महाकुंभ में वायरल सुंदरी हर्षा ग्लैमर की दुनिया से कैसे हो गईं आध्यात्मिक, पोडकास्ट में खोले राज
महाकुंभ से अगर किसी का सबसे ज्यादा वीडियो सामने आया है तो वह हर्षा रिछारिया ही हैं। लोग हर्षा की बातों को सुन रहे हैं। एंकर, होस्ट जैसी ग्लैमरस दुनिया से आध्यात्मिक दुनिया में आने की यात्रा को जानना चाह रहे हैं। हर्षा ने अपनी इसी यात्रा के कई राज एक पॉडकास्ट में खोले हैं।
महाकुंभ में वायरल सुंदरी और सबसे खूबसूरत साध्वी के नाम से मशहूर हो गईं हर्षा रिछारिया की ही आजकल सबसे ज्यादा चर्चा हो रही हैं। महाकुंभ से अगर किसी का सबसे ज्यादा वीडियो सामने आया है तो वह हर्षा रिछारिया ही हैं। लोग हर्षा की बातों को सुन रहे हैं। एक होस्ट, एंकर और एक्ट्रेस जैसी ग्लैमरस दुनिया से आध्यात्मिक दुनिया में आने की यात्रा को जानना चाह रहे हैं। हर्षा ने अपनी इसी यात्रा के कई राज एक पॉडकास्ट में खोले हैं।
संगम तट पर निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर कैलाशागिरि के सानिध्य में रह रहीं हर्षा पेशवाई के दौरान दिए एक इंटरव्यू के बाद ऐसी वायरल हुईं कि अब उन्हें अपने कैमरे में कैद कर लेने की होड़ सी लगी रहती है। टीवी चैनल और सोशल मीडिया के बड़े-बड़े धुरंधर उनसे बात करना चाह रहे हैं। उनका वीडियो बनाना चाह रहे हैं। हालांकि अब वह एक बात-बार कहती हैं कि वह अभी साध्वी नहीं बनी हैं।
न्यूस्कोप के पोडकॉस्ट में सगुन त्यागी से बातचीत में हर्षा ने कहा कि मुझे बहुत पहले से किसी गुरु की तलाश थी। मेरे मन में पता नहीं क्यों बार बार यह बातें आती थीं कि मुझे किसी गुरु से दीक्षा लेनी चाहिए। जब मैं गुरुदेव (कैलाशानंदगिरि) से पहली बार मिली, उनसे बात की तो लग गया कि आपसे ही गुरु दीक्षा चाहिए। उनसे मिलने के बाद एक ही बात कही कि मुझे गुरु दीक्षा चाहिए। लेकिन असल में कोई चाहे कि हम किसी को अपना गुरु बना लें तो ऐसा होता नहीं है।
हमारे संत, महात्माओं ने भी कहा है और पुराणों में भी है कि हम इस लायक नहीं हो सकते कि हम अपना गुरु बनाएं। गुरु ही यह तय करते हैं कि हम उनका शिष्य बन सकते हैं या नहीं। गुरु दीक्षा की इच्छा जताने पर गुरुजी ने भी मुझे कहा कि बताते हैं। उनके ऐसा कहने के बाद मैंने शायद गुरुजी से दीक्षा पाने की उम्मीद खो दी थी। फिर एक दिन उनका कॉल आया। गुरु दीक्षा के लिए दिन, तारीख और समय तय हुआ। उन्होंने मुझे गुरुदीक्षा दी और मैं उनके सानिध्य में आ गई।
हर्षा ने कहा कि मै पहले से ही मेडिटेशन और साधना कर रही थी। गुरुजी ने भी मुझे कहा कि तुम अच्छी साधना कर लेती हो। लेकिन गुरुदेव से जो मंत्र मुझे प्राप्त हुआ और उसके बाद जो साधना मैंने की उस साधना में मुझे बहुत सी अनुभूतियां हुईं। इन अनुभूतियों को गुरुदेव से शेयर करती रही। उन्हें बताती रही कि ये हो रहा है, वो हो रहा है।
दस-दस घंटे उनके सामने बैठी रहती
कहा कि इसके बाद नवरात्र में नौ दिनों तक उनके सानिध्य में रही। मैं चाहती थी कि उनके साथ रहकर कुछ और सीख सकूं। असल में कोई भी गुरु कभी आपको डायरेक्टली कुछ नहीं सिखाते, लेकिन इनडारेक्टली बहुत कुछ सीखा जाते हैं। आप को यह सब चीजें कैच करना आना चाहिए। आज भी मैं उनसे बात कम करती हूं, केवल उनके सामने बैठी रहती हूं। दस-दस घंटे बैठी रहती हूं। उनके सानिध्य में आकर मेरा पैशन लेबल बहुत बढ़ हो गया।
क्या है जीवनचर्या
अपने पहले वाली जीवनचर्या और आज पर हर्षा ने कहा कि पहले मेरा शेड्यूल कुछ और था लेकिन गुरुदेव से मिलने के बाद यह पूरी तरह से बदल गया है। अब मेडिटेशन, मंत्र जाप और साधना सभी चीजें होती हैं। इनकी अनुभूतियों को गुरुदेव को बताती भी रहती हूं। अब जो टाइमिंग उन्होंने बताया है, जो शेड्यूल बताया है उसी के अनुसार सब करती हूं। उन्होंने बताया है कि क्या करना है, क्या नहीं करना है। अब उनके बताई चीजों के अनुसार ही कार्यों को करती हूं। कहा कि उत्तराखंड में अकेले ही रहती हूं, इसलिए अपनी चीजों को अच्छे से मैनेज करती जाती हूं। रीडिंग करती हूं, अगर शाम में पूजा में बैठी हूं तो डेढ़-दो घंटा लगता है। कभी-कभी मिड नाइट साधना, जाप और मेडिटेशन होता है। हर चीज को गुरुदेव के अनुसार ही करती हूं।
दस बार केदारनाथ, चार बार बद्रीनाथ की यात्रा
हर्षा अब तक दस बार केदारनाथ और चार बार बद्रीनाथ का दर्शन कर चुकी हैं। बार-बार यहां जाने के पीछे के राज पर हर्षा ने बताया कि साधु, संत, अघोरी इन लोगों से मिलना मुझे पसंद है। हमारे मन मे बहुत से सवाल होते हैं। मैं इन सवालों का जवाब खोजती रहती हूं, साधू-संतों गुरुदेव से पूछती रहती हूं। जो नहीं पूछती लेकिन गुरुजी जब उन चीजों के बारे में बताते हैं तो ध्यान से सुनती रहती हूं। मैं चीजों को सीखना चाहती हूं, मुझे सुनना ज्यादा पसंद है।