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बिहार में रोज मर रहे 18 बच्चे, रिपोर्ट में खुलासा; सबसे ज्यादा स्कूली छात्र हो रहे शिकार

  • रिपोर्ट की मानें तो हादसें के शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों की संख्या है। स्कूल की छुट्टी के बाद बिना हेलमेट और दायें-बायें देखें बिना और हाई स्पीड में गाड़ी चलाने के कारण अधिक सड़क हादसा हुआ है। घर से आते और स्कूल से वापस जाते समय अधिक हादसा हुआ है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, मुख्य संवाददाता, पटनाTue, 11 March 2025 06:41 AM
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बिहार में रोज मर रहे 18 बच्चे, रिपोर्ट में खुलासा; सबसे ज्यादा स्कूली छात्र हो रहे शिकार

सड़क हादसों में बिहार में हर दिन औसतन 18 बच्चे जान गंवा रहे हैं। यह खुलासा राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा की रिपोर्ट से सामने आई है। सड़क हादसे को लेकर जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक अध्ययन किया गया था। इसमें देखा गया है कि बिहार में हर दिन औसतन 18 बच्चों की मृत्यु केवल सड़क हादसें में हो रही है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 43 बच्चे सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा रहे हैं।

रिपोर्ट की मानें तो इसमें 13 से लेकर 21 साल तक के किशोर और युवा शामिल है। बता दें कि पिछले तीन सालों में बिहार में सड़क हादसों से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है। जहां वर्ष 2022 में प्रतिदिन औसतन 12 बच्चे सड़क हादसे का शिकार होते थे, अब यह बढ़कर 18 पर पहुंच गई है। वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 14 बच्चों का था। पिछले तीन सालों में इसकी संख्या लगातार बढ़ी है।

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ज्यादातर हादसे स्कूल गेट और स्कूली बच्चों के साथ

रिपोर्ट की मानें तो हादसें के शिकार होने वालों में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों की संख्या है। स्कूल की छुट्टी के बाद बिना हेलमेट और दायें-बायें देखें बिना और हाई स्पीड में गाड़ी चलाने के कारण अधिक सड़क हादसा हुआ है। घर से आते और स्कूल से वापस जाते समय अधिक हादसा हुआ है। किसी भी स्कूल के 50 से 60 फीसदी बच्चे ऑटो, वैन, बाइक आदि से घर आते जाते हैं। ऐसे में ओवरलोड, ऑटो के गलत तरीके से चलाने के कारण भी आएं दिन हादसे होते है।

एडिशनल डीटीओ पटना, पिंकू कुमार ने कहा कि ट्रैफिक नियमों का पालन में लापरवाही और जानकारी के अभाव में आएं दिन सड़क हादसे होते हैं। खासकर किशोरावस्था में बच्चे गाड़ी चलाना तो सीख लेते हैं, लेकिन उन्हें ट्रैफिक नियमों की जानकारी नहीं होती है।

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बरतें सावधानी

● जब भी गाड़ी चलाएं दायें और बायें का ख्याल रखें

● गाड़ी की स्पीड 20 किलोमीटर से अधिक न रखें

● हेलमेट जरूर पहनें, जूता पहन कर ही गाड़ी चलाएं

● बाइक पर बिना हेलमेट के तीन-चार बच्चे नहीं बैठें

● बच्चे को पहले ट्रैफिक नियम की जानकारी दें, फिर ड्राइव करवायें

● स्कूलों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा ट्रॉपिक को जोड़ना चाहिए

● पाठ्यक्रम के अलावा सड़क सुरक्षा सप्ताह स्कूलों में आयोजित किया जाना चाहिए

● बच्चे का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते समय अभिभावकों को पूरी प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए

● सड़क पर लगे ट्रैफिक चिह्न को बताना चाहिए, इससे बच्चों को ट्रैफिक की जानकारी होगी

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