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बाढ़-सुखाड़, भूकंप और शीतलहर; निगरानी में मदद करेगा इसरो; अहम समझौते पर मुहर

  • डॉ. उदयकांत ने कहा कि आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने की हमारी क्षमताओं में वृद्धि होगी। निकट भविष्य में हिंदुकुश क्षेत्र में और भूकंप आने की आशंका व्यक्त की है। चीन और अमेरिका जैसे देशों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भूकम्प के पूर्वानुमान को लेकर काफी काम हो रहे हैं।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSun, 12 Jan 2025 06:43 AM
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बिहार में आने वाली आपदाओं के अध्ययन और उसकी निगरानी में इसरो मदद करेगा। बाढ़, सुखाड़, लू, शीतलहर, वज्रपात और भूकंप पर निगरानी रखी जा सकेगी। इसके लिए शनिवार को इसरो की संस्था स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (सैक), बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और बिहार मौसम सेवा केंद्र के बीच समझौता हुआ है। प्राधिकरण के सचिव वारिस खान, मौसम सेवा केंद्र निदेशक डॉ. सीएन प्रभु और ‘सैक’ निदेशक नीलेश एम. देसाई ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। मौके पर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. उदयकांत, सदस्य पीएन राय, सदस्य नरेंद्र कुमार सिंह मौजूद रहे।

डॉ. उदयकांत ने कहा कि आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने की हमारी क्षमताओं में वृद्धि होगी। निकट भविष्य में हिंदुकुश क्षेत्र में और भूकंप आने की आशंका व्यक्त की है। चीन और अमेरिका जैसे देशों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भूकम्प के पूर्वानुमान को लेकर काफी काम हो रहे हैं। ‘सैक‘ की टीम भी अगर प्राधिकरण के लिए इस दिशा में कार्य करे, तो बिहार के लिए काफी लाभकारी होगा। कहा भारतीय आर्ष (ऋषियों का बनाया हुआ) साहित्य में भूकंप सहित मौसम के पूर्वानुमान लगाने के कई सूत्र बताए गए हैं।

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सैक’ ने उनके पास उपलब्ध आधुनिकतम वैज्ञानिक संसाधनों की कसौटी पर इन सूत्रों को परखने की दिशा में प्राधिकरण और मौसम सेवा केंद्र के साथ संयुक्त रूप से काम करने का निर्णय लिया। सैक निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा कि रिमोट सेंसिंग डेटा सिर्फ आपदा प्रबंधन में ही नहीं, हर क्षेत्र के लिए इसका अपना महत्व है।

 

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मिलेगी यह मदद…

● आपदा पूर्व चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी।

● सेटेलाइट से मिलीं तस्वीरों से नदियों की गहराई जानने और जल प्रवाह अनुमान के साथ बाढ़ से होनेवाली क्षति को भी कम किया जा सकेगा।

● आपदा प्रबंधन नीतियों को कार्यान्वित करने में उपग्रह से मिले डेटा का उपयोग किया जा सकेगा।

● शोध करने वाले विद्यार्थी अध्ययन के लिए सैक और इसरो जा सकेंगे। मिलनेवाले डेटा का इस्तेमाल शोध के लिए कर सकेंगे।

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