वकील ने बताया कि सांप पकड़ने वालों को बुलाया गया। उन्होंने पुरानी फाइल से भरे अदालत कक्ष और दीवारों व फर्श की छानबीन की जिनमें कई छेद थे।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता की ओर से गंभीर तात्कालिकता का हवाला दिया। साथ ही, कोर्ट का तीन घंटे का समय बर्बाद करने पर भी टिप्पणी की। इसे लेकर याचिका दायर करने वाले को फटकार लगाई गई।
बेंच ने कहा, ‘पुरुष वर्चस्व और पुरुषवादी मानसिकता अब भी कायम है। जब तक हम अपने बच्चों को घर में समानता की शिक्षा नहीं देंगे, तब तक कुछ नहीं होगा। तब तक निर्भया जैसे कानून और अन्य कानून कारगर नहीं होंगे।’
अदालत ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर निर्देश जारी किए थे। अली ने घोष के कार्यकाल के दौरान मेडिकल कॉलेज में वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जांच कराने की मांग की थी।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने संजय रॉय को कोलकाता की एक अदालत में पेश किया था। इस दौरान मामले में आरोपी और संदिग्धों के पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत मांगी गई थी।
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सेमिनार में 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर का शव मिला था। इसके एक दिन बाद ही आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, MUDA मामले में विचाराधीन भूमि दलित समुदाय के सदस्यों के लिए थी। मगर, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी से इसे स्थानांतरित कर दिया गया। इससे राज्य को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ।
सैन्य अदालत का फैसला आने के बाद डॉक्टर के वकील आनंद कुमार ने खुशी जताई। उन्होंने कहा, ‘यह ऐसा मामला रहा जहां 19 साल से सर्विस कर रहे डॉक्टर पर ऑफिसर की पत्नी ने छेड़छाड़ के आरोप लगाया था।’
यह मामला दर्ज होने के बाद ही खान आगरा भाग गया था। वह 1986 से ही फरार था, जिसे देखते हुए उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ। आरोपी के वकील का कहना था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है।
कोलकाता की महिला ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या का मामला गरमाया हुआ है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने इसके विरोध में डॉक्टरों की ओर से शनिवार सुबह छह बजे से 24 घंटे की देशव्यापी सेवाएं बंद करने की घोषणा की है।
याचिकाकर्ता के पति ने दावा किया था कि चूंकि उसकी साली ने अंडाणु दान दिया था, इसलिए उसे जुड़वा बच्चों की जैविक माता कहलाने का वैध अधिकार है और उसकी पत्नी का उन पर कोई अधिकार नहीं है
पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विंग की ओर से कहा गया, ‘पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए यह कदम उठाया गया। लेफ्टिनेंट के खिलाफ दर्ज शिकायतों की सत्यता का पता लगाया जाएगा।’
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