यूपी में क्लीनिकल ट्रायल को मिलेगी रफ्तार
Lucknow News - उत्तर प्रदेश में क्लीनिकल ट्रायल को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने मंथन किया। केजीएमयू में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में नई दवाओं और उपकरणों की खोज को आसान बनाने पर चर्चा हुई। मेडिकल संस्थानों के...

यूपी में क्लीनिकल ट्रायल को रफ्तार मिलेगी। नई दवा और उपकरणों की खोज आसान होगी। इसका फायदा मरीजों को मिलेगा। कम लागत में आधुनिक इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इन्हीं बिन्दुओं पर केजीएमयू में प्रदेश भर के विशेषज्ञों की टीम ने मंथन किया। केजीएमयू के ब्राउन हॉल में शुक्रवार को क्लीनिकल ट्रायल के विस्तार के लिए गोलमेज सम्मेलन हुआ। इसमें 20 मेडिकल संस्थान के प्रतिनिधि समेत अन्य विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। केजीएमयू कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने कहाकि यूपी में क्लीनिकल ट्रायल के स्वरूप को तय करने की जरूरत है। उनकी नीति निर्धारण व सीमाएं तय किया जाना चाहिए। क्लीनिकल ट्रायल कैसे किया जाए? किन-किन बीमारियों में क्लीनिकल ट्रायल की आवश्यकता है। सबसे पहले इसे तय करने की जरूरत है। ताकि अधिक से अधिक मरीजों को नई दवा और उपकरणों का लाभ मिल सके।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल में मरीज की तरफ फार्मा कंपनियों की भूमिका अहम है। लिहाजा ऐसे नियम बनाए जाएं जिससे फार्मा कंपनियों के हितों का अतिक्रमण न हो। मरीजों के हितों की भी रक्षा की जा सके।
जम्मू एम्स के प्रेसीडेंट डॉ. वाईके गुप्ता ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल के नियम कानून एकदम स्पष्ट होने चाहिए। ताकि एथिकल क्लीयरेंस लेने में किसी भी प्रकार की रूकावट न आए।
सेंट्रल बायो मेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ. आलोक धवन ने कहा कि नई दवा का परीक्षण पहले जानवरों पर किया जाता है। इसमें दवा की पूरी डोज दी जाती है। जानवरों में सफलता के बाद इंसानों पर दवा का ट्रायल किया जाता है। उसके बाद ही दवा बाजार में उतारी जाती है। उन्होंने कहा कि नई दवा व आधुनिक उपकरणों की सख्त जरूरत है। कार्यक्रम में केजीएमयू डीन रिसर्च सेल डॉ. हरदीप सिंह मल्होत्रा, विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा मन्नान अख्तर, डॉ. जीएन सिंह और डॉ. एके प्रधान समेत देश भर के विशेषज्ञ जुटे।
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