Hindustan Special: आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है सहारनपुर का फुलवारी आश्रम, अब बनेगा टूरिस्ट स्पॉट
- भारत की आजादी के इतिहास में पश्चिमी यूपी का सहारनपुर शामिल रहा है। यहां स्थित फुलवारी आश्रम में आजी की लड़ाई के दौरान कई आंदोलनकारियों ने शरण ली। यहां तक की भगत सिंह भी आश्रम में स्थित मंदिर की गुफा में रहे थे।
जंग-ए-आजादी के इतिहास में वेस्ट यूपी का सहारनपुर भी गवाह रहा है। आज हम आपको सहारनपुर के फुलवारी आश्रम के बारे में ऐसे रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनको जानकर आप हैरान हो जाएंगे। आजादी की लड़ाई के दौरान आंदोलनकारियों की शरण स्थली रहे फुलवारी आश्रम से ही नमक आंदोलन शहर में चला था। आज भी आश्रम के परिसर के मंदिर और यहां लगने वाला अखाड़ा आजादी के दीवानों की यादें ताजा करता है।
फुलवारी आश्रम का इतिहास
सहारनपुर के बाबा लाल दास मार्ग स्थित फुलवारी आश्रम आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है। आंदोलनकारियों की शरण स्थली रहे फुलवारी आश्रम से ही नमक आंदोलन शहर में चला था। आश्रम के परिसर के मंदिर और यहां लगने वाला अखाड़ा आजादी के दीवानों की यादें ताजा करता है। स्वतंत्रता सेनानी ललता प्रसाद अख्तर ने वर्ष 1919 में गो रक्षा के सामाजिक सुधार की शपथ लेकर हिंदू कुमार सभा की स्थापना की थी। इसी बीच उन्होंने फुलवारी आश्रम में अपने साथियों के साथ रक्षाबंधन पर एक मेला भी शुरू किया था, जिसे वीर पूजा का नाम दिया गया था। अब इस आश्रम को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। कवायद तेज कर दी गई है। करीब पांच करोड़ की लागत से यहां ओपन थियेटर, डिजिटल प्रजेंटेशन, महापुरुषों की फोटो आदि आकर्षण का केंद्र होंगे।
नमक कानून तोड़ने को इस आश्रम से मिली थी धार
नमक आंदोलन की नींव 18 अप्रैल 1930 में अजीत प्रसाद जैन की अगुवाई में हुई और यहीं से नमक आंदोलन की नींव सहारनपुर में पड़ गई थी। छह अप्रैल 1930 के बाद दांडी में जब महात्मा गांधी ने नमक कानून तोड़ा तो यहां भी आंदोलन की ज्वाला जल उठी थी। 24 अप्रैल को ललता प्रसाद अख्तर और कांग्रेस के सदर मौलवी मंजू रूल नबी को नौजवान सभा का जलसा करने का आरोप में अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था और 26 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ने का आंदोलन शुरू हुआ। गुरुकुल कांगड़ी से आए जत्थे ने कांग्रेस के दफ्तर से जुलूस निकालकर बाद में फुलवारी आश्रम में पहुंचने पर इसको धार मिली थी।
आश्रम में स्थित मंदिर की गुफा में रहे थे भगत सिंह
आजादी के मतवालों ने बाद में विदेशी कपड़ों की होली भी आश्रम में जलाई थी। 13 मई को महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के बाद यहां भी आजादी के मतवालों पर मुकदमे दर्ज हुए थे। इसी बीच शहीद ए आजम भगत सिंह दो बार सहारनपुर आए और फुलवारी आश्रम में स्थित श्रीकृष्ण मंदिर के ऊपर बनी गुफा में रहे थे। यहां उन्होंने गुप्त बैठकें भी की थीं। पांवधोई नदी के किनारे बसा फुलवारी आश्रम आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है।
फुलवारी आश्रम को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा
विधायक राजीव गुंबर का कहना है कि फुलवारी आश्रम को शहर का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। पांच करोड़ रुपये स्वीकृत करा लिए गए है। यहां ओपन थियेटर, डिजिटल प्रजेंटेशन, महापुरुषों की शिलापट, तस्वीरें आदि लगाई जाएंगी।