कहानी ओमप्रकाश चौटाला की: 5 बार के सीएम से तिहाड़ के सबसे बूढ़े कैदी तक, कैसा रहा सफर
- ओमप्रकाश चौटाला ने किसान राजनीति के नाम पर सीएम तक की कुर्सी हासिल की तो तिहाड़ जेल के सबसे बुजुर्ग कैदी होने का अनचाहा रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा। उन्हें 2021 में कोरोना काल में जेल से रिहाई मिली थी तो वहीं मई 2022 में एक अन्य केस में जाना पड़ा। तब उनकी उम्र 87 वर्ष थी।
हरियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो के चीफ ओम प्रकाश चौटाला का शुक्रवार को निधन हो गया। 89 साल की आयु में दुनिया छोड़ने वाले चौटाला का नाम हरियाणा की राजनीति में अमिट है। उन्होंने किसान राजनीति के नाम पर सीएम तक की कुर्सी हासिल की तो तिहाड़ जेल के सबसे बुजुर्ग कैदी होने का अनचाहा रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा। 5 बार मुख्यमंत्री और 7 बार विधायक रहे ओमप्रकाश चौटाला को करीब एक दशक का वक्त जेल में ही गुजारना पड़ा था। उन्हें 2021 में कोरोना काल में जेल से रिहाई मिली थी तो वहीं मई 2022 में एक अन्य केस में जाना पड़ा। तब उनकी उम्र 87 वर्ष थी।
ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय को शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल जाना पड़ा था। देश के पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल के बेटे और उनके परिवार के लिए यह सबसे बड़ा झटका था। इसके बाद से ही इनेलो उबर नहीं सकी और 2019 में तो उसमें बंटवारा भी हो गया, जब उनके पोते दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी के नाम से अलग दल का गठन कर लिया। हरियाणा की राजनीति में जाट बिरादरी को प्रमुखता दिलाने में भी ओमप्रकाश चौटाला की अहम भूमिका मानी जाती है। सूबे में जाटों की आबादी 27 फीसदी है, जो मुख्य तौर पर किसानी से जुड़े हैं। ऐसे में चौटाला की राजनीति जाट और किसान केंद्रित रही।
1989 से 2005 तक चौटाला को 5 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का मौका मिला, लेकिन वह एक बार ही 5 साल का कार्य़काल पूरा कर सके। उन्होंने किसानों के मुद्दों को पूरे दम से उठाया तो जाटों की गोलबंदी करने में भी सफल रहे। इसके अलावा ग्रामीण समाज की वह एक मुखर आवाज थे। लेकिन उनके करियर का सबसे बड़ा दाग जेबीटी घोटाला यानी शिक्षक भर्ती में अनियमितता रही। इस मामले में उन्हें तिहाड़ जेल में बंद रहना पड़ा। वह तिहाड़ के 19000 कैदियों में से एक थे और उनकी उम्र सबसे अधिक थी। इसके अलावा 2022 में चौटाला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। अदालत ने उनके ऊपर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
हालांकि अगस्त 2022 में उनकी सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने निलंबित कर दिया था। बता दें कि उन्हें 2013 में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थई। इसके अलावा उनके बेटे अजय चौटाला को भी जेल जाना पड़ा था। वह 3000 शिक्षकों को गलत तरीके से भर्ती करने के दोषी पाए गए थे। उन्हें फरवरी 2021 में साढ़े 9 साल की सजा काटने के बाद रिहा किया गया था। इसका कारण यह था कि कोरोना के चलते जेलों में गंभीर अपराध वाले कैदियों को ही रखने का फैसला लिया गया था।
चौटाला को सजा सुनाए जाने के दौरान जब समर्थकों ने घेर ली थी अदालत
ओमप्रकाश चौटाला को सजा सुनाए जाने के दौरान 2013 में उनके समर्थकों ने अदालत को ही घेर लिया था। उनके करीब 4000 समर्थक जुटे थे और पुलिस से भी झड़प हुई थी। इन लोगों ने पत्थरों और पेट्रोल बम तक से हमले किए थे। यह तब हुआ था, जबकि दिल्ली और हरियाणा बॉर्डर को सील कर लिया था। अंत में पुलिस को उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज तक करना पड़ा था। चौटाला अपने पीछे तीन बेटियों और दो बेटों अजय सिंह चौटाला एवं अभय सिंह चौटाला को छोड़ गए हैं।