उदयनिधि को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि... सनातन विवाद पर कमल हासन
कमल हासन ने पहले भी इस विवाद पर अपनी राय रखी थी और उदयनिधि के सनातन की तुलना डेंगू, मलेरिया से करने वाले सनातन वाले बयान को उनका निजी विचार बताया था।
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा शुरू किए गए सनातन विवाद पर टिप्पणी की और कहा कि एक युवा बच्चे (उदयनिधि) को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि उसने सनातन के बारे में बात की थी। कमल हासन ने कहा कि हर कोई पेरियार के कारण सनातन को जानता है और केवल तमिलनाडु पेरियार पर अपना दावा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, ''पेरियार की वजह से हम सभी को 'सनातन' शब्द के बारे में पता चला। वह कभी मंदिर में काम करते थे। वह माथे पर 'तिलक' लगाकर वाराणसी में 'पूजा' कर रहे थे। सोचिए उन्हें कितना गुस्सा आया होगा यह सब फेंक दो और लोगों की सेवा में काम करो और समझो कि यह सबसे बड़ी सेवा है। उन्होंने अपना पूरा जीवन ऐसे ही जीया। न तो डीएमके और न ही कोई अन्य पार्टी पेरियार को अपना दावा कर सकती है।''
कमल हासन ने पहले भी इस विवाद पर अपनी राय रखी थी और उदयनिधि के सनातन की तुलना डेंगू, मलेरिया से करने वाले सनातन वाले बयान को उनका निजी विचार बताया था। कमल हासन ने कहा, "यदि आप उनके दृष्टिकोण से असहमत हैं, तो हिंसा की धमकियों या कानूनी धमकी की रणनीति का सहारा लेने के बजाय सनातन की खूबियों के आधार पर चर्चा में शामिल हों।" बता दें कि उदयनिधि के सनातन पर दिए गए बयान पर खूब हंगामा मचा। बीजेपी ने पूरे मुद्दे को उठाते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया और कांग्रेस पर हमला बोला था। पीएम मोदी ने भी एक रैली में विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा था। हालांकि, बवाल बढ़ता देख एमके स्टालिन ने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को इस मुद्दे पर ज्यादा नहीं बोलने की नसीहत दी, लेकिन इसके बाद भी उदयनिधि नहीं रुके। वह अपने सनातन बयान पर कायम रहे और कई बार दोहरा भी चुके हैं।
उदयनिधि स्टालिन को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 'सनातन धर्म को मिटाने' संबंधी टिप्पणी के लिए तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर स्टालिन और राज्य सरकार से शुक्रवार को जवाब मांगा। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने बी. जगन्नाथ नामक व्यक्ति की याचिका पर नोटिस जारी किए, जिसमें स्टालिन के खिलाफ इस आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई कि टिप्पणियां नफरती भाषण के समान हैं और शीर्ष अदालत ने इस तरह के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने समेत कई निर्देश पारित किए थे।