पहलवानों के धरने से हरियाणा की राजनीतिक कुश्ती में भाजपा को होगा नुकसान? क्या माहौल
आंदोलन दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहा है, लेकिन इसका असर हरियाणा में ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि पहलवानों ने धरने को राजनीतिक नेताओं से शामिल होने की अपील कर दी थी और फिर नेता सक्रिय भी हो गए।
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया जैसे मेडल विजेता पहलवान धरने पर बैठे हैं। यह आंदोलन दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहा है, लेकिन इसका असर हरियाणा में ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि पहलवानों ने धरने को राजनीतिक नेताओं से शामिल होने की अपील कर दी थी और उसके बाद से कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा हों या फिर सत्यपाल मलिक। कई नेता इन पहलवानों से मिलने पहुंचे हैं। यही नहीं हरियाणा की राजनीति में असर रखने वाली खाप पंचायतों ने भी पहलवानों का समर्थन किया है।
पहलवानों का समर्थन करते हुए खाप पंचायतों ने कहा कि यदि पहलवानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे बंद का आयोजन करेंगी। गुरुवार को हरियाणा, यूपी से कुल 30 खाप पंचायतों के प्रतिनिधि जंतर-मंतर पहुंचे। इससे पहले पहलवानों ने सोशल मीडिया पर इन लोगों से समर्थन की अपील की थी। सर्व खाप पंचायत से जुड़े ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा, 'यह दुखद है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ ना तो केस दर्ज हुआ है और ना ही उन्हें अरेस्ट किया गया है। कई शिकायतें बेकार गई हैं। हम पहलवानों के साथ हैं।'
अब तक जिन खापों ने पहलवानों का समर्थन किया है, उनमें धनखड़ खाप, जाखड़ खाप, अहलावत खाप, कादियान खाप, फोगाट खाप, सहरावत खाप, हुड्डा खाप और रोहतक खाप जैसी पंचायतें शामिल हैं। धनखड़ का कहना है कि सभी खाप नेताओं ने फैसला लिया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार किया जाए। उसके बाद हम कोई रणनीति तैयार करेंगे। एक तरफ कांग्रेस के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा पहलवानों से मिलने पहुंचे तो वहीं इनेलो के नेता अभय चौटाला ने भी पहलवानों का समर्थन किया है।
हरियाणा और जाट सम्मान का बन सकता है मसला
साफ है कि हरियाणा में यह मसला राजनीतिक रंग ले चुका है और इसे खाप पंचायतों जैसे सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। सत्यपाल मलिक, हुड्डा और अभय चौटाला जैसे नेताओं ने पहलवानों से मुलाकात की है, जिससे राज्य में जाट राजनीति भी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि यह पूरा मामला हरियाणा और जाट सम्मान से भी जुड़ सकता है। खासतौर पर 2024 के आम चुनाव से पहले हरियाणा में बदला माहौल भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है, जो फिलहाल जेजेपी के साथ गठबंधन सरकार चला रही है। बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान भी राज्य में भाजपा को काफी विरोध झेलना पड़ा था। अब इसी बेल्ट में फिर से विरोध का माहौल बन रहा है।