कोलकाता रेप-मर्डर केस की दोबारा हो जांच, माता-पिता की याचिका पर विचार करने से SC का इनकार
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि माता-पिता की यह याचिका केवल दोषी संजय रॉय को ही फायदा पहुंचाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले की पुनः जांच की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। यह याचिका पीड़िता के माता-पिता द्वारा दायर की गई थी, जिसे उनके वकील ने वापस ले लिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि माता-पिता की यह याचिका केवल दोषी संजय रॉय को ही फायदा पहुंचाएगी। संजय रॉय कोलकाता पुलिस में एक स्वयंसेवी (वॉलंटियर) था, जिसे अस्पताल में बेरोकटोक आने-जाने की अनुमति थी।
अन्य दोषियों की गिरफ्तारी की मांग
माता-पिता ने अपनी याचिका में पुनः जांच और अतिरिक्त जांच की मांग करते हुए तर्क दिया था कि इस जघन्य अपराध में केवल संजय रॉय ही शामिल नहीं था, बल्कि अन्य लोग भी षड्यंत्र और उकसाने में शामिल थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दोषी को शरण देने और बचाने वाले लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता को अपनी याचिका में संशोधन करने और एक नई याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है।
दोषी को आजीवन कारावास की सजा
इस मामले में 20 जनवरी को कोलकाता की एक निचली अदालत ने संजय रॉय को "उम्र कैद की सजा" सुनाई थी। गौरतलब है कि 9 अगस्त 2024 को अस्पताल के सेमिनार कक्ष में डॉक्टर का शव बरामद किया गया था, जिसके बाद अगले ही दिन कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया था।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की गैरहाजिरी को मान्यता
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वे डॉक्टर जो 22 अगस्त 2024 के बाद अपनी ड्यूटी पर लौटे, उन्हें नियमित माना जाएगा और उनकी गैरहाजिरी को अनुपस्थिति नहीं समझा जाएगा। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल इस विशेष मामले की परिस्थितियों के तहत जारी किया गया है और इसे भविष्य के लिए किसी भी मामले में मिसाल के रूप में नहीं लिया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा, "यदि प्रदर्शनकारी डॉक्टर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद काम पर लौटे हैं, तो उनकी गैरहाजिरी को ड्यूटी से अनुपस्थिति नहीं माना जाएगा। यह विशेष परिस्थितियों में दिया गया निर्देश है और इसे नजीर नहीं माना जाएगा।"
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