मोर की चमक पड़ी फीकी, दूल्हे की पसंद बनी पगड़ी
परंपरागत मोर की जगह ले रहे डिजाइनर सेहरे मोर बनाने वालों के लिए महंगाई बनी

भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। शादी-ब्याह में दूल्हे के सिर की शान माने जाने वाले मोर की चमक अब फीकी पड़ने लगी है। सदियों पुरानी इस परंपरा को अब केवल रस्म अदायगी के लिए खरीदा जा रहा है। परंपरागत मोर के बजाय अब दूल्हे की पसंद ब्रांडेड सेहरे या पगड़ी बनते जा रहे हैं। लोहिया पुल स्थित मोर गली के थोक विक्रेता रवि कुमार राम ने बताया कि दूल्हे का मोर परंपराओं को निभाने के लिए अभी भी लोग खरीद रहे हैं, लेकिन इसको लेकर पहले जैसी रौनक नहीं रही। शादी-विवाह में पहले आकर्षण का केंद्र मोर था, अब इसे सिर्फ नियम निभाने के लिए लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक मोर बनाने में करीब एक घंटे का समय लगता है, अगर किसी ग्राहक की विशेष डिमांड पर मोर बनानी हो तो उसमें अधिक समय भी लग जाता है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों के लोग भी दूल्हे के लिए मोर के बजाय पगड़ी पहनने को प्राथमिकता देने लगे हैं। थोक विक्रेता मिथुन कुमार ने बताया कि वे पिछले 9 वर्षों से इस कारोबार में हैं, और मोर बनाने के लिए लगने वाली अधिकांश सामग्री पटना और कुछ पश्चिम बंगाल से मंगाई जाती है। मोर को सजाने के लिए तार, बांस की बत्ती, मोती, डिजाइन शीशा, लक्ष्मी-गणेश जैसी सामग्रियों का उपयोग होता है। उन्होंने कहा एक मोर की थोक में कीमत 110 रुपये से शुरू होकर 500 रुपये प्रति पीस तक जाती है। विक्रेता प्रमोद मंडल ने बताया कि मोर का कारोबार मुख्यतः शादी के सीजन में होता है। बाजारों में सामग्री अब महंगे दामों पर मिलती है, लेकिन मेहनत के हिसाब से मोर कीमत नहीं बढ़ी, ग्राहक आज भी पुरानी दरों पर मोर खरीदना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि अब दूल्हे के साथ उनके परिजनों के लिए पगड़ी की डिमांड इन दिनों तेजी से बढ़ी है। लड़की पक्ष में अधिकतर लोग पिंक कलर की पगड़ी की डिमांड करते हैं।
उधर, बाजारों में दूल्हों के लिए ब्रांडेड सेहरे की बहार है। जरी कढ़ाई, मोती, स्टोन वर्क और कस्टम डिजाइन वाले सेहरे दूल्हों को खूब भा रहे हैं। दूल्हे खुद शोरूम और दुकानों में जाकर अपनी पसंद का सेहरा चुन रहे हैं। मुख्य बाजार के दुकानदार तनवीर आलम ने बताया कि उनकी दुकान पर दूल्हे के लिए जोधपुरी, राजस्थानी, बंगाली और बिहारी शैली की पगड़ियां उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक है। तनवीर आलम के अनुसार, राजस्थानी पगड़ी की सबसे अधिक डिमांड है। उन्होंने बताया कि पगड़ियां वेलवेट और जॉर्जेट कपड़ों से तैयार की जाती हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक लगती हैं। दुकानदार मिस्टर ने बताया कि राजस्थानी पगड़ियां 1200 रुपये से शुरू होकर 5000 रुपये तक उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि इंडो-वेस्टर्न स्टाइल की पगड़ियों की भी अच्छी-खासी मांग है। ये पगड़ियां खास तौर पर सिल्क कपड़े से बनी होती हैं। इसके अलावा जयपुरी प्रिंट वाली पगड़ियों की भी ग्राहकों के बीच अच्छी डिमांड है।
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