Hindi Newsपश्चिम बंगाल न्यूज़Ruckus over OBC reservation in Bengal, Mamata government approaches SC BJP says it will benefit Muslims

बंगाल में OBC आरक्षण पर बवाल, SC पहुंची ममता सरकार; BJP ने बताया मुस्लिमों को फायदा पहुंचाने वाला

  • यह मामला उस समय गरमाया जब 22 मई 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 2010 से अब तक कई जातियों को दी गई ओबीसी आरक्षण की सूची को अवैध करार दे दिया।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 18 March 2025 02:37 PM
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बंगाल में OBC आरक्षण पर बवाल, SC पहुंची ममता सरकार; BJP ने बताया मुस्लिमों को फायदा पहुंचाने वाला

पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण को लेकर एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग नए सिरे से जातिगत पिछड़ेपन की समीक्षा कर रहा है और यह प्रक्रिया तीन महीने में पूरी हो जाएगी। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्य सरकार की दलील सुनते हुए मामले को जुलाई तक के लिए टाल दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मुद्दे पर आगे की सुनवाई तीन महीने बाद की जाए, जिसके बाद पीठ ने उनकी बात मान ली। वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तरफ से ममता सरकार की इस पहल को मुस्लिमों को फायदा पहुंचाने वाला करार दिया है।

हाई कोर्ट ने रद्द की थी कई जातियों की ओबीसी सूची

यह मामला उस समय गरमाया जब 22 मई 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 2010 से अब तक कई जातियों को दी गई ओबीसी आरक्षण की सूची को अवैध करार दे दिया। कोर्ट ने पाया कि इन जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का आधार केवल धर्म था, जो संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि 77 मुस्लिम जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करना पूरे मुस्लिम समाज का अपमान है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जिन लोगों को पहले ही आरक्षण का लाभ मिल चुका है या जो सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं, उनकी नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

बीजेपी ने लगाया 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप

वहीं पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा सियासी तूल पकड़ चुका है। बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार एक जातिगत सर्वे करा रही है, जिसका मकसद मुस्लिम ओबीसी को फायदा पहुंचाना और हिंदू ओबीसी को पीछे करना है। बीते दिनों बीजेपी महासचिव जगन्नाथ चटर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा, "टीएमसी सरकार का यह सर्वे केवल राजनीतिक तुष्टिकरण के लिए है। वे मुस्लिम समुदाय की आर्थिक जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं ताकि सरकारी लाभ उन्हीं को दिया जा सके, जबकि हिंदू ओबीसी को इससे बाहर रखा जा रहा है।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस सर्वे के सवालों को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे समुदायों के बीच फूट डाली जा सके। चटर्जी के मुताबिक, "सवालों में यह पूछा गया है कि उनके इलाकों में पानी की सुविधा कैसी है और क्या वे अपने पड़ोसियों के साथ खाना साझा करते हैं। यह एक सोची-समझी साजिश है ताकि सांप्रदायिक तनाव पैदा किया जा सके।"

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नई जातियों से जुड़ी ठोस जानकारी दीजिए: सुप्रीम कोर्ट

वहीं सुप्रीम कोर्ट पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार से यह मांग कर चुका है कि वह ओबीसी सूची में शामिल नई जातियों की सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन से जुड़ी ठोस जानकारी पेश करे। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा कि इन जातियों को ओबीसी में शामिल करने से पहले किसी तरह की कानूनी सलाह ली गई थी या नहीं। अब जब राज्य सरकार ने तीन महीने में पूरी समीक्षा करने की बात कही है, तो जुलाई में सुप्रीम कोर्ट इस पर अंतिम फैसला ले सकता है। इस बीच, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक घमासान और तेज होने के आसार हैं।

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