हर धर्म का करते हैं सम्मान; सनातन पर विवाद बढ़ा तो बैकफुट पर कांग्रेस, आक्रामक हो रही थी भाजपा
अब कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करते हैं। माना जा रहा है कि भाजपा के आक्रामक रख और इस मसले पर बढ़ते विवाद के चलते ऐसा हुआ है।
सनातन धर्म पर छिड़े विवाद के राजनीतिक असर की चिंता से कांग्रेस अब बैकफुट पर आती दिख रही है। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने अपने बयान में सनातन धर्म क खत्म करने की बात कही थी। इस पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना था कि यह तो अभिव्यक्ति की आजादी का मसला है। इसके अलावा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक ने तो यहां तक कह दिया था कि जिस धर्म में गैर-बराबरी हो उसे खत्म ही हो जाना चाहिए। ऐसे धर्म की तुलना तो बीमारी से ही की जा सकती है। इसे लेकर भाजपा हमलावर हो गई थी।
अब कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करते हैं। उनका बयान ऐसे वक्त में आया, जब डीएमके के एक अन्य नेता ए. राजा ने कहा कि उदयनिधि तो नरम ही थे। मैं तो कहता हूं कि सनातन धर्म की तुलना एचआईवी एड्स और कुष्ठ रोग से करनी चाहिए। बता दें कि नए बने INDIA गठबंधन का डीएमके भी हिस्सा है। इसके अलावा तमिलनाडु में वह सत्ताधारी पार्टी है। ऐसे में उसके नेताओं का लगातार सनातन धर्म पर हमला करना कांग्रेस को भी असहज स्थिति में डाल रहा था।
अब कांग्रेस बोली- हम तो सभी धर्मों का करते हैं सम्मान
ए. राजा के बयान को लेकर पूछे जाने पर पवन खेड़ा ने कहा, 'हम सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करते हैं। कांग्रेस ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन का हर साझेदार सभी धर्मों और जातियों का सम्मान करता है।' उन्होंने कहा कि हम ऐसे बयानों से सहमत नहीं है। इससे पहले ए. राजा ने पुदुचेरी में एक आयोजन में कहा कि सनातन धर्म की तुलना तो एड्स और कुष्ठ रोग से करनी चाहिए। उनके इस बयान और कांग्रेस के नरम रुख को देखते हुए भाजपा भड़क गई थी। भाजपा की ओर से सीधे राहुल गांधी और सोनिया गांधी से ही जवाब मांगा जा रहा था।
पहले तटस्थ थी कांग्रेस, अब बदलना पड़ गया अपना स्टैंड
माना जा रहा है कि राजनीतिक तौर पर मुश्किलें न आएं, इसी वजह से कांग्रेस ने अब अपना रुख बदला है। वह पहले न तो डीएमके की आलोचना कर रही थी ना ही समर्थन कर रही थी। वह एक तरह से खुद को तटस्थ दिखाना चाहती थी। लेकिन बदले हालातों में अब उसने स्टैंड बदला है। भाजपा इसे कांग्रेस एवं विपक्षी दलों के हिंदूफोबिया के तौर पर प्रचारित कर रही थी।