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जब अमेरिका ने मेरा वीजा खारिज किया तो कष्ट था, पर एक संकल्प भी लिया: नरेंद्र मोदी

  • पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए सबसे ज्यादा कष्ट वाला पल क्या था तो वह यही था, जब अमेरिका ने मेरा वीजा ही कैंसिल कर दिया। उन्होंने कहा कि तब मैंने कहा था कि एक चुनी हुई सरकार के मुखिया के साथ ऐसा करना गलत और अलोकतांत्रिक है। मीडिया के साथ मैंने 2005 में उसी दिन बात की थी।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 10 Jan 2025 04:14 PM
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पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि जब 2005 में उनका अमेरिका ने वीजा रद्द कर दिया था तो उन्हें करारा झटका लगा था। उन्होंने निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट इंटरव्यू में कहा कि आपने पूछा कि मेरे लिए सबसे ज्यादा कष्ट वाला पल क्या था तो वह यही था, जब अमेरिका ने मेरा वीजा ही कैंसिल कर दिया। उन्होंने कहा कि तब मैंने कहा था कि एक चुनी हुई सरकार के मुखिया के साथ ऐसा करना गलत और अलोकतांत्रिक है। मीडिया के साथ मैंने 2005 में उसी दिन बात की थी। अपनी ओर से मैंने कई बातें कहीं थीं, लेकिन यह भी सच है कि मैंने एक संकल्प ले लिया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उसी दौरान मैंने संकल्प ले लिया था कि एक दिन ऐसा होगा कि लोग भारत के वीजा के लिए लाइन लगाकर खड़े होंगे। उन्होंने कहा कि वह मेरी जिंदगी का मुश्किल वक्त था और मुझे झटका लगा था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हैरान करने वाली बात थी कि आखिर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के राज्य में एक चुने हुए प्रतिनिधि को इस तरह वीजा देने से इनकार किया जाए। फिर बहुत कुछ सुधर गया, लेकिन मेरा एक संकल्प था, जो मैंने हमेशा बनाए रखा। पीएम मोदी ने कहा कि आज मुझे खुशी होती है, जब दूसरे देशों में जाता हूं और लोगों के मन में भारत की अलग छवि देखता हूं। यह देखता हूं कि वे भी भारत आना चाहते हैं। अपने लिए भारत में कारोबार और अन्य अवसर देखते हैं। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा भविष्य की सोचते हुए काम करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा तीसरा टर्म पहले वाले दो कार्यकालों के मुकाबले अलग है। मुझे देशवासियों के बहुत सारे सपनों को पूरा करना है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब गुजरात की सरकार चला रहा था, तब भी मेरा विचार था कि अगले 20 साल के लिए प्लान तैयार किया जाए। आज भी मैं इसी विचार के साथ काम कर रहा हूं। इस दौरान जब उनसे राजनीति में आलोचना को लेकर पूछा गया तो उनका जवाब भी दिलचस्प था। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं अहमदाबादी हूं और वहां के लोगों का एक नजरिया है।

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कुछ दे ही रहा है, ले तो नहीं रहा; अहमदाबादी का एक किस्सा सुनाया

इसके आगे उन्होंने एक किस्सा सुनाया- 'एक अहमदाबादी स्कूटर लेकर जा रहा था और किसी से थोड़ी सी टक्कर लग गई। सामने वाला गुस्से में आ गया और गालियां देने लगा। अहमदाबादी स्कूटर लेकर खड़ा ही रहा और वह गालियां देता रहा। एक शख्स आया और उसने कहा कि कुछ दे ही रहा है, लेकर तो नहीं जा रहा।' वह कहते हैं कि मैंने भी मन बना लिया कि उनके पास जो हैं, वही देंगे। मेरे पास जो है, मैं वह दूंगा। बस इतना रहना चाहिए कि आपका धरातल सत्य पर हो। आखिर ऑफिस में, घर में या कहां ऐसा नहीं होता कि आपको कुछ सुनना न पड़े।

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