Hindustan Special: मूल स्वरूप में लौटेगी सहारनपुर की ये नदी, एनजीटी ने प्रशासन को दिए आदेश
सहारनपुर की विलुप्त हो चुकी सिंधली नदी बहुत जल्द पुनर्जीवित होगी। इसके लिए शासन से पांच करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। खास बात यह है कि रिकॉर्ड में 1952 के आसपास एक संकरे नाले के रूप में नदी का अस्तित्व मिला है।
सहारनपुर की विलुप्त हो चुकी सिंधली नदी बहुत जल्द पुनर्जीवित होगी। इसके लिए शासन से पांच करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। खास बात यह है कि रिकॉर्ड में 1952 के आसपास एक संकरे नाले के रूप में नदी का अस्तित्व मिला है, जिस पर अब पक्के निर्माण से लेकर खेती तक के तमाम तरह के अतिक्रमण हो चुके हैं। जिसे हटाकर नदी को उसका पुराना स्वरूप लौटाने की कवायद की जाएगी।
पुराना राजस्व रिकॉर्ड खंगाले पर मिला नदी का अस्तित्व
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जिला प्रशासन को नदी को तलाशकर पुनर्जीवित करने के आदेश दिए हैं। मगर सरसावा और चिलकाना के बीच बैंगनी हैदरपुर गांव से उद्गम हुई यमुना की इस सहायक नदी का दूर-दूर तक कोई निशान नहीं मिला था। जिसके चलते पुराना राजस्व रिकॉर्ड खंगाला गया तो 1952 के आसपास 1359 फसली में एक संकरे नाले के रूप में नदी का अस्तित्व मिला है। कभी शामली तक बहने वाली यमुना की इस सहायक सिंधली नदी, जो अब अवैध कब्जों के चलते कभी की विलुप्त हो चुकी है। इसको पुराने स्वरूप में लाने के लिए कार्य योजना पर काम किया है।
डीएम ने सिंघली नदी को तलाशने और पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया
एक अनुमान के मुताबिक, इस नदी की लंबाई 30 से 35 किमी अवश्य रही होगी। सहारनपुर डीएम मनीष बंसल ने सिंघली नदी को तलाशने और पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। डीएम को अपनी संभल जिले में तैनाती के दौरान वहां मृत हो चुकी 110 किमी लंबी शोत नदी को पुनर्जीवित करने का जिम्मा बखूबी निभा चुके हैं। जिस का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में किया था और मनीष बंसल की सराहना की थी। उनकी उस सफलता से सहारनपुरवासियों को भी भरोसा है कि शोत नदी की तरह अब सिंधली भी जल्द फिर से कलकल बहती दिखेगी।
उदगम स्थल वैंगनी हैदरपुर गांव से शाहजहांपुर होते बहती थी नदी
जिला प्रशासन ने विलुप्त हो चुकी नदियों का सर्वे कराया था, जिसमें सिंधली नदी की जानकारी सामने आई थी। अपने उद्गम स्थल वैंगनी हैदरपुर गांव से यह नदी शाहजहांपुर होते हुए सिरस्का, सनौली, सलारपुर कल्लरहेड़ी, आलमपुर सखेरी, लखनौती, खालिदपुर, शकरपुर, बीनपुर गांव के बीच बहती थी और ख्वाजापुर में यमुना नदी में मिल जाती थी। यही नहीं करीब तीन माह पहले कल्लरपुर गांव में नदी खुदाई का कुछ काम भी शुरू कराया गया था, लेकिन बजट न होने से मामला लटक गया था। अब पांच करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं तो उम्मीद है जल्द ही सिंधली अपने पुराने स्वरूप में नजर आएगी।
करीब पांच करोड़ का बजट भी पास
जिला अधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि विलुप्त हो चुकी सिंधली नदी फिर कलकल करती नजर आएगी। इसके लिए करीब पांच करोड़ का बजट भी पास करा दिया गया है। यह नदी वर्ष 1952 के बाद से विलुप्त थी। नदी की जगह बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर दी गई है।