चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, '42वें संशोधन की पहले भी न्यायिक समीक्षा हो चुकी है। हम यह नहीं कह सकते कि संसद ने जो पहले किया था, वह सब कुछ गलत है।' यही नहीं बेंच का कहना था कि सेकुलरिज्म और सोशलिस्ट की परिभाषा को हमें पश्चिम के चश्मे से नहीं देखना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, 'यह बात समझ से बाहर है कि शिकायतकर्ता अपनी सहमति के बगैर अपीलकर्ता से मिलना जारी रखेगी या लंबे समय तक संपर्क बनाए रखेगी या शारीरिक संबंध बनाएगी।'
यह मामला 2020 में त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे पर ₹14.82 करोड़ की सोने की तस्करी के पकड़े जाने के बाद सामने आया। यह सोना कथित तौर पर राजनयिक सामान में छिपाकर यूएई के वाणिज्य दूतावास के पते पर भेजा गया था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों को खारिज करने और अन्य चुनावी अनियमितता का आरोप लगाने संबंधी याचिका पर पहले नोटिस जारी किए थे।
ब्राजील के उच्चतम न्यायालय की ओर से इस घटना पर बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि सत्र समाप्त होने के बाद शाम को करीब साढ़े 7 बजे दो बार तेज धमाकों की आवाज सुनी गई। ऐसे में सभी न्यायाधीश और कर्मचारी सुरक्षित रूप से भवन से बाहर निकल गए।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक सुदूरवर्ती गांव की निर्वाचित महिला सरपंच को ‘अनुचित कारणों’ से हटाने पर नाखुशी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि सरपंच ‘‘बाबू (नौकरशाह) के सामने भीख का कटोरा लेकर जाए’’।
एक फैसले में लॉर्ड डेनिंग ने कहा था, ‘सबसे गरीब आदमी अपनी झोपड़ी में बैठकर राजा की सारी ताकतों को चुनौती दे सकता है। यह घर कमजोर हो सकता है। उसकी छत हिल सकती है, हवा इसके अंदर आ सकती है। तूफान आ सकता है। बारिश की बूंदें अंदर आ सकती है, लेकिन इंग्लैंड का राजा अंदर नहीं आ सकता।’ उसका ही जिक्र हुआ।
राज्य सरकार का कहना है कि इसका फायदा गरीब दलित समुदायों को मिलेगा, जो अब तक लाभ से वंचित रहे हैं। इस आदेश के बारे में विस्तृत जानकारी अब हरियाणा के मुख्य सचिव की वेबसाइट पर दी गई है। इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे आरक्षण लागू होगा और किन लोगों को कैसे मिलेगा।
यूपी की योगी सरकार ने बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। कहा कि यह फैसला संगठित अपराध पर लगाम लगाने और अपराधियों में कानून का डर पैदा करने में मदद करेगा।
बिना कारण बताओ नोटिस के बुलडोजर ऐक्शन की अनुमति नहीं है। नोटिस रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाना चाहिए तथा ध्वस्त किए जाने वाली इमारत के बाहर भी चस्पा होना चाहिए। कोई भी कार्रवाई करने से पहले नोटिस की तिथि से कम से कम 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए।
बेंच ने कहा कि प्रशासन जज नहीं बन सकता और सिर्फ इसलिए किसी की प्रॉपर्टी नहीं ढहाई जा सकती कि संबंधित व्यक्ति आरोपी या दोषी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि बदला लेने के लिए बुलडोजर ऐक्शन नहीं हो सकता। शीर्ष अदालत ने इसके लिए नियम भी तय किए हैं।
SC on Bulldozer Action: बुलडोजर ऐक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गाइडलाइंस को फॉलो किए मकान गिराने की कोई कार्रवाई नहीं होगी।
सीबीआई द्वारा दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रेसिडेंट एसोसिएशन को लताड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मा
जस्टिस संजीव खन्ना भी खुद से पहले मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ की तरह ही जजों की फैमिली से आते हैं। उनके पिता जस्टिस देव राज खन्ना दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा एचआर खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। इस तरह दो पीढ़ियों की न्यायिक विरासत जस्टिस संजीव खन्ना के साथ है।
जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘जब न्याय के जंगल में एक विशाल पेड़ पीछे हटता है, तो पक्षी अपने गीत बंद कर देते हैं। हवा अलग तरह से चलने लगती है। अन्य पेड़ खाली जगह को भरने के लिए अपनी जगह बदलते और समायोजित करते हैं।’
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानी एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम को पसंद नहीं आई है। सरकार से यूनिवर्सिटी की मदद रोकने की अपील भी कर दी है।
एएमयू ने मदरसे से यूनिवर्सिटी तक का सफर तय किया है। 1965 में अल्पसंख्यक स्वरूप खत्म हुआ और विवाद की नींव पड़ी थी। इसके बाद हाईकोर्ट, संसद और दो बार सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखे जाने का फैसला आने के बाद कैम्पस में खुशी का माहौल है। वहीं, जमीयत ने सरकार पर निशाना साधा है।
चंद्रचूड़ के कार्यकाल का समापन एक महत्वपूर्ण फैसले के साथ हुआ। अपने अंतिम कार्यदिवस पर, उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के सवाल पर फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ का नेतृत्व किया।
चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें संविधान पीठ द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की वैधता को बनाए रखना शामिल है।
बेंच ने कहा, 'आपके निवेदन के अनुसार हमें सभी मंदिरों, गुरुद्वारों आदि के लिए अलग व्यवस्था बनानी होगी। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि किसी विशेष धर्म के लिए एक अलग व्यवस्था बनाई जाए।’
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत के साथ कहाकि फिलहाल यह एक अल्पसंख्यक संस्थान है।
कृषि भूमि उत्तराधिकार में विवाहित महिलाओं के प्रति भेदभाव न हो। उनको भी उत्तराधिकार मिलना चाहिए। इस आशय की जनहित याचिका का संज्ञान सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने लिया है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल को ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाएगा। उन्होंने कई अहम फैसले देने वाली बेंच की चीफ जस्टिस के तौर पर अगुवाई की तो वहीं कई मामलों में वह बेंच का हिस्सा रहे। इन केसों में आर्टिकल 370, राम मंदिर समेत कई अहम मामले शामिल थे।
अगर कल के फैसले में यह अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना गया, तो AMU को भी अन्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की तरह आरक्षण नीति लागू करनी पड़ेगी।
इस समिति का नेतृत्व मुख्य सचिव करेंगे, जिसमें गृह और विधि सचिव, राज्य के डीजीपी या पुलिस महानिरीक्षक, और एक विशेषज्ञ शामिल होंगे, जिन्हें मुख्य सचिव नामित करेंगे।
ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने भी इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि मदरसों ने देश को कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही, इसे बंद करने का भी आदेश दिया।
अदालत ने कहा, ‘आम आदमी, गरीब… अदालत में आता है। अचानक पाता है कि मेरे गवाह से पूछताछ नहीं की जा सकती, मुझे राहत नहीं मिल सकती… क्योंकि बार काम पर नहीं होती।’
क्या किसी भी निजी संपत्ति का सरकार सार्वजनिक हितों के लिए अधिग्रहण कर सकती है? इस सवाल के जवाब में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित वाली घोषित नहीं किया जा सकता। इसलिए सरकार इन संपत्तियों का अधिग्रहण भी नहीं कर सकती।