तो बच जाती 15 पर्यटकों की जान...बदरीनाथ हाईवे पर टेंपो ट्रैवलर के नदी में गिरने पर बड़ी लापरवाही
यदि चेकपोस्ट पर इस वाहन की जांच हो जाती तो ओवरलोडिंग देखते हुए उसे वहीं पर रोका जा सकता था और 15 लोगों को मौत से बचाया जा सकता था। वाहन की क्षमता 20 सीट की थी। जबकि इसमें सवार 26 लोग थे।

रुद्रप्रयाग सड़क हादसे का शिकार हुए ट्रेंपो ट्रैवलर के मामले में एक और बड़ा नया खुलासा हुआ है। दिल्ली से क्षमता से अधिक पर्यटकों को लेकर आ रही गाड़ी को ऋषिकेश-देवप्रयाग-रुद्रप्रयाग मार्ग पर स्थित परिवहन विभाग की ब्रह्मपुरी चेकपेास्ट पर चेक ही नहीं किया गया।
आपको बता दें कि बदरीनाथ हाईवे पर टेंप ट्रैवलर अलकनंदा नदी में गिर गया था, जिसमें यूपी, दिल्ली समेत 15 पर्यटकों दर्दनाक मौत हो गई थी। चेकपोस्ट पर 14 और 15 जून को चारधाम यात्रा से इतर दूसरे स्थानों को जाने वाले 180 वाहनों का रिकार्ड तो दर्ज है, लेकिन इस वाहन की कहीं एंट्री नहीं है।
परिवहन विभाग की जांच में इसकी पुष्टि हुई है। दरअसल, यदि चेकपोस्ट पर इस वाहन की जांच हो जाती तो ओवरलोडिंग देखते हुए उसे वहीं पर रोका जा सकता था और 15 लोगों को मौत से बचाया जा सकता था। वाहन की क्षमता 20 सीट की थी। जबकि इसमें सवार 26 लोग थे।
वाहन के ड्राइवर करन सिंह के पास पहाड़ में वाहन चलाने का लाइसेंस भी नहीं था। उसके लाइसेंस में सड़क हादसे में उसकी मौत के चार घंटे बाद किसी अन्य व्यक्ति ने ऑनलाइन परीक्षा देकर हिल इंडोर्स की प्रक्रिया पूरी की थी।
आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बीते रोज इस गंभीर अनियमितता का खुलासा किया था। जांच टीम ने हादसे के लिए ड्राइवर की लंबे सफर की वजह से थकान और पहाड़ में वाहन चलाने का अनुभव न होने और ओवरस्पीड पर जोर दिया है।
हालांकि यह तर्क भी दिया जा रहा है कि हो सकता है यह वाहन सुबह चार बजे से पहले ही चेकपेास्ट से गुजर गया होगा। चेकपोस्ट सुबह चार बजे से रात दस बजे से संचालित होती है। इसमें चार कर्मचारी तैनात रहते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि मामले की बारीकी से जांच होगी। यदि परिवहन कर्मी दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आपको बता दें कि पुलिस की ओर से टूर ऑपरेटर के खिलाफ केस भी दर्ज किया जा चुका है।
रुद्रप्रयाग हादसा
15 जून की सुबह 11.30 बजे रुद्रप्रयाग के पास रैतोली में दिल्ली से आ रहा एक टेंपो ट्रैवलर पेराफीट तोड़कर 250 मीटर गहरी खाई में गिर गया था। इसमें सवार 26 में से 15 लोगों की मौत हो गई है। बाकी लोगों की हालत भी गंभीर बनी हुई है। वाहन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है।
आखिर ग्रीन, ट्रिप कार्ड सबसे के लिए जरूरी क्यों नहीं?
दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों में केवल चारधाम यात्रा पर आने वालों के लिए ही ग्रीन कार्ड और ट्रिप कार्ड बनाने की बाध्यता है। इनसे परिवहन विभाग के पास वाहन, ड्राइवर और यात्रियों का पूरा विवरण रहता है। हर वाहन स्वामी को अपना, वाहन, यात्री और ड्राइवर का ब्योरा इनके जरिये देना होता है।
चारधाम से इतर दूसरे क्षेत्रों में जाने वाले यात्री वाहन ग्रीन और ट्रिप कार्ड से मुक्त हैं। एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी के अनुसार यदि ग्रीन-ट्रिप कार्ड की बाध्यता सभी निजी और कामर्शियल वाहनों के लिए लागू हो तो व्यवस्था को और बेहतर किया जा सकता है। जांच टीम ने सभी पर्वतीय मार्गों पर स्थित धार्मिक यात्राओं के लिए ग्रीन कार्ड की व्यवस्था लागू करने की सिफारिश भी की है।
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