महाकुंभ आने वाले श्रद्धालु कर सकेंगे रामलला के दर्शन, परमार्थ निकेतन शिविर ने स्थापित की मूर्ति
महाकुंभ मेला क्षेत्र स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में शनिवार को भगवान श्रीराम की मूर्ति की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा के साथ आध्यात्मिक इतिहास रच दिया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण और भक्तिमय भजन के बीच हुए इस दिव्य आयोजन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
महाकुंभ मेला क्षेत्र स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में शनिवार को भगवान श्रीराम की मूर्ति की विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा के साथ स्थापित हुई। वैदिक मंत्रोच्चारण और भक्तिमय भजन के बीच हुए इस दिव्य आयोजन ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
यह आयोजन खास इसलिए भी रहा क्योंकि यह अयोध्या में रामलला की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया। शिविर में 'मंगल भवन अमंगल हारी' और 'शिव स्तोत्र' जैसे भजनों कीए गूंज सुनाई दी, जिन्हें इटली के माही गुरुजी और उनके शिष्यों ने प्रस्तुत किया। इस समारोह का नेतृत्व परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने किया। उन्होंने भगवान श्रीराम के आदर्शों की महिमा का गुणगान करते हुए उनके जीवन को धर्म, न्याय और सत्य का प्रकाशस्तंभ बताया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा, "भगवान श्रीराम की मूर्ति की स्थापना भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, जो संपूर्ण विश्व को सनातन धर्म के मूल्यों से जोड़ती है। भगवान राम का जीवन धर्म और नैतिकता का मार्ग प्रशस्त करता है।" उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज में श्रीराम की मूर्ति की स्थापना न केवल एक आध्यात्मिक उपलब्धि है, बल्कि एकता और समाज को जोड़ने का संदेश भी देती है।
महाकुंभ का संदेश: एकता और समरसता
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने महाकुंभ के मूल संदेश पर प्रकाश डालते हुए कहा, "कुंभ जाति, धर्म और पृष्ठभूमि की बाधाओं को तोड़ने का प्रतीक है। परमार्थ निकेतन शिविर में हर व्यक्ति का समान रूप से स्वागत होता है, चाहे वह शबरी हो, निषादराज हो, या कोई राजसी भक्त। यही समावेशिता हमारी आध्यात्मिक विरासत का सार है।"
उन्होंने सनातन धर्म की शिक्षाओं पर जोर देते हुए कहा, "सनातन धर्म का संविधान हमें धर्म, जाति या उत्पत्ति के आधार पर भेदभाव न करने की शिक्षा देता है। ये मूल्य भारतीय संस्कृति की नींव हैं और मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।"
स्वामी ने श्रद्धालुओं से भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, "मूर्ति स्थापना हमें याद दिलाती है कि भगवान राम का जीवन धर्म का प्रतीक है। हमें उनके आदर्शों पर चलते हुए अपने समाज में एकता, शांति और करुणा को बढ़ावा देना चाहिए।"