Hindi Newsदेश न्यूज़Why BJP in tension amid MNS action in Maharashtra what is connection of Marathi Violence movement with Bihar elections

राज ठाकरे के ऐक्शन से भाजपा में क्यों टेंशन, मराठी आंदोलन का बिहार चुनाव से क्या कनेक्शन

आगामी मुंबई नगर निगम चुनावों को ध्यान में रखकर खेला जा रहा यह मराठी कार्ड का खेल देशभर में भाजपा पर भारी पड़ सकता है क्योंकि बैंकों में काम करने वाले कर्मचारी देश के विभिन्न राज्यों में आए हैं।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, मुंबई/ नई दिल्लीFri, 4 April 2025 09:59 PM
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राज ठाकरे के ऐक्शन से भाजपा में क्यों टेंशन, मराठी आंदोलन का बिहार चुनाव से क्या कनेक्शन

राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने महाराष्ट्र में मराठी भाषा आंदोलन का अभियान तेज कर दिया है। इसी सिलसिले में पिछले कुछ दिनों से MNS के कार्यकर्ता पुणे और ठाणे में निजी बैंकों में जाकर न सिर्फ बैंक शाखाओं में मराठी भाषा का बोर्ड लगाने का दबाव बना रहे हैं बल्कि बैंक कर्मचारियों से ग्राहकों से मराठी में बात करने के लिए भी मजबूर कर रहे हैं। कुछ जगहों पर बैंक कर्मचारियों से मारपीट और दुर्व्यवहार की भी खबरें हैं। MNS के इस हिंसक आंदोलन से राज्य की सत्ताधारी भाजपा टेंशन में आ गई है।

दरअसल, भाजपा मराठी वोटरों खासकर शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के कोर वोटरों को बांटने और उन्हें अपने पाले में करने के लिए राज ठाकरे का इस्तेमाल करती रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने राज ठाकरे को साधा था और भाजपा को इसका फायदा भी मिला था लेकिन इस बार MNS को खुश करने की नीति अपनाने वाली राज्य सरकार को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि बैंक विरोधी आंदोलन हिंसक रूप ले रहा है।

MNS का हिंसक आंदोलन तेज

राजनीतिक हलकों में अब यह डर है कि आगामी मुंबई नगरपालिका (BMC) चुनावों को ध्यान में रखकर खेला जा रहा यह मराठी कार्ड का खेल देशभर में भाजपा पर भारी पड़ सकता है क्योंकि बैंकों में काम करने वाले कर्मचारी देश के विभिन्न राज्यों में आए हैं। निजी बैंकों में यह अनुपात विशेष रूप से ज्यादा है। उनमें से कई युवा हैं। जाहिर है कि उनकी मातृभाषा मराठी नहीं है, इसलिए वे धाराप्रवाह मराठी नहीं बोल सकते। सरकारी बैंकों में फिर भी मराठी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है। इस संबंध में रिजर्व बैंक ने भी सर्कुलर जारी किया है लेकिन वास्तविकता यही है कि व्यवहार में हिन्दी को प्राथमिकता दी जाती है।

भाजपा को क्यों टेंशन

MNS को चाहिए कि इस मुद्दे पर बैंकों और बैंक कर्मचारियों को थोड़ा वक्त दे ताकि वे या तो मराठी सीख सकें या मराठी भाषी कर्मियों की व्यवस्था कर सकें लेकिन राज ठाकरे के कार्यकर्ता सीधे मारपीट पर उतारू हो रहे हैं। यही बात दिल्ली में भाजपा को परेशान कर सकती है क्योंकि इन बैंकों में काम करने वाले कर्मियों की बड़ी तादाद बिहारियों की है। बिहार में इसी साल चुनाव होने वाले हैं। अगर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र में हो रहे इस तरह के हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार पर दबाव नहीं बनाया और हिंसक आंदोलन होते रहे तो बिहार में भाजपा को परेशानी हो सकती है।

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भाजपा का मिशन बिहार

भाजपा का अगला टारगेट मिशन बिहार है। बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी को उम्मीद है कि नीतीश कुमार के साथ गठजोड़ कर आगामी चुनावों में जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतकर बड़े भाई की भूमिका में होगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा होने लगा है और आने वाले दिनों में ऐसे दौरों की संख्या बढ़ने वाली है लेकिन इन सबके बीच MNS कार्यक्रताओं द्वारा बिहारी कर्मियों की पिटाई का मामला राज्य में तूल पकड़ सकता है और सियासी पैमाने पर भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसलिए समझा जा रहा है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस मुद्दे पर फडणवीस सरकार पर दबाव बना सकता है।

फडणवीस की नजर कहां?

राजनीतिक हलकों में अब यह सवाल भी उठने लगा है कि यह जानते हुए भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस आंदोलन पर चुप क्यों हैं या अप्रत्यक्ष रूप से उसका समर्थन तो नहीं कर रहे। असल में मुंबई में ठाकरे की शिवसेना की सफलता का आधार 'मराठी लोग और मराठी पहचान' ही रही है। MNS इसी पहचान को अपना आंदोलन बनाकर शिवसेना के वोट बैंक में घुसपैठ चाहती है। दूसरी तरफ स्थानीय भाजपा यानी फडणवीस भी चाहते हैं कि उद्धव के वोट बैंक में बिखराव हो क्योंकि तभी BMC चुनावों में भाजपा की दाल ज्यादा गल पाएगी लेकिन BMC पर कब्जे की चाहत में मिशन बिहार का गणित ना बिगड़ जाए, इसका टेंशन भाजपा को होने लगा है।

 

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