उपेंद्र कुशवाहा ने राज्यसभा में बोलते हुए मोदी सरकार से बिहार में बाढ़ और सुखाड़ के मुद्दे पर पहल करते हुए इसका स्थायी रूप से समाधान निकालने की मांग की। उन्होंने सोन नदी पर लंबित डैम का निर्माण भी जल्द कराने का आग्रह किया।
मंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के ससमय कार्यान्वयन में यदि कहीं किसी तरह की बाधा आ रही है तो उसे चिह्नित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर दूर कराएं। जिन योजनाओं के संवेदक द्वारा निर्धारित अवधि के अनुसार कार्य नहीं कर रहे है उन पर नियमानुसार कड़ी कर्रवाई करने का निदेश दिया गया।
2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ ने बिहार में जमकर तबाही मचाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया था और इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया था। उन्होंने तत्काल 1000 करोड़ का राहत पैकेज भी जारी किया था।
बिहार सरकार की ओर से 562 करोड़ रुपये की लागत से बाढ़ प्रभावित 173 क्षेत्रों में कटाव निरोधक कार्य किए जाएंगे। इन कार्यों को अगले साल मॉनसून सीजन से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
नीतीश कैबिनेट की गुरुवार को हुई बैठक में बागमती, महानंदा और कमला नदी पर नए बराज के निर्माण को स्वीकृति दी गई। इन बराज के बनने से उत्तर बिहार और कोसी-सीमांचल के इलाके में बाढ़ से मुक्ति मिलेगी।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि 27 से 30 सितंबर 2024 के बीच पूरे नेपाल में अभूतपूर्व वर्षापात के कारण वहां से आने वाली सभी नदियों यथा गंडक, बागमती, कोशी, महानंदा आदि के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इस दौरान उच्चतम जलस्तर के सारे रिकॉर्ड टूट गए।
पप्पू यादव ने बताया है कि वो हर रोज चार से पांच लाख रुपये बांटते हैं और अब तक जरूरतमंद लोगों की 280 करोड़ से ज्यादा की मदद कर चुके हैं। पप्पू ने कहा कि उनके घर-परिवार और मित्र लोग मदद के लिए पैसे देते हैं।
राज्य में सत्तारूढ़ डीएमके की ओर से इस घटना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को आर्थिक सहायता देने की घोषणा जरूर की।
मॉडल प्रोजेक्ट के तौर पर चांदन डैम से गाद निकालकर उसके व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दी जाएगी। इससे सरकार को रॉयल्टी के रूप में 49 करोड़ रुपये भी मिलेंगे। यह प्रयोग सफल रहा तो अन्य नदियों से भी गाद निकालने का काम होगा।
बिहार में आई बाढ़ ने तटबंधों को भारी नुकसान पहुंचाया है। 118 किमी तटबंध क्षतिग्रस्त हुए हैं। बाढ़ ने जल संसाधन विभाग के 512 करोड़ रुपए डुबो दिए हैं। पटना में 16, मुजफ्फरपुर प्रक्षेत्र में सात के अलावा वीरपुर और कटिहार प्रक्षेत्र में एक-एक तटबंध क्षतिग्रस्त हुए।