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एक देश-एक चुनाव पर चर्चा का दौर शुरू, 8 जनवरी को होगी संसदीय समिति की पहली बैठक

  • एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर बनी 39 सदस्यीय संसदीय समिति की पहली बैठक 8 जनवरी को होगी। समिति को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें बजट सेशन के आखिरी हफ्ते से पहले अपनी रिपोर्ट देनी होगी।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानMon, 23 Dec 2024 09:11 PM
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देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में कराने के विधेयक पर चर्चा लगातार जारी है। इस विधेयक पर विचार करने के लिए के लिए बनाई गई 39 सदस्यीय संसदीय समिति की पहली बैठक 8 जनवरी को होगी। संसद की तरफ से इस समिति का अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व कानून राज्य मंत्री पी.पी. चौधरी को बनाया गया है। संसद की तरफ से इस कमेटी को आगले बजट सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।

इस कमेटी के 39 सदस्यों में भाजपा के 16, कांग्रेस के 5, सपा, तृणमूल और द्रमुक के दो-दो, जबकि शिवसेना, तेदेपा, जद(यू), रालोद, लोजपा (रामविलास), जन सेना पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), राकांपा (एसपी), माकपा, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एक-एक सदस्य शामिल हैं।

17 अगस्त को लोकसभा में इस विधेयक को 129वे संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया गया था। विधेयक के पेश किए जाने के पक्ष में 263 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े थे। इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ध्वनिमत से मिली सदन की सहमति के बाद ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को भी पेश किया। इसके बाद सुधार और बदलावों के लिए संसदीय समिति के पास भेज दिया गया।

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कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जमकर विरोध किया। उन्होंने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार संविधान के मूल ढाँचे पर हमला कर रही है। वह संविधान की आत्मा को खत्म कर देना चाहती है। इसका जवाब देते हुए कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से संबंधित प्रस्तावित विधेयक राज्यों की शक्तियों को छीनने वाला नहीं है और यह विधेयक पूरी तरह से संविधान सम्मत है।

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