इंटर परीक्षा से वंचित छात्रा पहुँची मानवाधिकार आयोग, आरोप- पहुंचते ही गेट बंद कर दिया
- मुजफ्फरपुर जिले की एक छात्रा ने इंटर की परीक्षा से वंचित होने पर मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है। छात्रा ने सेंटर कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित इंटर(12वीं बोर्ड) की परीक्षा शनिवार को शुरू हुई जिसमें देरी से पहुंचने के कारण बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं एग्जाम से वंचित हो गईं। बच्चे रोते, चिल्लाते और हंगामा करते रह गए पर उनकी एक नहीं सुनी गई। नालंदा में एक छात्र ने परीक्षा छूटने पर छत से कूदकर आत्महत्या कर ली तो समस्तीपुर में गेट तोड़कर अंदर जा रहे छात्रों को पुलिस ने डंडा मारकर खदेड़ दिया। मुजफ्फरपुर जिले की एक छात्रा ने परीक्षा से वंचित होने पर मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई है।
मामला जिले के नितीश्वर महाविद्यालय परीक्षा केंद्र का है, जहाँ समय से पहले ही मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया। पीड़ित छात्रा रत्न प्रिया ने बताया कि वह समय पर पहुँच गई थी, लेकिन परीक्षा केंद्र पर पहुँचते ही देखा कि मुख्य द्वार बंद किया जा रहा था, जबकि घड़ी में 5 मिनट समय बचा था। उपस्थित पुलिसकर्मियों तथा केन्द्राधीक्षक स्वयं ने उसे अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जबकि उससे आगे वाले विद्यार्थियों को प्रवेश करने दिया गया था। सिर्फ उसे ही परीक्षा से वंचित कर दिया गया।
प्रिया ने बताया किउसने काफी मिन्नत की लेकिन उसे द्वार के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया। पीड़िता के द्वारा परीक्षा केंद्र से ही जिला शिक्षा पदाधिकारी के मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कुछ भी सुनने से साफ इंकार कर दिया। पीड़ित छात्रा ने मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी व नितीश्वर महाविद्यालय के केंद्राधीक्षक के विरुद्ध राष्ट्रीय व राज्य मानवाधिकार आयोग में परिवाद दायर किया है।
इस मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के.झा ने बताया कि यह मामला मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर कोटि का मामला है। जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा परिस्थिति से अवगत होने के बावजूद कोई पहल नहीं करने के कारण एक छात्रा का एक वर्ष का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो गया, जो कही से भी उचित नहीं है। बहरहाल पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाने के लिए आयोग में परिवाद दर्ज कराया गया है।