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खेल में मजबूत, मेजबानी भी शानदार; खेलो इंडिया गेम्स में बिहार की धमक; नीतीश की यह योजना काम आई

बिहार के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत से पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में एक स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक के साथ अपने पदकों की संख्या को नौ तक पहुंचा दिया। 2021 में कोविड के कारण बिहार का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटना, कार्यालय संवाददाताFri, 16 May 2025 08:43 AM
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खेल में मजबूत, मेजबानी भी शानदार; खेलो इंडिया गेम्स में बिहार की धमक; नीतीश की यह योजना काम आई

विकास के पैमाने पर देश के कई राज्यों को पीछे छोड़ने के बाद खेल में भी बिहार की तरक्की देखने लायक है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बिहार के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में 14वां स्थान प्राप्त किया। वहीं राष्ट्रीय स्तर के इस बड़े आयोजन की बिहार ने शानदार मेजबानी की। वर्ष 2018 में जब देश में खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आगाज हुआ था, तब बिहार के हिस्से महज एक कांस्य पदक आया था। 2019 में एक रजत और चार कांस्य पदकों के साथ बिहार ने कुल पांच पदक हासिल किए थे। वर्ष 2020 में बिहार के खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार का सिलसिला जारी रहा।

बिहार के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत से पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में एक स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक के साथ अपने पदकों की संख्या को नौ तक पहुंचा दिया। 2021 में कोविड के कारण बिहार का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा। सिर्फ दो पदक मिले। 2022 से बिहार के खिलाड़ियों ने पदक तालिका की ऊपरी पंक्ति में नाम दर्ज कराने की मुहिम शुरू कर दी। हालांकि 2022 में बिहार केवल एक स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक ही हासिल कर सका था। 2023 में बिहार ने केवल पांच पदक ही जीते थे। लेकिन इन पांच पदकों में दो स्वर्ण पदक के कारण पदक तालिका में बिहार 21वें स्थान पर पहुंच गया। खेल के प्रति बिहार सरकार की साकारात्मक भूमिका ने इस सफलता में बड़ी भूमिका निभाई है।

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खिलाड़ियों को सभी तरह की सुविधाएं मिलीं

खिलाड़ियों को सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गईं। देसी-विदेशी प्रशिक्षक, ट्रेनर और सपोर्टिंग स्टाफ की टीम ने बिहार को इस मुकाम पर पहुंचाया है।

बिहार में खेलों को लेकर बना नया माहौल

खेलों के राष्ट्रस्तरीय आयोजनों में बिहार का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गया है। इसकी मुख्य वजह खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का 4 से 15 मई तक सफलतापूर्वक आयोजित होना है। सूबे के पांच शहरों पटना, नालंदा (राजगीर), गया, भागलपुर और बेगूसराय में इसके लिए खासतौर से इंतजाम किए गए थे। 28 विभिन्न विधाओं के खेलों में शामिल होने आए 10 हजार से अधिक खिलाड़ी के लिए बेहतरीन प्रबंध किए गए थे।

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इसकी प्रशंसा दूसरे राज्यों से आए सभी खिलाड़ियों ने भी की। इसके लिए पटना, गया, राजगीर, भागलपुर और बेगूसराय के विभिन्न होटलों से लेकर राजकीय अतिथिशाला में तमाम मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई गई थीं। ताकि खिलाड़ियों को किसी तरह की समस्या नहीं हो।

इंडोर खेलों के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी। सभी इंडोर खेल कोर्ट में गर्मी से बचने के लिए एसी से लेकर अन्य जरूरी संसाधन मुहैया कराए गए थे। बोधगया स्थित बिपार्ड में मौजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर के 30 मीटर लंबे स्वीमिंग पुल में तैयारी से संबंधित सभी प्रतियोगिताएं संपन्न कराई गईं। इसी तरह यहां आयातीत रबर से खासतौर से बने जॉगिंग ट्रैक पर कुछ प्रतियोगिताएं हुईं। जिन मैदानों में मलखम, योग, थांगटा जैसे खेलों का आयोजन कराया गया था, वहां खासतौर से जर्मन हैंगर बनाए गए थे, जिससे खिलाड़ी और दर्शकों को इस भीषण गर्मी में भी समस्या नहीं हो।

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अलग खेल विभाग बनाने से हुई शुरुआत

पदक में इस तरह हुई बढ़ोतरी

2018- स्वर्ण-0 रजत-0 कांस्य-1

2019- स्वर्ण-0 रजत-1 कांस्य-4

2020- स्वर्ण-1 रजत-1 कांस्य-7

2021- स्वर्ण-1 रजत-0 कांस्य-1

2022- स्वर्ण-1 रजत-1 कांस्य-5

2023- स्वर्ण-2 रजत-2 कांस्य-1

2025- स्वर्ण-7 रजत-11 कांस्य-18

राज्य सरकार ने करीब 4-5 वर्ष पहले मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना की घोषणा की। इसके साथ ही खेल से जुड़े तमाम आधारभूत संरचनाओं का विकास करने से लेकर सभी जरूरी सुविधाएं मुहाल करने की कवायद शुरू हुई। इससे युवाओं में खेल में बेहतर प्रदर्शन करने की ललक बढ़ी। किसी भी खेल में बेहतरीन प्रदर्शन या राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को सचिवालय से लेकर जिला कार्यालयों में सहायक समेत अन्य समकक्ष पदों पर सीधे नौकरी देने की व्यवस्था की गई। इसका लाभ बड़ी संख्या में खिलाड़ी उठा रहे हैं।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खेलों को प्रोत्साहित करने की अपनी दूरदर्शी सोच के तहत युवाओं को इसे एक बेहतरीन कॅरियर विकल्प के तौर पर अपनाने की प्रेरणा प्रदान करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई अहम निर्णय लिए। अलग खेल विभाग बनाने से इसकी स्थापना हुई। इसके बाद सभी जिलों में खेल मैदान, स्टेडियम का कायाकल्प, पटना में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स का निर्माण, राजगीर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम एवं खेल परिसर समेत अन्य कई सुविधाएं तैयार की गईं। इससे खेल की आधारभूत संरचना से लेकर अन्य सभी तरह की सुविधाएं विकसित की गई।