एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए दो संशोधन विधेयकों पर बनी संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह तक बढ़ा दिया गया है। 17 दिसंबर को यह विधेयक सदन में पेश किया गया था।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय समिति के सचिव आईएएस अधिकारी नितेन चंद्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता तथा कांग्रेस के पूर्व सांसद ई एम सुदर्शन नचियप्पन भी समिति के समक्ष पेश हुए।
केंद्र सरकार ने जेपीसी के सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि एकसाथ चुनाव कराने से नए चेहरों को भी चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। जेपीसी ने केंद्र सरकार से कई सवाल किए थे।
बीजेपी के सीनियर नेता ने कहा, 'हमारे पास केंद्र और कई राज्यों में बहुमत है। ऐसे में विधेयक को मंजूरी दिलाने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। मगर, हम 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को जन आंदोलन बनाना चाहते हैं।'
एक देश एक चुनाव को अमल में लाने के लिए जेपीसी ने बड़ा कदम उठाते हुए चुनाव आयोग के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को बुलाने का फैसला किया है।
राजधानी दिल्ली स्थित के करिअप्पा परेड मैदान में राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) की वार्षिक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह यह बात कही।
इस भारी सूटकेस ने सांसदों और मीडिया, दोनों का ध्यान खींचा। भाजपा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने इसे उठाकर सीढ़ियों से नीचे ले जाने का जज्बा दिखाया, जबकि कुछ सांसदों ने इसे लिफ्ट के जरिए अपने वाहनों तक पहुंचाया। वहीं, कुछ ने इसे अपने सहायकों के हवाले कर दिया।
प्रियंका गांधी ने JPC से पूछा कि क्या लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराना आर्थिक रूप से व्यवहारिक होगा और अगर हां तो इस देशव्यापी महा-अभियान पर कितना खर्च होगा।
बुधवार को नई दिल्ली में JPC की हुई इस पहली बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने एक साथ चुनाव के विचार की सराहना की तो विपक्षी सदस्यों ने इस पर सवाल खड़े किए।
एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर बनी 39 सदस्यीय संसदीय समिति की पहली बैठक 8 जनवरी को होगी। समिति को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें बजट सेशन के आखिरी हफ्ते से पहले अपनी रिपोर्ट देनी होगी।