल, जेंडर, भाषा, मजहब और न जाने किन-किन आधारों पर इंसान-इंसान के बीच भेदभाव होता है। मगर संसार की सबसे बड़ी आबादी जिस एक बुनियाद पर शोषण और दमन का शिकार है, वह है लैंगिक...
आखिर उनका कसूर क्या था? वे तो दुनिया के ऊंच-नीच और सिस्टम की लापरवाही से बिल्कुल अनजान थे। फिर उनके हिस्से में इतनी हिकारत क्यों आई? अपनों ने ही उन्हें ठुकरा दिया, एक जांच रिपोर्ट के आते ही खून के...
उम्र के उस पड़ाव पर ज्यादातर लोग अपने लिए आराम का कोई कोना चुनना पसंद करते हैं या निष्क्रियता को नियति के रूप में स्वीकार कर लेते हैं, वहीं कई सारे लोगों के लिए उस मोड़ से आगे एक नया सफर शुरू होता...
फलस्तीन और इजरायल की जंग आज भी जारी है। अक्तूबर 2023 से 19 जून, 2024 तक गाजा में लगभग 38,000 लोग अपनी जान गंवा चुके थे। उसके बाद भी बेगुनाहों की लाशों की गिनती रुकी नहीं है और किसी रोज एकमुश्त...
क्या कभी आपने यह सोचा है कि जिन देशों या इलाकों पर अचानक कोई आक्रांता टुकड़ी धावा बोलती है या जहां बागी गुट कहर बरपाने लगते हैं, वहां सबसे ज्यादा नुकसान किसे उठाना पड़ता है? ऐसी हर स्थिति के सबसे...
तारीख गवाह है, मर्दों ने औरतों पर अपना दबदबा कायम करने का अहमतरीन तरीका यही निकाला था कि जोखिम वाले तमाम कामों से उन्हें दूर कर दिया और उन्हें इस एहसास-ए-कमतरी का शिकार बनाए रखा कि यह काम उनके बूते...
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस से लेकर दुनिया भर के पर्यावरणविद् लगातार कह रहे हैं कि कुदरत हमसे कुछ कह रही है, उसको सुनिए; मौसम विज्ञानी आंकडे़ पेश कर रहे हैं कि पिछले बारह महीने दर्ज...
कुदरत ने इस धरती पर जितने भी जीव पैदा किए हैं, उसने उनमें उनकी उपयोगिता भी सहेजी है। यह हम इंसानों की कमी है, जो उनकी अहमियत को देख नहीं पाए और किसी जीव को पूजने लगे, किसी से खौफजदा हुए, तो कोई...
संध्या के पास आज ‘सफेदपोश नौकरी’ के अवसरों की कोई कमी नहीं, मगर वह बदलाव की प्रेरणा बनकर न सिर्फ कमाठीपुरा जैसी बदनाम बस्तियों की बेटियों को, बल्कि दुनिया भर की रेडलाइट एरिया की लड़कियों को अपने भीतर..
अपने गांव से कैसा प्रेम होना चाहिए, छवि ने अपने फौजी दादा से यह सीखा था। सेना में ऊंचे ओहदे से रिटायर होने के बाद ब्रिगेडियर साहब चाहते, तो जयपुर मेें एक पुरसुकून जिंदगी गुजार सकते थे, मगर उन्होंने...