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पहले नाबालिग का रेप किया फिर उसी से शादी, 4 बच्चे भी हुए; कोर्ट ने 40 साल बाद सुनाया फैसला

  • यह मामला दर्ज होने के बाद ही खान आगरा भाग गया था। वह 1986 से ही फरार था, जिसे देखते हुए उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ। आरोपी के वकील का कहना था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 16 Aug 2024 08:21 PM
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मुंबई में 40 साल पहले हुए बलात्कार मामले में कोर्ट का अब फैसला आया है। सत्र अदालत ने 70 वर्षीय व्यक्ति (दाऊद बंदू खान उर्फ ​​पापा) को बरी कर दिया, जिसे मुंबई पुलिस ने नाबालिग लड़की के रेप और अपहरण के आरोप में इसी साल मई में गिरफ्तार किया था। इस मामले में पीड़िता खान की पत्नी थी। आरोपी की सास की शिकायत के आधार पर 1984 में डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। इसके अनुसार, लड़की (जिसकी अब मौत हो चुकी है) नेचर कॉल में भाग लेने के लिए घर से बाहर निकली, मगर वह कभी वापस नहीं लौटी। नाबालिग की मां की शिकायत के आधार पर डीबी मार्ग पुलिस ने खान के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण के लिए सजा) और 376 (यौन उत्पीड़न के लिए सजा) के तहत केस दर्ज किया था।

कोर्ट ने खान को बरी करते हुए कहा कि उसके खिलाफ सबूत नहीं है। दरअसल, यह मामला दर्ज होने के बाद ही खान आगरा भाग गया था। वह 1986 से ही फरार था, जिसे देखते हुए उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हुआ। आरोपी के वकील का कहना था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। ध्यान देने वाली बात है कि शिकायतकर्ता और पीड़िता अब जीवित नहीं हैं। ऐसे में कोर्ट ने पीड़िता की चचेरी बहन और एक गवाह के बयान पर भरोसा किया। इन दोनों ने अदालत को बताया कि खान और लड़की रोमांटिक रिश्ते में थे। इसके बारे में उनके परिवार वालों को पता था।

दोनों के 4 बच्चे हुए, इनमें से 2 की मौत

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों एक साथ भागे थे और बाद में उन्होंने शादी कर ली। इनके 4 बच्चे हुए और वे सभी आगरा में रहने लगे। अब तक उनके 2 बच्चों की भी मौत हो चुकी है। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया जिससे यह साबित हो कि लड़की उस वक्त नाबालिग थी। यह मामला 1984-1985 के बीच सत्र अदालत में आया था। आज अभियोजन पक्ष के ज्यादातर गवाह या तो लापता हैं या उनकी मृत्यु हो गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश माधुरी एम देशपांडे ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'यह मामला तो बहुत पुराना है। आरोपी हिरासत में है। इसलिए केस को निपटाने पर प्राथमिकता दी जाती है। यह भी साबित नहीं होता कि आरोपी ने नाबालिग लड़की का अपहरण किया और उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए।

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