PM नरेंद्र मोदी ने कहा- नहीं बचा मेरा कोई दोस्त, तू कहने वाला भी सिर्फ एक ही
- पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे ज्यादातर लोग बहुत औपचारिक और सम्मानजनक ढंग से ही संबोधित करते हैं। तू कहने वाले मेरी जिंदगी में नहीं रहे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे एक टीचर थे- रासबिहारी मणियार। वह मुझे चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू लिखते थे। उनका हाल ही में 94 साल की आयु में निधन हो गया।
पीएम नरेंद्र मोदी का कहना है कि उनका जीवन ऐसा रहा है कि बचपन के दोस्तों के साथ संपर्क ही नहीं रह पाया। उन्होंने निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट में कहा कि मैंने कम आयु में ही घर छोड़ दिया था। इसके कारण स्कूली दोस्तों से भी संपर्क नहीं रह पाया। मेरे जीवन में तू कहने वाला कोई बचा ही नहीं। उन्होंने कहा कि मैं तो जब सीएम बना तो इच्छा थी कि स्कूली दोस्तों को बुलाकर बैठा जाए। मैंने बुलाया और करीब 35 लोग आए भी, लेकिन उनसे बातचीत में दोस्ती नहीं दिखी। मुझे आनंद नहीं आ सका। इसकी वजह थी कि मैं उनमें दोस्त खोज रहा था, लेकिन उन्हें मेरे भीतर मुख्यमंत्री ही नजर आ रहा था। पीएम मोदी ने कहा कि यह खाई पटी ही नहीं और मेरे जीवन में कोई तू कहने वाला बचा ही नहीं।
उन्होंने कहा कि मुझे ज्यादातर लोग बहुत औपचारिक और सम्मानजनक ढंग से ही संबोधित करते हैं। तू कहने वाले मेरी जिंदगी में नहीं रहे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरे एक टीचर थे- रासबिहारी मणियार। वह मुझे चिट्ठी लिखते थे तो हमेशा तू लिखते थे। उनका हाल ही में 94 साल की आयु में निधन हो गया। वह आखिरी और एकमात्र व्यक्ति रहे, जो मुझे तू कहकर संबोधित करते थे। पीएम मोदी ने कहा कि मैं जब गुजरात का सीएम बना तो मेरी दूसरी इच्छा थी कि अपने सभी अध्यापकों का सार्वजनिक रूप से सम्मान करूंगा। मैंने इसके लिए सभी अध्यापकों को ढूंढा और सीएम बनने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम करके सबको सम्मान दिया। मेरे मन में एक मेसेज था कि मैं जो कुछ भी हूं, उसमें इन लोगों का भी योगदान है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा कि मैं स्कूल में कभी उत्कृष्ट छात्र नहीं था, लेकिन मेरे एक टीचर बहुत प्रोत्साहित करते थे। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने हमेशा यह ध्यान रखा है कि मिशन के साथ काम किया जाए। राजनीति में सफलता के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि जरूरी यह है कि हम एंबिशन नहीं बल्कि मिशन के बारे में सोचें। उन्होंने कहा कि आज की राजनीति की बात करें तो फिर उस हिसाब से महात्मा गांधी जी कहां फिट बैठते हैं। वह तो दुबले-पतले थे और साधारण रहते थे। फिर भी महान रहे और उसकी वजह थी कि उनका जीवन बोलता था। पीएम मोदी ने कहा कि भाषण कला से ज्यादा जरूरी है, संचार कला।
महात्मा गांधी ने टोपी नहीं पहनी, पर दुनिया ने पहनी गांधी टोपी
महात्मा गांधी अपने हाथ में खुद से भी ऊंचा डंडा रखते थे, लेकिन अहिंसा की बात करते थे और लोग उसे मानते थे। उन्होंने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती रही। पीएम मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने राजनीति की, लेकिन कभी सत्ता पर नहीं आए। फिर उनके निधन के बाद समाधि का नाम राजघाट पड़ा।